गाम छुटि गेल अछि. शहरक सिहकैत महत्वाकांक्षी बिर्रो जेना चारू भर सं गोलिया नेने अछि. टस-मस होयबाक अवसर नहि.
दशकक कोलकाता प्रवास मे गाम आंगुर पर गिनल 3-4 बेर गेल होयब. एहि हिसाबें आब हमरा गाम आ गामक लोक बहरिया बुझैत अछि.
एक मित्र कहलनि जे ओ आब हमरा लिस्ट मे नहि रखने छथि. कोनो सामाजिक वा पारिवारिक काज मे पहुँचिते ने छियैक त' फेर केहन गमैया?
ओ सत्ते कहलनि. गाम सं कटल जा रहल छी. मात्र एक भावनात्मक डोर बन्हने अछि जकर एक छोर गामक ओहि पीपरक डारि सं बान्हल छैक जकर छांह मे पटिया ओछा पढैत नेनपन किशोरवयक डांग पकड़ने छल. आ तकर बादे हम समस्तीपुर सं टिरेन धयने छलहुँ जे हमरा कोलकाता केर टीटागढ़ मे आनि पटकने छल.
गाम जाइ छी तs लगइए जिनगीक पीसी केर जेना F5 बटन टीपल गेल हो. गाम जाइ छी तs पुबाइर टोल वाली काकीक रत्तन कें, बौआ काकाक खुरखुर कें, पितामहीक बरदक्खा कें, पितामहक सरबन कें, किरकेटिया मित्र सभक फेवीकोल कें आ ओकरा सभ कें तकैत छी जे गाम सँ प्रथमहि डेग उठबिते ने जानि कतय कोन दोग मे सन्हिया गेल.
गामक कोन-कोन तकैत छी ओकरा सभ कें जे अतीव महत्वाकांक्षी रूपेश सँ पिंड छोड़ा कतहु बिला जेना गेल अछि.
— रूपेश त्योंथ
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