इतिहास कें ल' बड़का-बड़का बात सुनैत जेहन लगैत हो मुदा कलकत्ता प्रवासी लोकनि इतिहास बनैत देखलनि. अवसर छल 'नवआयाम' दिस सं 'कनफुसकी' नाटकक मंचन केर. रबीन्द्र भारती विश्वविद्यालय जोड़ासांको ठाकुरबाड़ी सं लागल रथीन्द्र मंच प्रेक्षागृह मे महानगरक रंगप्रेमी लोकनि उमड़ि पड़ल छलाह. भाषा-संस्कृति लेल ठाढ़ भेल 'नवआयाम' केर ई पहिल प्रस्तुति ने मात्र रंगमंचीय जगतक धियान अपना दिस आकर्षित केलक अपितु एक्कहि चोट मे कतिपय समस्याक समाधान द' गेल.
टूटल मिथ, एक संग अनेक महिला कलाकारक आमद
मैथिली रंगमंच कें ल' ई मिथ रहल अछि जे एतय महिला कलाकार नै भेटि पबैत अछि. आंगुर पर गिनल जा सकबा योग्य मैथिलानी कलाकार मैथिली रंगमंच पर सक्रिय देखल जाइत रहल छथि. कलकत्ताक बात करी त' एक सं दूटा महिला पात्र भेने नाटक मे बंगाली महिला कलाकार कें उतारब मजबूरी बनल देखल जाइत छल. बीतल लगभग दू दशक सं रंगमंच ओ कला क्षेत्र मे काज क' रहल किरण झा कें ई बात खटकैत रहल छल.
जखन हुनका निर्देशन मे रूपेश त्योंथ लिखल नाटक 'कनफुसकी' केर तैयारी शुरू भेलै त' ई अद्भुत संयोग रहलै जे ओ ई नाटक सम्पूर्ण रूप सं मैथिलानी प्रतिभा द्वारा मंचित करबाक ने मात्र निर्णय लेलनि अपितु एकरा एकटा चैलेंज कें रूप मे देखैत ऐतिहासिक डेग बढ़ओलनि. उल्लेखनीय अछि जे पुरुष भूमिका जे कि नाटक मे बेसी छल से सब महिला कलाकार द्वारा सफलतापूर्वक खेलल गेल.
जखन हुनका निर्देशन मे रूपेश त्योंथ लिखल नाटक 'कनफुसकी' केर तैयारी शुरू भेलै त' ई अद्भुत संयोग रहलै जे ओ ई नाटक सम्पूर्ण रूप सं मैथिलानी प्रतिभा द्वारा मंचित करबाक ने मात्र निर्णय लेलनि अपितु एकरा एकटा चैलेंज कें रूप मे देखैत ऐतिहासिक डेग बढ़ओलनि. उल्लेखनीय अछि जे पुरुष भूमिका जे कि नाटक मे बेसी छल से सब महिला कलाकार द्वारा सफलतापूर्वक खेलल गेल.
रविदिन 21 अप्रील कें आयोजित कार्यक्रम मे 45 मिनट अवधिक कनफुसकी नाटक अप्रतिम मंचीय सफलता अर्जित केलक. प्रेक्षागृह मे बेर-बेर थोपड़ीक स्वर गुंजैत रहल त' ओतहि दर्शकक दुर्लभ सपोर्ट देखल गेल. नाटक समाप्तिक बादो लोक कलाकार लोकनिक उद्गार सुनबाक लेल सीट पर बनल रहलाह.
की अछि 'कनफुसकी' नाटकक विषय-वस्तु
'कनफुसकी नाटक लगभग 15 साल पहिने रूपेश त्योंथ लिखने छलाह जे एकठाम प्रकाशितो भेल छल. स्पष्ट अछि जे एहि नाटक कें मंच धरि अबैत लंबा समय लागल अछि. कलकत्ता मे एतेक रास नाट्य दल अछैत किए एना भेल, ताहि पर फराक विमर्श भ' सकैत अछि.
टेलीफोन बूथ 'कलकत्ता कनफुसकी केन्द्र' केर इर्द-गिर्द नाटक चलैत अछि, जतय विभिन्न पात्र अबैत-जाइत संवाद माध्यम सं ने मात्र व्यंग्य करैत छथि अपितु दर्शक कें मनोरंजन करैत कतिपय सामाजिक संदेश देइत छथि. व्यंग्य रूपेश केर फेवरिट विधा रहल अछि आ ई नाटक व्यंग्य करैत कतेको ठाम दर्शक कें ने मात्र कनेक्ट करैत अछि बल्कि हंसबाक संगहि सोचबा पर मजबूर करैत अछि.
रूपेश त्योंथ 'कनफुसकी' नाटक कें समक्ष आनब सं ल' मंचन धरिक संपूर्ण क्रेडिट डायरेक्टर किरण झा कें देइत छथि जे मूल नाटक मे आमूल परिवर्तन क' दर्शक कें एकटा नीक शो देखओलनि. लेखक अपना दिस सं मूल कथानक ओ संदेश कें सुरक्षित रखैत जोड़-तोड़ लेल डायरेक्टर कें स्वतंत्र छोड़ने छलाह. इहो एक कारण रहल जे नाटक एतेक सफलता अर्जित क' सकल.
