मैथिली कें विश्व स्तर पर ठाढ़ करबाक प्रयोजन: अर्धनारीश्वर


मैथिली साहित्यिक स्वनामधन्य हस्ताक्षर गिरिजानन्द झा ‘अर्धनारीश्वर’ संग भेंटवार्ता एतय प्रस्तुत अछि. साहित्यिक विजय इस्सर हुनक गाम बाथ (मधेपुर, मधुबनी) मे हुनका सं भेंट क’ भाषा-साहित्य पर विस्तार सं बातचीत केलनि अछि.
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प्रणाम! अपने मैथिली साहित्यक आधार स्तम्भ, कतेको युवा रचनाकारक प्रेरणा स्रोत आ बहुआयामी कलमकार छी. अपने कथाकार, निबंधकार, कवि, संपादक इत्यादि रूपें मैथिलीक श्रीवृद्धि कएल अछि. अपन लेखन यात्राक संबंध मे कहल जाओ जे शुरू केना भेलै?
सबसं पहिने धन्यवाद जे अपने ई भेंटवार्ताक आयोजन कएल. सर्वप्रथम हमर साहित्यिक रुझान इसकूल मे अपन कमजोर हिन्दी कें सुधार करबाक बहन्ने साहित्य पढबाक माध्यम सं भेल. हम प्रेमचंदक गद्य साहित्यक प्रति आकृष्ट भेलहुं आ ओतहि सं प्रेरित होइत रहलहुं. जतए सभ प्रेमचंदक गोदान कें सर्वश्रेष्ठ उपन्यास कहैत छथि ओतए हमरा दृष्टि सं रंगभूमि सर्वश्रेष्ठ अछि. ओतहि सं प्रभावित भ' हमरो किछु लिखबाक लउल जागल. हमरा मोन भेल जे हमहूं किछु लिखी. 1972 मे जहन हम डिग्री 1 केर छात्र छलहुं तहिए सं लिखब आरंभ कएल मुदा 1986 मे बोकारो स्टील प्लांटक चाकरी भेटलाक बाद मिथिला सांस्कृतिक परिषद बोकारो द्वारा हमर प्रथम कथा संग्रह "कलंकिनी" प्रकाशित भेल आ हमहूं रचनाकारक रूपें चिन्हित भेलहुं. ओतहि सँ हमर लेखनक धारा प्रवाहित होइत आबि रहल अछि. ओहि सं पहिनहुं हम संस्थाक स्मारिका सभ मे लिखैत छलहुं मुदा मुख्य रूप सं पोथी प्रकाशित भेलाक उपरांत हम साहित्यिक मुख्य धारा मे समाहित भेलहुं. हमर रचना धारा बहैत रहल.

अपने लेखनक प्रेरणा कतए सं पबैत छियै? एखन धरि अपनेक कोन-कोन पोथी आबि चुकल अछि? 
साहित्यिक संगति आ कार्यक्रम सब सं बेस लाभान्वित भेलहुं, जाहि सं लेखन काज मे लागल रहलहुं. 1993 मे बोकारोक कथा गोष्ठी 'सगर राति दीप जरए' केर आयोजन भेल छल. ओतए हमर कथा पाठ भेल आ कथा बेस चर्चित-प्रशंसित भेल. ओकर बाद हम करीब चालीसटा सं बेसी कथा गोष्ठीक माध्यम सं अपन रचना देश-विदेश मे पढ़ैत रहलहुं. ओहि संदर्भ मे जनकपुर मे हम सीता जी सं संबंधित एकटा कथा वैज्ञानिक आधार लेइत लिखि सुनाओल जकर बड़ आलोचना भेल. मुदा जाहि महाविद्यालय मे कथागोष्ठीक आयोजन छलैक, ओकर प्राध्यापक हमर पक्ष लेइत अपन वक्तव्य देलनि. हम आलोचना सहैत अपन कथा मे वैज्ञानिक आधार देइत विज्ञान परक कथा लिखब नहि छोड़ल. आइ हम गर्व सं कहि सकैत छी जे मैथिली मे विज्ञानपरक कथाक आरंभ हमरे द्वारा भेल. ओकर बाद हम अपन कवितो वैज्ञानिक आधार आ विज्ञानपरक विंबक संग लिखब जारी रखलहुं. 

