अग्निजीवी काव्यधाराक प्रमुख हस्ताक्षर 'राम लोचन ठाकुर'


मैथिलीक विरल व्यक्तित्व 'राम लोचन ठाकुर'
 संग गपशप निमित्तें 2 फरबरी 2020 कें हुनक दमदम आवास पर भेंट कएल. संग छलाह रूपेश त्योंथ. डेराक केबाड़ फुजिते हुनक पत्नी पूर्ण आपकता आ आह्लादक संग स्वागत केलनि. रामलोचनजीक ठोर पर उएह चिरपरिचित मुसकी. कुशल क्षेम भेल. पत्नी भयंकर बीमारी सं बांचि क' उठलखिन अछि. हुनका देखि आनंद भेल. ठाकुरजी कें विस्मरण होइत छनि आ तैं मैथिली पत्रकारिता आ संपादन पर हुनक अनुभवक संदर्भ मे फइल सं जनबाक आकांक्षा पूर नहि भ' सकल. तथापि गप्प करैत जे किछु कहलनि से एहिठाम प्रस्तुत कएल जा रहल अछि.

कवि रूपें विख्यात श्री राम लोचन ठाकुर मैट्रिक पास क' रोजीरोटीक लेल कोलकाता आएल रहथि. ओ कविता लिखब कोलकाता मे आरंभ केलनि अथवा गामहि पर, ताहि प्रसंग मे कहलनि जे ओ कविता लिखबाक आरंभ गामहि पर क' देने छलाह अर्थात इसकुलिया छात्र रहिते. ठाकुरजी 1962-63 मे कोलकाता आएल रहथि. एहिठाम मैथिली आन्दोलन मे सक्रियताक प्रसंग कहलनि जे पितिऔत अग्रज शुकदेव ठाकुर अखिल भारतीय मिथिला संघ मे सक्रिय रहथिन, अस्तु हुनके प्रेरणा सं स्वाभाविक रूपें ओहो मैथिली भाषा आन्दोलन सं जुड़ि गेलाह. 

राम लोचन बाबू संभवतः मैथिली आन्दोलने चलते मैथिली रंगमंच सं सेहो जुड़लाह आ अभिनय, निर्देशन आदि मे योगदान देइत बहुत रास बांग्ला नाटकक मैथिली अनुवाद बेस कुशलताक संग केलनि. आवश्यकतानुसार हास्य-व्यंग, आलेख आदि सेहो लिखैत रहलाह. मुदा साहित्यक मूल विधा हिनक कविता रहलनि. ई विद्रोही कवि छथि. अग्निजीवी काव्यधाराक प्रमुख हस्ताक्षर छथि.

अग्निलेखन मे अपने अपना बाद किनका सभ कें महत्वपूर्ण मानैत छिअनि? एहि पर अग्निपुष्प, कुणाल, नरेन्द्र, कुमार ज्योतिवर्द्धन आदिक नाम लैत छथि. अग्निलेखनक आरंभकर्ताक रूपें डाक्टर वीरेंद्र मल्लिकक नाम लैत छथि. ओना उल्लेखनीय इहो अछि जे एहि धाराक पहिल कविता संग्रह हिनके छपल रहनि 'इतिहासहन्ता' जे अग्निलेखनक दस्ताबेज कहल गेल रहए.


हुनका सं मैथिली पत्रकारिता पर गप्प होइत अछि. एही मांझ हुनक पत्नी चाह-बिस्कुट परसै छथि. तीनू गोटे से ग्रहण करए लगै छी. घर मे नजरि खिरबै छी. बुकशेल्फ सभ नहि अछि. टाल लागल पोथी सभ छलनि- मैथिली, बांग्ला, अंग्रेजी आदि भाषा मे. एक्कहुटा पोथी कत्तहु नहि अभरि रहल अछि. राम लोचन जी से गमि लैत छथि. हंसैत कहै छथि- की तकै छियै, सभटा राजारहाटबला डेरा पठा देलियै. हम पूछै छियनि, मैथिली पत्रकारिता मे एखन सभ सं पैघ समस्या की छै? ओ कहै छथि, लेखन, प्रकाशन, वितरण, पूंजी, पाठकक कमी सभ समस्ये समस्या छै, कते कहू!

राम लोचनजी मैथिली आन्दोलन मे लागल रहल छलाह. मैथिलीक नाम पर ओ अहर्निश तैयार रहैत अएलाह अछि. मैथिली विरोधी बात आ मैथिलीक अपघात होइत देखि छिलमिला उठैत छथि. मैथिली आन्दोलन मे कोना सक्रिय भेलियै? एहि प्रसंग कहैत छथि जे मन मे तऽ मैथिली गामहि पर सं छल. एहि ठाम आबि मैथिली आन्दोलनक परिवेश भेटल आ से सक्रिय भऽ गेलियै.

आओर किछु पारिवारिक बात सब भेल. हुनक पौत्र आलोक सं सेहो रामलोचनजीक स्वास्थ्य मादे जनतब लेल. तत्पश्चात विदा हेबाक आज्ञा मंगैत छियनि. हुनक पत्नी हमरा सभ कें भोजनक आग्रह अपन चिर आपकताक संग करैत छथि. हमरा लोकनि माफी मांगि विदा होइत छी. दुनू गोटे पहिनहि जकां लिफ्ट धरि अरियातै छथि आ पुन: अएबाक आग्रह करैत छथि.

- - - - 
राम लोचन ठाकुर (18 मार्च, 1949 - 25 मार्च 2021) मैथिली आन्दोलनी, मातृभाषाक सेनानी, रंगकर्मी, कवि, अनुवादक ओ संपादक रूपें विख्यात छथि. हिनक मैथिलीक प्रति प्रतिबद्धता अनुपम अछि. ई कुमारेश काश्यप, अग्रदूत आ मुर्तजा अली छद्म नामे सेहो रचना केलनि. आयकर विभागक चाकरी सं अवकाश पओने छथि. हिनक विपुल रचना संसार मे प्रमुख अछि:

काव्य: इतिहास हंता (1977), माटि-पानिक गीत (1985), देशक नाम छलै सोन चिड़ैया (1986), अपूर्वा (1996), लाख प्रश्न अनुत्तरित (2003) आदि.

हास्य-व्यंग्य: बेताल कथा (1981, कुमारेश काश्यप छद्मनाम सं).
 
संस्मरण: स्मृतिक धोखरल रंग (2004), आंखि मुनने : आंखि खोलने (2005). मैथिली लोक कथा (1983 ओ 2006).

पत्रिका सम्पादन (स्वतंत्र, संग आ कार्यकारी): अग्निपत्र, रंगमच, मैथिली दर्शन, सुल्फा, मिथिला दर्शन आदि.

एकर अतिरिक्त कइएकटा पुस्तकक सम्पादन एवं विपुल संख्या मे कविता संग्रह, नाटक, उपन्यास आदिक अंग्रेजी आ बांग्ला सं अनुवाद सेहो कएने छथि.

सम्मान: प्रबोध साहित्य सम्मान, भाषा भारती सम्मान, विदेह सम्मान, किरण साहित्य सम्मान, यात्री-चेतना पुरस्कार, मिथिला सांस्कृतिक परिषद (कोलकाता), मिथिला सेवा ट्रस्ट (बागुइआटी, कोलकाता) द्वारा अभिनंदन आदि.

— मिथिलेश कुमार झा

(मिथिमीडिया एंड्रॉएड ऐप हेतु एतय क्लिक करी. फेसबुकट्विटर आ यूट्यूब पर सेहो फ़ॉलो क' सकै छी.)
Previous Post Next Post