मैथिलीक चिंतनशील ओ गंभीर रचनाकार मिथिलेश कुमार झा केर तेसर पोथी कविता संग्रह 'जाबत धरि सपना अछि शेष' प्राप्त भेल अछि. पोथीक भूमिका मे मिथिलेशजी फइल सं कविता आ अपन साहित्यिक यात्रा पर बात केलनि अछि. पिता स्व. विश्वनाथ झा कें समर्पित एहि संग्रहक पहिल कविता 'यात्री-नागार्जुन' कें संबोधित करैत लिखल गेल अछि. ई पोथी एक संगे कतेको विशेषता धारण केने अछि जे एकरा अपना समयक एकटा महत्वपूर्ण कृति बना देइत अछि.
एहि काव्य संग्रह मे तीन दशकक अन्तराल मे लिखल 53 गोट कविता प्रकाशित अछि. जाहि मे एहि कालखंड मे भेल कतेको घटना सब पर कवि अपन लेखनी चलओने छथि. सरोकार-संवेदना, समाज-संस्कृति, भू-भाषा सहित अनेक जरूरी बिंदु सब पर गंभीर कविता उपस्थित भेल अछि. दीप, बेरोजगार आ माए शीर्षक सं एकाधिक कविता अछि त' ओतहि गाम शीर्षक सं लिखल कविता सोरह भाग मे अछि जे एहि किताब कें बेस गुरुत्वपूर्ण बनबैत अछि.
मिथिलेशजी केर काव्य-लेखनक दस्तावेज जकां एहि पोथी कें देखल जा सकैत अछि जाहि मे हिनक 2010 धरिक कविता सब सम्मिलित कएल गेल अछि. हिनक कविता सब मे गाम-प्रवास, चिंतन-विचार, भविष्य-वर्तमान सब विद्यमान अछि. जेना-जेना कविता पढ़ैत आगू बढ़ल जाएब कवि रूप मे मिथिलेशजी प्रभावी होइत भेटैत छथि.
हिनक कविता सब सहजता आ गंभीरता कें एक संगे नेने चलैत अछि. सामान्य सं सामान्य पाठक कें एहि संग्रह मे रोचकता आ विषय विविधता भेटैत अछि, ओतहि गंभीर पाठक कें चिंतन-विमर्श लेल सेहो भरपूर स्पेस देइत अछि. काव्य लेखनक व्यर्थ आडम्बर सं मुक्त मिथिलेशजी केर कविता सब सहजता आ भाषिक सौन्दर्य सं परिपूर्ण अछि.
कविता संग्रह 'जाबत धरि सपना अछि शेष' केर अनेक उल्लेखनीय पक्ष सब अछि जे एकरा दीर्घकाल धरि चर्चाक केंद्र मे बनओने राखत. ज्ञानदीप प्रकाशन सं प्रकाशित एहि पोथी कें जरूर पढ़ल जेबाक चाही. मिथिलेश कुमार झा हमर प्रिय कवि मे सं छथि आ हुनक रचना सब एकठाम पढ़बाक सुयोग एहि संग्रह माध्यम सं भेटल अछि जे आह्लादित करैत अछि.