पोथी प्रकाशनक बात करी त' कहबे केलहुं जे 1986 मे मिथिला सांस्कृतिक परिषद बोकारो द्वारा हमर प्रथम कथा संग्रह "कलंकिनी" प्रकाशित भेल छल. फेर 1996 मे साहित्य अकादेमीक सहयोग सं बोकारो मे कथा विषय पर सेमिनार केर आयोजन भेल आ ओहि परिपेक्ष्य मे हमर दोसर पोथी "हाइकमान्ड" प्रकाशित भेल जे मूलतः आलेख संग्रह छल. ओकर भूमिका माननीय भीमनाथ झा जी द्वारा लिखल गेल छल. पोथी बोकारो आ आन साहित्यकार मंडली सं खूब प्रशंसित भेल. एहिना क्रमागत रूपें हमर पांचटा पोथी मैथिली मे आ एकटा हिन्दी मे प्रकाशित भेल अछि जाहि मे कथा संग्रह- कलंकिनी, नीलकंठ, अन्हार गलियारी आ कविता संग्रह- माएक नाम चिठ्ठी, काव्यलोक ओ निबंध संग्रह- हाइकमाण्ड. संगहि कोशी संदेश पत्रिकाक संपादन आ आन-आन सभ पत्रिका मे कतिपय रचना प्रकाशित भेल अछि. एखन एकटा हिन्दी काव्य संग्रह "सूरज का सच" सेहो प्रकाशित भेल अछि जाहि मे वैज्ञानिक सिंबोल कें राखि एकटा नव प्रयोग भेल अछि.


'कोशी संदेश' पत्रिकाक संपादन अनवरत क' रहल छी. एहि पत्रिकाक सम्बन्ध मे किछु प्रकाश देल जाओ. पत्रिकाक उद्देश्य सेहो कहल जाए?
हम 2013 मे जखन बोकारो स्टील प्लांटक चाकरी जीवन सं अवकाश प्राप्त क' गाम एलहुं त' मोन मे ई बात छल जे जाहि मैथिलीक लेल हम सभ बाहर रहि एतेक काज कएल से मिथिलाक अपन माटि पर सेहो किछु हेबाक चाही. ओहि मे हमरा सहयोग भेटल "मिथिलाञ्चल कोशी विकास समिति" नामक संस्थाक स्थापना सं जकर संस्थापक अध्यक्ष श्री शंभुनाथ मिश्र हमरा एहि मे जोड़ि एक्टिव मेंबर बनओलनि. ओ संस्थाक सोविनियर निकलबाक सोचि रहल छलाह. हम अपन विचार देल जे पत्रिका निकालल जाए. हमर बात मानि ओ हमरा दायित्व देलनि जे हम 2014 सं एखन धरि निर्वाह क' रहल छी. कोशी संदेश केर उद्देश्य आन पत्रिका सं किछु भिन्न छै. हम खाली साहित्यिक रचनाक छपौनी नहि कोशी अंचलक मूल समस्या जेना पलायन, विस्थापन, विपन्नता आ ओकर निदानक चर्च कें प्रमुखता देइत छियै. एहि किछु नव-नव रचनाकार, एमए, पीएचडी आदि कें छात्र सभक रचना छापि प्रोत्साहन सेहो कएल जाइछ. कोशी संदेश बिना मूल्य सुदूर देहात गाम धरि पहुंचेबाक उद्देश्य जनजागरण सं जुड़ल छै. कोशी संदेश पहिल पत्रिका अछि जकरा अंतरराष्ट्रीय  ISSN रजिस्ट्रेशन भेटल छै. हम सभ भरि डांर पानि हेलि बाढिक समय मे गाम-गाम धरि ई पत्रिका लोक सभ कें उपलब्ध करओने छी. हम सभ मिथिलाक वर्तमान समस्याक निदान आ ओकर बाट निकलबाक प्रयास करैत रहैत छी तैं बीच-बीच मे विशेषांक सेहो बहराइत अछि जेना अखन लाॅकडाउन मे रहितो हम सभ उद्योग विशेषांक प्रकाशित केलहुं अछि.


