मैथिली वेब पत्रकारिता ओ मिथिमीडिया


मिथिइवेंट 2014मे आयोजित 'वेब पत्रकारिता ओ मैथिली' विषयक संगोष्ठीमे युवा साहित्यकार चन्दनकुमार झा द्वारा पढ़ल आलेख.

मैथिली पत्रकारिता:
1780 ई.मे बंगाल गजेटक प्रकाशनक संगहि भारतमे पत्रकारिताक आरम्भ भेल आ तकर चारि दशक बाद 1819 ई.मे बंगाली पत्र-संवाद कौमुदीक प्रकाशनक संगहि भारतीय भाषामे पत्रकारिताक आरम्भ भेल. भारतमे पत्रकारिताक शुरुआतक करीब 125 बरख आ भारतीय भाषामे पत्रकारिताक शुरुआतक करीब  करीब 86 बरखक बाद मैथिली-पत्रकारिताक शुरूआत भेल जखन 1905ई.मे जयपुरसँ "मैथिल हित साधन"क प्रकाशन आरम्भ भेल. एहि तरहेँ देखैत छी जे मैथिलीमे पत्रकारिताक जन्म अन्यान्य भारतीय भाषाक अपेक्षा बेस पछुआयल छल मुदा, आइयो करीब 110 बरखक वयस बितलाक बादहु मैथिली पत्रकारिता ठीकसँ चलब नहि सीखलक अछि, तखन फेर एकटा प्रशिक्षित आ प्रोफेसनल धावक सन दौगब तँ दीगर बात थिक. पछिला सय बरखक अपन जीवन-यात्रामे मैथिली पत्रकारिताक रूग्णावस्था नहि दूर भेलैक. ई कहियो व्यावसायिक रूपेँ स्वस्थ नहि रहल. मैथिली पत्रकारिता मात्र घाटाक व्यवसायक पर्याय बनल. फलस्वरूप मात्र अस्तित्वक लड़ाइ लड़ैत मैथिली पत्रकारिता एखनधरि जनाकांक्षाक अबाज नहि बनि सकल. एहि सम्बन्धमे मिथिला मिहिरक सम्पादक पं.शुधांशु शेखर चौधरीक हैत छथि—“असलमे पत्रकारिताक चरम उद्देश्य होइत अछि जनाकांक्षाक पूर्तिक दिशामे ओकर वाणीकेँ मुखरित करब जे कि मैथिली पत्र-पत्रिका एहि आदर्शसँ च्युत रहल अछि तेँ ने तँ ओकर समुचित विकास भेलैक अछि आ ने ओ जनमासक अपनत्व प्राप्त कऽ सकल अछि ।” (स्रोत-मिथिला दर्पण,मार्च-अप्रैल 2012, मे डॉ.बुचरू पासवानक आलेख "मैथिली पत्रकारिताक आधुनिकीकरण”)

मैथिली पत्रकारिताक एहि विफलताक पाछाँ कारण गनाओल जाइत अछि जे-"पत्रकारिता की थिक, ओकर उद्देश्य की होइत छैक, ओ कतेक काज कऽ सकैत अछि, ओकरा बढ़ौनिहारक की योग्यता हेबाक चाही, एहि सभ पर सम्यक विचार प्रस्तुत करबाक बदला जिनकामे पत्रकारिताक विधाक ज्ञान लेशो मात्र नहि छनि तिनकर विचारकेँ जँ प्राथमिकता देल गेल-(स्रोत-मिथिला दर्पण,मार्च-अप्रैल 2012,डा. बुचरू पासवान) लेकिन फेर जँ एहि कारण गनौनिहार व्यक्ति सभसँ प्रतिप्रश्न कएल जाइत अछि तँ इहो सभ घूरि-फिरि ओतहि अटकि जाइत छथि जे-मैथिली पत्रकारिताक क्षेत्रमे व्यवसायिक प्रबन्धकीय दृष्टिकोणक अभाव छैक. मैथिली पत्रकारिताक एहि दूरावस्थापर "मिथिला दर्शन"क संपादक श्री नचिकेताक निम्नलिखित टिप्पणी सेहो ध्यान देबाक योग्य अछि-“मैथिली पत्रकारिता, खास कऽ पत्रिकाक प्रकाशनसँ संबंधित तीन टा मुख्य समस्या हमरा वर्तमान मे देखाइत अछि. पहिल आ' सभसँ पैघ समस्या छैक जे मैथिलीमे एखनो नियमित रूपेँ स्तरीय रचना नहि भेटि पबैत छैक. लेखक सभ अपन रचनाकेँ जल्दी सँ जल्दी प्रकाशित करबा लेल अगुताएल रहैत छथि. नव आ' नीक रचना ताकब खाली हमरे लेल नहि अपितु प्रायः सभ संपादकक लेल समस्या छन्हि.

