पोथी समीक्षा: राजपथ सं मिलैत कविताक 'बाट एकपेरिया'


कवि ओ गीतकार कामेश्वर झा 'कमल' जीक पहिल कविता संग्रह छनि 'बाट एकपेरिया' जे 2015 मे ज्ञानदीप प्रकाशन, मधुबनी सं प्रकाशित भेल छनि. कमलजी मिथिलादीप, मधेपुर, मधुबनीक निवासी छथि आ कोलकाता मे रहैत छथि. प्रस्तुत संग्रह मे हिनक 49 गोट कविता छनि। हिनक कविता सभ शब्द चयन, प्रवाह, शैली, संप्रेषण आदिक स्तर पर फराक सं चीन्हल जा सकैत अछि. संग्रहक कविता सभ मे कवि देश ओ समाजक विभिन्न विडम्बना, प्रकृति, गाम, मानवता आदिक चर्चा केने छथि. किछु कविता मे व्यंग्य सेहो बेस सुतरल छनि.

ई एक दिस संस्कृति मे होइत क्षरण, दुर्बल होइत जड़ि, खसैत राजनीतिक स्तर, स्वार्थ, बेटीक बाप केर लाचारी, आपसी कलह, स्वाधीनताक बाद जनताक टूटल सपना, जन-बनिहारक दुर्दशा, समाज मे व्याप्त विडम्बना, महगी, मैथिलीक नाम पर होइत स्वार्थसिद्धिक खेल, आतंकवाद, संवेदनहीनता आदि वर्तमान विडम्बना सभ कें अपन विषय बनओने छथि तऽ दोसर दिस प्रकृतिक मोहक रूप, प्राकृतिक प्रकोप, मानव हृदयक प्रेम आदि सेहो हिनक कविता मे अपन महत्वपूर्ण स्थान बनओने अछि. मैथिलीक लेल सर्वाधिक महत्वपूर्ण अछि जे वीररसक कविता आ प्रयाण गीतक शैली मे ओजपूर्ण कविता पाठक कें अपन कर्तव्यक प्रेरणा देइत अछि. कवि गाम कें नगर सं बेसी महत्वपूर्ण मानैत छथि आ से एखुनका परिस्थिति मे एकदम सटीक लगैत अछि.

कमलजी देशक 'अतिथि देवो भव:' केर महान परंपरा आ देश कें भेल तकर कटु अनुभवक सेहो चर्चा करैत प्रकारांतर सं देशवासी कें भूत सं सीखैत भविष्यक प्रति साकांक्ष करैत छथि. हिनक ध्यान देश मे गरीबक कल्याणक नाम पर चलैत योजना आ ताहि मे लागल घून पर सेहो गेल छनि. एहि सभक संगहि कवि भविष्यक प्रति निराशा कें छोड़ि आशा ओ विश्वासक संग संसारक अगुआएल समाज सं प्रेरणा लऽ आपसी एकता बढ़ा आगां बढ़बाक आवाहन करैत छथि.

कहल जा सकैए जे कमलजीक 'बाट एकपेरिया' कविताक राजपथ सं जा मिलैत अछि जाहि मे समाज, देश ओ मानवताक कल्याणक अभिलाषा अछि. समस्त कविता पढ़बा आ मनन करबा जोगर अछि, सहज आ सरल अछि. सामान्य सं सामान्य पाठक सभटा कविता बुझि सकैत छथि. टाका दामक ई संग्रह अवश्य पढ़ल जेबाक चाही.

— मिथिलेश कुमार झा

पोथी मंगेबाक हेतु संपर्क : कामेश्वर झा 'कमल' - 94344 85762

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