बीति रहल जिनगी घामक टघार सन: बिनय भूषण


अदंक हिया मे, जिनगी पहाड़ सन
काया मे कम्पन, पुस मास-ठाड़ सन

सुरूज छथि रूसल, भागल क्षितिज दिस
जिनगीक दिवस आइ, लागय अन्हार सन

समयक वक्ष पर, धमकल अछि जेठ मास
बीति रहल जिनगी, घामक टघार सन

उपासक आसन सँ, काया अछि लकलक
खून बिनु काया, ठठरीक हाड़ सन

खापड़ि मे धीपि रहल, बालु संघर्षक
फूटि रहल लाबा, जिनगी कनसार सन

मोनक बाट पर, दौड़ि रहल आशा केर अश्व
कविता मे आशा, कविता घुड़सार सन
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