जें कि ई 'कनफुसकी' नाटकक पहिल मंचन छल, किताब अबैत एहि मे जरूरी सुधार ओ विस्तार देल जा सकैत अछि. फीडबैक कें धियान मे रखैत मैथिली मंच कें एकटा नीक नाटक देबाक प्रयास एखन जारी अछि. जाहिर अछि जे युवा लेखक रंगमंचीय जगत मे समधानल डेग बढ़ेबा हेतु सजग छथि. रूपेश त्योंथ ग्रामीण रंगमंच पर विभिन्न तरहक बैकस्टेज काज करैत अभिनय धरि केने छथि. हिनक ओ अनुभव नाट्य लेखन कें बेस प्रैक्टिकल बनबैत अछि.
कनफुसकी नाटकक कलाकार ओ किरदार
पहिनहुं उल्लेख कएल गेल अछि जे नाटकक सब भूमिका मैथिलानी कलाकार द्वारा निमाहल गेल. मेकअप आ अभिनयक जुगलबंदी मे ई अकानब कठिन रहल जे पुरुष भूमिका मे महिला छथि! एहि सं स्पष्ट भेल अछि जे हमरा सभक बीच प्रतिभाक कोनो कमी नै अछि. इमानदारीपूर्वक प्रयास हो त' एक्सक्यूज़ सब फुइस-फटक्का साबित होएत. कम सं कम कलकत्ता रंगमंच पर महिला कलाकारक कमी केर ढोल अबस्से फूटल साबित भेल अछि.
कलाकार आ किरदार: सत्या झा (जीबछ), अनुराधा मिश्र (फुलकुम्मरि), मेनका ठाकुर (खबरी), जयलक्ष्मी झा (मोहना आ किसुन गुंडा), अनु दास (लाल काकी) ओ संगीता मिश्र (पंडीजी) अपन अभिनय सं दर्शक कें प्रभावित केलनि.
कनफुसकी केर ट्रैक गीत आशीष कुमार झा केर स्वर मे छल त' बैकग्राउंड सं भगवतीक गीत पूनम दास केर स्वर मे छल. रेडियो जॉकी (उपिन्दर उटपटांग) केर स्वर लेखक रूपेश त्योंथ केर छलनि. मंच ओ लाइट व्यवस्था रथीन्द्र मंच केर त' बैकग्राउंड स्कोर 'अशोक दा' केर छलनि.
सुशीला चौधरी कला प्रोत्साहन पुरस्कार
नाट्य क्रियाकलाप कें जियओने रखबा हेतु नव प्रतिभाक आगमन आ तकरा उचित प्रोत्साहनक जरूरति महसूस करैत बीतल वर्ष सं किरण झा अपन माएक नाओ पर वार्षिक पुरस्कार शुरू केने छथि. एहू साल नव प्रतिभा अनुष्का ठाकुर, आयुषी ठाकुर, सिमरन मिश्रा, स्मृति झा कें नृत्य आ आशीष कुमार झा कें गायन हेतु श्रीमती सुशीला चौधरी कला प्रोत्साहन पुरस्कार देल गेल. कलाकार लोकनि मंच पर अपन प्रस्तुति सेहो देलनि.
नाट्य क्रियाकलाप कें जियओने रखबा हेतु नव प्रतिभाक आगमन आ तकरा उचित प्रोत्साहनक जरूरति महसूस करैत बीतल वर्ष सं किरण झा अपन माएक नाओ पर वार्षिक पुरस्कार शुरू केने छथि. एहू साल नव प्रतिभा अनुष्का ठाकुर, आयुषी ठाकुर, सिमरन मिश्रा, स्मृति झा कें नृत्य आ आशीष कुमार झा कें गायन हेतु श्रीमती सुशीला चौधरी कला प्रोत्साहन पुरस्कार देल गेल. कलाकार लोकनि मंच पर अपन प्रस्तुति सेहो देलनि.
किरण झा मिथिमीडिया कें जनबैत छथि, नवांकुर कें मार्गदर्शन करबाक हेतु हम सदति तत्पर आ कटिबद्ध छी. जे कोनो प्रतिभा कें कला क्षेत्र मे आगू बढबाक हो से हमरा सं संपर्क मे रहि सकैत छथि. उचित मार्गदर्शनक संग हम सब नबका कें अवसर सेहो प्रदान करबाक लेल समर्पित छी. एहि अवसर पर नाटक मे भाग लेनिहार समस्त लोकनि कें 'नवआयाम प्रतिभा सम्मान' देल गेलनि.
कार्यक्रम 'सखी-बहिनपा' केर सौजन्य सं भेल छल जे कि महानगर मे जबरदस्त उपस्थिति दर्ज केलक. काठमांडू सं मुख्य अतिथिक रूप मे आएल आरती झा ओ सुनीता धनानिया कें अभिनंदन पत्र द' सम्मानित कएल गेलनि. एहि अवसर पर हिमाद्री मिश्र आ देवरती अपन गायन सं अमिट छाप छोड़लनि.
कार्यक्रमक ऑनलाइन पार्टनर योदादी छल त' ओतहि मिथिमीडिया द्वारा मीडिया सहयोग प्रदान कएल गेल छल. महानगरक कतिपय अखबार एहि कार्यक्रम कें प्रमुखता सं कवर केलक. संस्थाक कार्यकारी शीतलेन्द्र झा कहैत छथि, कनफुसकी आब जगजियार भेल अछि आ आशा करी जे भाषा-संस्कृति क्षेत्र मे नवआयाम निस्सन काज सब करैत रहत.
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