कवि देश मे व्याप्त भ्रष्टाचार, लूटि, बइमानी आदि सं दुखी छथि आ चुप्प रहब कठिन लागि रहल छनि. एहि स्थितिक विरुद्ध देशवासी कें ललकारा दऽ रहल छथि. मिथिलाक समृद्ध अतीत मुदा बिलटल वर्तमान सं दुखी कवि फराक मिथिला राज्य चाहैत छथि. जखन अधिकांश मनुक्ख जीबैत लहास सन हो तऽ प्रजातंत्र सं प्रजा अलोपित हेबे करताह. मिझाएल दीपक माध्यमे कवि धैर्य, विश्वास, जिजीविषा ओ कर्तव्यक प्रति अपन प्रतिबद्धता व्यक्त करैत छथि.
समाज, संस्कृति ओ भाषाक लेल वचनवीर ओ कर्तव्यविमुख मैथिलक मानसिकता पर सेहो कवि चोट करैत छथि. मनुक्खक संसार छोट भेल जा रहल छै. तथापि कवि आसक दीप जरओने मिथिलाक महात्म्य गबैत छथि. नेताजीक कुकुर बीमार पड़लै, इंटरनेट आ मैथिल कें विषय बना समकालीन राज ओ समाज पर चिक्कन व्यंग्य केने छथि.
कविक मन मे मिथिला आ मैथिलीक हेतु अगाध श्रद्धा छनि. एहि प्रसंग कइएकटा गीत ओ कविता अछि. कवि मिथिला वर्णन करैत, मैथिलीक विशिष्टता कहैत, जागरण गीत गबैत मातृभाषा ओ मातृभूमिक विकासक लेल मैथिल सं बेर-बेर निहोरा करैत छथि. संग्रह मे एकटा युगल प्रेमगीत सहित आरो कएटा कोमल भावक सुन्दर गीत अछि.
कवि स्वयं गबैया छथि. तैं गीत सभ तऽ बेस उजियाएल छन्हिए, जे, अधिकांश कविता सेहो गेय छनि. कविक एहि पहिल संग्रहक स्वागत करैत हिनका बधाइ ओ शुभकामना!