आखर वेबिनार: वंचित मनुष्य ओ पर्यावरण लेखनक मूलभाव


प्रभा खेतान फाउंडेशन, मसि इंक आ श्रीसीमेंट केर संयुक्त तत्वावधान मे 'आखर' द्वारा शनिदिन (20 मार्च) कें वेबिनार आयोजित भेल. एहि मासिक वेबिनार मे साहित्यकार दिलीप कुमार झा सं मिथिमीडिया सम्पादक रूपेश त्योंथ विस्तार सं बातचीत केलनि.

रूपेश सं बातचीत करैत दिलीपजी कहलनि जे साहित्य दिस हुनक रुझान नेनहि सं रहलनि अछि. शुरुआत मे ओ अध्ययन पर जोर देइत छलाह जे धीरे-धीरे लेखन दिस अएलाह. दिलीपजी स्पष्ट करैत कहलनि जे ओ  पहिने पाठक छथि. डेढ़ दशक धरि गंभीर अध्ययन उपरान्त लिखबाक विषय मे सोचने छलाह. हुनका जखन लागल छलनि जे किछु अपना दिस सं कहल जाए तखने ओ लेखन दिस बढ़लाह. 

अपन कविता केर केंद्रीय भाव मे ओ वंचित मनुष्य तथा पर्यावरण कें रखबाक चेष्टा करैत छथि. एखन साहित्य लेखनक जे स्थिति अछि ताहि पर बजैत दिलीपजी कहलनि जे आधुनिक काल केर आरंभिक कवि चंदा झा रहथि वा बाद केर यात्री-नागार्जुन, आम जन जीवन केर विषय लगातार साहित्य मे अबैत रहैत अछि. दिलीप जी मैथिली मे मुख्य धारा संग उपधारा सबहक चलन पर सेहो बात केलनि.


रूपेश त्योंथ केर प्रश्नक जवाब देइत दिलीप कुमार झा कहलनि जे हुनका जखन लगलनि जे अपन बात विस्तार सं कहबाक चाही जे कविता मे आबि नै पबैत अछि त' ओ कथा-उपन्यास दिस बढ़लाह. मैथिली किताब केर प्रमोशन विषयक प्रश्न पर दिलीपजी कहलनि जे मैथिली मे कथा और उपन्यास केर किताब प्रचारित होएबाक चाही. प्रकाशक कने अधिक स्पष्ट व्यावसायिक आ लाभकारी योजना सब आनथि जाहि सं लेखक सब कें पोथी प्रकाशन आ वितरण संबंधी सुविधा हेतनि. 

एक घंटा सं बेसी चलल वेबिनार मे हजारक संख्या मे भाषा प्रेमी लोकनि जुड़लाह. धन्यवाद ज्ञापन मसि इंक केर संस्थापक आ निदेशक आराधना प्रधान केलनि. कार्यक्रम मे ऊषा किरण खान, श्याम दरिहरे, कमल मोहन चुन्नू, नारायणजी, मृदुला प्रधान, मिथिलेश कुमार झा, शिवशंकर श्रीनिवास, रमण कुमार सिंह, जयनारायण गिरि, कथाकार अशोक आदि अनेक साहित्यिक लोकनि लाइव उपस्थित रहलाह.
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