मिथिलाक जन-जीवन कृषि आधारित अछि. एतुक्का लोक-व्यवहार, पावनि-तिहार, कला-संस्कृति कें गौर सं देखबै त' कृषि सभक मूल मे भेटत. राजा जनक ह'र उठेबाक बात जग विदित अछि जाहि सं सीताक प्रादुर्भाव भेल. खाहे महाभारत काल मे डोनेशन लेल जखन पांडव मिथिला अबैत छथि त' जनक कें धाने बीछैत पबैत छथि आ तकर आगूक कथा सबहक ठोर पर अछि. मुदा जखन आधुनिकताक तथाकथित बिर्रो उठलै त' पहिने कृषि नष्ट भेलैक आ आब कृषि-परम्परा निपत्ता भेल जा रहल छै. फलतः मिथिला संस्कृति क्षरित भेल गेलैक अछि.
एही सभ मौलिक बिंदु पर सोचैत #ब्रांडमिथिला कें प्रभावशाली ढंग सं आगू अनलाह अछि मनीष आनंद. मखानक कतिपय आइटमक संग मसल्ला, हर्बल चाह, आमक अचार, आमिल, अदौरी, तिसियौरी, कुम्हरौरी आदि अनेक पारंपरिक खाद्यक सीरीज कें 'मिथिला नेचुरल्स' नाम सं अनलाह अछि. समस्त प्रोडक्ट कें विश्व बाजार कें धियान मे राखि तैयार कएल गेल अछि.
विगत दिन कोलकाता मे ASSOCHAMदिस सं ASEAN Buyers meet मे मनीष अपन उत्पाद संग उपस्थित भेल छलाह जतय बेस आह्लादकारी प्रतिक्रिया भेटलनि. मिथिलाक मखान आ पारंपरिक स्वाद आब देश-विदेश मे पहुंचबा लेल तैयार अछि.
विशेष बात ई अछि जे मनीष अपन प्रोडक्ट जरैल (मधुबनी) मिथिला मे तैयार करैत छथि आ व्यावसायिक क्रियाकलाप फरीदाबाद सं होइत अछि. ई जाहि तैयारी आ ऊर्जा सं लैश देखल जा रहल छथि, मिथिला बेस उद्योगक सोन सन भविष्यक आहटि कें सहजें अकानल जा सकैत अछि.