KB SERIES #8: फुटि गेलनि कप्पार

पोखरिक भीड़ पर करमान लागल लोक छल. सब किछु ने किछु बरबरा रहल छल मुदा केओ फरिछा कऽ नहि बजैत छल जे आखिर की भेल छैक. 

हम बाध दिस सँ आपिस आबि रहल छलहुं. जाय काल देखने छलियैक जे दू सोरहि लोक पोखरिक चारूकाते बैसि बंशी सँ माछ मारि रहल छल. 

एहन बेसी काल भऽ जाइत अछि. कोनो जमाना रहल होयत जहिया ई पोखरि कोनो एक व्यक्तिक छल होयत. मुदा आब ओहि एक व्यक्तिक ततेक पाटन भऽ गेल छैक जे जँ सभ केँ पोखरिक पानि बॉंटि देल जाय तऽ शाइत भारि गिलास कऽ नहि हिस्सा होयतैक. 

अराड़ि पर सभ माछ मारय लेल बैसल छल बगुला दृष्टि देने. भोरक नौ बाजि रहल छल. एखन लोक पूर्ण रूप सँ सक्रिय नहि भेल छल. तइयो एहिठाम एतेक लोक किए जमा भेल अछि सैह सोचैत छलहुँ कि सुगन देखबा मे आयल.

सुगना केँ हम पूछि देलियैक जे की भेलैक अछि हौ. ओ कहलक, अहीं दोसक कपार फुटि गेलनि अछि. हमरा आश्‍चर्य भेल. खुरचन भाइ तऽ मारि-दंगा मे फँसयवला लोक नहि छथि. फेर कोना हुनक कपार फुटि गेलनि. के फोड़ि देलकनि हुनक कपार. ई सब सोचिते हम ओतय पहुँचि गेलहुँ जतय बेसी लोक जुटल छल. 

ओतय खुरचन भाइ माथ पर हाथ धऽ बैसल छलाह. हुनक मुँह खून सँ भीजि गेल छल. सब हुनक ई दशा देखि दुख प्रकट करैत छल आ बलदेव केँ दोषी कहैत जुर्मानाक बात करैत छल. खुरचन भाइ केँ सांत्वना देबयवलाक कोनो कमी नहि छल. कमी छल तऽ ओहि लोकक जे हुनका तत्काल डाक्टर लग ल' जेतनि. 

भाइक मुँह देखि लागल जे कने काल बीति गेल हुनक कपार फुटला. कारण खून सभ जमि गेल छलनि. हम तत्काल खुरचन भाइ केँ सोझे डाक्टर लग लऽ गेलियनि चौक पर जतय सातटा टांका पड़लाक बाद डागदर हुनका छोड़लकनि. 

दवाइ सब देलाक बाद हुनका आठ दिनक बाद फेर आबय लेल कहि विदा कऽ देलकनि. हालांकि, एहि बीच मे कम्पोंडर घर पर आबि पट्टी बदलि जाइत छलनि. 

बाद मे स्पष्ट भेल जे भाइक कपार फुटलनि कोना!

पोखरि मे बलदेव केँ बेसी हिस्सा छलैक नहि आ सभ पर-पटिदार माछ मारि रहल छलैक. ओ पोखरिक माछ कें हड़कयबाक लेल ईंटाक एकटा द'ल फेंकलक पोखरि मे, कि तखने खुरचन भाइ ठाढ़ भऽ गेलाह. ईंटाक चेप पोखरि मे खसय सँ पहिने हिनक माथ सँ टकरा गेल आ हिनक माथ भंगा गेलनि. 

असल मे, बलदेव नहि देखलक जे भाइ ओतहि बैसल बंशी खेला रहल छथि. ओतय पोखरिक चारू कात वकोध्यान लगौने लोक सभ केँ माछ मारबा मे अवरोध उत्पन्न करबा लेल एहन कयलक. जँ भाइ ओहि काल मे ठाढ़ नहि होइतथि तऽ कपार फुटबा सँ बाचि जइतनि. मुदा लिखलहवा केँ केऽ मेटा सकैत अछि. ओहि घटना केँ एखनहुँ मोन पारि भाइक हाथ सोझे माथ पर चलि जाइत छनि.

— नवकृष्ण ऐहिक


मैथिली दैनिक 'मिथिला समाद' मे अगस्त 2008 सं दिसम्बर 2009 धरि दैनिक रूपें प्रकाशित धारावाहिक व्यंग्य 'खुरचनभाइक कछमच्छी' केर एक अंश. ज्ञात हो जे रूपेश त्योंथ अखबारक एहि लोकप्रिय कॉलम लिखबाक हेतु छद्म नाम 'नवकृष्ण ऐहिक' केर प्रयोग केने छलाह. 
Previous Post Next Post