एखन मैथिली साहित्य क्षेत्र मे बहुत नव रचनाकार सभ आबि रहल छथि. खूब पोथी सब आबि रहल छै. नवतुरिया रचनाकारक परिप्रेक्ष्य मे मैथिलीक वर्तमान आ भविष्य कोन रूपें देखैत छी?
हम नवतुरिया सं बड़ आशान्वित छी. ओना मैथिली मे नव लोक कें प्रश्रय देबा सं किछु लोक परहेज करैत छथि जे ठीक नै! हम दिल्ली मे आयोजित मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल मे गेल रही. ओतए युवा सभक उत्साह आ जीवटता देखि बहुत प्रसन्नता भेल. आइ युवा सब क्षेत्र मे बहुत नीक काज क' रहल छथि. मैथिली भाषा कें अष्टम अनुसूची मे अएलाक बाद मैथिली कें विश्व स्तर पर ठाढ़ करबाक प्रयोजन छल ताहि मे हम सभ पछुएल छी. हम नवतुरिया रचनाकार सभ कें आह्वान करबनि जे मैथिली कें रचनाक माध्यम सं विश्व स्तरीय बनाबथि. खाली हिंदी पर आश्रित नै रहि आन भाषाक साहित्यक अध्ययन करथि. जर्मन, फ्रेंच, ग्रीक आओरो आन आन भाषा पढ़थु आ ओहि अध्ययनक बल सं मैथिली मे विश्वस्तरीय रचना करथु. मैथिली आब खाली मिथिला धरि नै रहै. मैथिलीक झंडा विश्व साहित्य मे जगजिआर हेबाक चाही.

मैथिलीक अतीत बड़ समृद्ध रहल अछि साहित्यिक रूपें! विश्व साहित्य मे मैथिलीक अवदान आओर बलगर होएत से आशा करैत छी. लेखनक दृष्टि सं किछु विशेष सुझाव आ मार्गदर्शन देबै युवा सब कें?
एहि संदर्भ मे बहुत रास बात कहल गेल अछि तथापि हम कहब जे केवल मात्र साहित्यिक रचना सं मैथिली समृद्ध नै होएतीह. हमरा सब कें विज्ञान, इतिहास, भूगोल पर लिखए पड़त. अर्थशास्त्र पर लिखल जेबाक चाही. जेना हमर मैथिल संतान लंदन स्कूल ऑफ इकोनोमिक्स सं पढ़ैत छथि त' मैथिली मे ओहि स्तरक पोथी किएक ने लिखल जा सकैत अछि! हम त' कहब जे भौतिक विज्ञान आ रसायन विज्ञान केर पोथी सेहो मैथिली मे होएबाक चाही, तहने मैथिली समृद्ध होएत.

अखन मिथिला मे लगन छै. विवाह, उपनयन आदि संस्कार सभ चलि रहल अछि. हम सभ देखि रहल छी जे हमर संस्कृतिक क्षरण भ' रहल अछि. चारू दिस डीजे पर भोजपुरी अश्लील गीतक अनघोल भ' रहल अछि. एकरा अपने कोन रूपे देखि रहल छी?
एहि सं बड़ आहत छी. निश्चित रूप सं एकटा टटका ड'र आब हिन्दी छोड़ि ई भोजपुरी सं भ' रहल अछि. भोजपुरी खराब भाषा छै से बात नै, मुदा जाहि रूपें भोजपुरीक माध्यम सं अश्लीलता परसल जा रहल छै ओ चिंतनीय जरूर छै! हमरा सभ कें एकर विरोध करए पड़त. सभ कलाकार कें साकांक्ष होबए पड़तनि. डीजे ध्वनि प्रदूषण सं बहुत क्षति भ' रहल छै. एहि पर सरकारी नियंत्रण सेहो होएब अति आवश्यक!

परिस्थिति प्रतिकूल छै मुदा मैथिली भाषा-संस्कृति एहनो स्थिति मे बचल छै, बचल रहतै, जानकी सहाय छथिन. एहि भेंटवार्ता मे आब विराम दिस जा रहल छी, अपने भविष्यक किछु योजना, ओकर प्रारूप आ हमरा सभ लेल किछु आशीर्वचन कहबै?
हम अखन एकटा बायोग्राफिकल नाॅवेल जे 'खंड पखंड जिनगी' नाम सं एतै ओहि पर काज क' रहल छी. ई हमर अपन जीवनक लेखा-जोखा अछि. किछु निबंध आ आलोचनात्मक आलेख सेहो लिखलहुं अछि, ओकरो पुस्तकाकार करबाक योजना अछि. हम मैथिलीक प्रति पूर्ण आशान्वित छी. अपने जे हमरा सं ई साक्षात्कार लेल ताहि लेल अपनहुं कें आ संगहि मिथिमिडिया कें बहुत-बहुत धन्यवाद, आभार!

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