कलकत्ता मैथिलक काबा-काशी अछि आ से एकर अपन अवदान रहलैक अछि. आरंभहि सं कलकत्ता प्रवासी भाषा-संस्कृति कें संपोषित केलनि अछि. एकर ने मात्र पुरान परंपरा रहल अछि अपितु एखनो धरि लगातार लगभग सब क्षेत्र मे कलकत्ताक भूमि पर काज भ' रहल अछि. नाटकक बात करी त' बीतल तीन दशक सं कोकिल मंच महानगर मे कलाकार तैयार करबाक संगहि कतिपय निर्देशक सेहो तैयार केलक अछि. एकरे प्रतिफल अछि जे नाटक विधा पर काज केनिहार नबका हेंज नजरिक सोझां उपस्थित अछि.
"नाट्य उपक्रम कें ल' निर्देशक गंगा झा केर योगदान आ कर्मठता कें युग-युग धरि स्मरण राखल जाएत."
एहि तीन दशक मे तीन दर्जन नाटकक ओ निर्देशनक संगहि नाट्य लेखन, अनुवाद आदि क्षेत्र कें सेहो समृद्ध केलनि अछि. मैथिली रंगमंच मे हिनक योगदान कें देखैत 'मैलोरंग' दिस सं निर्देशक गंगा झा कें पहिल श्याम दरिहरे रंग सम्मान सं सम्मानित कएल गेलनि अछि. हिनका ई सम्मान किछु दिन पूर्व दिल्ली मे आयोजित कार्यक्रम मे देल गेलनि अछि.
निर्देशक गंगा झा केर कर्मभूमि कलकत्ता आगमन पर महानगरक बुद्धिजीवी लोकनि अभिनंदन समारोह आयोजित केलनि. एहि अवसर गंगा बाबू कें पुष्पगुच्छ, दोपटा आदि सं अभिनंदित कएल गेलनि. रविदिन 3 मार्च कें बागबाजार लाइब्रेरी सभागार मे आयोजित कार्यक्रम मे उपस्थित बुद्धिजीवी लोकनि गंगा झा केर योगदानक चर्चा केलनि त' संगहि रंगमंचक आनोआन पक्ष पर विमर्श प्रस्तुत केलनि.
कार्यक्रमक अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार रामलोचन ठाकुर केलनि त' संचालन रंजीत कुमार झा ओ भवनाथ झा संयुक्त रूप सं केलनि. एहि अवसर पर कवि विद्यानंद झा, बिनय भूषण, नबोनारायण मिश्र, भास्कर झा, मिथिलेश कुमार झा, डॉ. अनमोल झा, ब्रजेश झा, ललित मिश्र, अमल किशोर मिश्र, कामेश्वर कमल, प्रेम झा, आमोद कुमार झा, चंदन कुमार झा ओ रूपेश त्योंथ सहित कतिपय बुद्धिजीवी लोकनि कलकत्ताक मैथिली रंगमंच पर अपन विचार रखलनि.
ज्ञात हो जे 'मैलोरंग' एहि सं पहिने कलकत्ताक रंगमंचीय अवदान कें अकानैत दयानाथ झा, किरण झा ओ रंजीत कुमार झा कें सम्मानित क' चुकल अछि.
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