सिमरियाधाम: घर बैसल करू हर-हर गंगे!

सिमरियाधाम मे कल-कल प्रवाहित परम पुनीता मां गंगा केर महत्व मिथिलावासी लेल बहुत बेसी रहल अछि. कवि कोकिलक गंगा प्रेम जगविदित अछि त' एकर अपन पौराणिकता अछि. मैथिल कें एतहि स्नान स्नान करब फलित होइछ. राजा जनकक मिथिला मे तीन देवी अवतरित भेल छथि. जनकसुता जानकी, देवी अहिल्या आ समुद्र मंथन सं मां लक्ष्मी साक्षात अवतरित भेल छलीह. सिमरियाधाम मे समुद्र मंथन भेल छल जतय भगवान विष्णु मोहिनी रूप धारण क' मंथन सं निकलल अमृतक वितरण केलनि. सिमरियाक कल्पवास बड़ प्रसिद्ध रहल अछि जकरा कुंभक अवशेष मानल जाइछ. कहल जाइछ जे विवाहोपरांत मिथिलावासी सीता कें सिमरिया धरि अरियातय आएल छलाह. सिमरिया कें मिथिलाक सीमा रूप मे सेहो पहिचानल जाइछ. एकर संगहि ई स्थल अंगराज कर्णक समाधिस्थल, विद्यापतिक गंगा प्रेम, जयमंगलागढ, चौसठ योगिनी मंदिर आ कवि दिनकरक गाम रूप मे सेहो ख्यात रहल अछि.

ट्रेन यात्रा मे मिथिला सं बाहर अबैत कालक वीडियो अछि जे सिमरिया क्रॉस करबा कालक अछि. एहि वीडियोक माध्यम सं घर बैसल सिमरियाधाम कें निहारू, गंगाक दर्शक करू.

बड़ सुख सार पाओल तुअ तीरे...!



हर हर गंगे!

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