युवा कवि प्रणव नार्मदेय केर पहिल पोथी कविता संग्रह 'विसर्ग होइत स्वर' केर विमोचन 15 जुलाइ कें मधुबनीक केन्द्रीय पुस्तकालय मे संपन्न भेल. एहि अवसर पर जिलाक प्रतिष्ठित साहित्यिक लोकनि उपस्थित छलाह. नवारम्भ द्वारा प्रकाशित एहि पोथीक विमोचनक संगहि समीक्षा सेहो भेल.
कविता पोथी पर साहित्यिक रमेश केर कहब छनि जे प्रणव केर कविता सब मे जीवन मे व्याप्त तमाम तरहक विसंगति केर प्रतिकार मौजूद अछि. आडंबर आ विडंबना संग मुठभेड़ करब हिनक मुख्य काव्य-वृत्ति छनि. कार्यक्रमक अध्यक्षता करैत पंचानन मिश्र कविता कें जीवनानुभव केर अभिव्यक्ति बतओलनि.
पोथी विमोचनक अवसर पर कवि संग साहित्यिक लोकनि |
डॉ. कमल मोहन चुन्नू कविताक सराहना करैत कविक बिम्ब-प्रतीक पर इजोत देलनि. डॉ. दमन कुमार झा, दिलीप कुमार झा, मैथिल प्रशांतसहित अनेक साहित्यिक लोकनि एहि कविता पोथी पर अपन विचार रखलनि. कार्यक्रमक संचालन नवारम्भक निदेशक अजित आज़ाद ओ धन्यवाद ज्ञापन स्वयं प्रणव नार्मदेय केलनि.
विदित हो जे ई पोथी अमेजन पर उपलब्ध छै, नीचांक लिंक पर क्लिक क' पोथी कीनल जा सकैछ.
'विसर्ग होइत स्वर' अमेजन पर उपलब्ध - एतय कीनू.
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