दोसर समस्या छैक जे हम सभ एखनो व्यवसायिक दृष्टिकोणसँ नहि सोचैत छी, पत्र-पत्रिकाक वितरणक व्यवस्था पर धेयान नहि दैत छी. पाठक मोफतमे पत्रिका पढ़य चाहैत छथि. एहिठाम कहि दी जे हमसभ (मिथिला दर्शन) मुफ्तमे बाँटब बन्न केने छी. एहिलेल किछु गोटे कहबो केलाह जे हमर सभकेँ तऽ सभदिन मोफते मे पत्र-पत्रिका भेटैत रहल अछि आ' तैँ हमरा सभक प्रति हुनका सभक मोनमे कष्ट सेहो हेतैन्ह. मुदा, आब ई परिपाटी बंद करबाक बेगरता अछि आ' प्रकाशक सभकेँ अपन-अपन बिजनेस मॉडल बना पत्र-पत्रिका बहार करबाक चाहियनि.

एहि क्षेत्रक तेसर समस्या छैक जे पत्र-पत्रिका तऽ बहुत बहरायत छैक मुदा फेर अनियमित भऽ जाइत छैक आ' क्रमशः बंद बऽ जाइत छैक. हमर सभक प्रयास रहैत अछि जे पत्रिका अपन नियमित प्रकाशनक तिथिसँ सात दिन पहिनहि तैयार भऽ जाए. अनियमित प्रकाशनक समस्या आब ई-पत्रिका सभमे सेहो देखबामे अबैत अछि किंतु ओ' बहुत कम छैक."

उपर जे अनेक समस्या सभक चर्च कएल अछि तकरे परिणाम थिक जे-पछिला सय बरखमे मैथिलीमे करीब तीन सय पत्र-पत्रिकाक प्रकाशन आरम्भ तँ भेल मुदा, अधिकांश अल्पायु-एमे काल-कवलित भऽ गेल. आश्चर्यक विषय थिक जे, हमसभ तकर अकाल मृत्युपर बिना कोनो शोक प्रकट कएने, एहिसँ बचबाक कोनो विशेष उपाय तकने बस एही बातपर अपन पीठ ठोकैत रहलहुँ जे- जँ एकटा पत्रिका मरलै तँ दोसराक जन्मो तँ भेलैक...क्रमतँ कहियो नहि टुटलैक...! किन्तु हम सभ आइ मैथिली पत्रकारिताक जाहि इतिहासपर गौरव करैत छी ताहि सम्बन्धमे पं. सुधांशु शेखर चौधरीक निम्न विचारपर सेहो हमरा सभकेँ चिन्तन करबाक चाही. ओ कहैत छथि –“विशाल संख्यामे जे मैथिली पत्र-पत्रिका अकाल मृत्यु भेलैक अछि से मैथिली भाषीक हेतु कहियो गौरवमय चित्र नहि प्रस्तुत कऽ सकैत अछि, अपितु ई कहबाक चाही जे मैथिलीक एक-एक मुइल पत्र मैथिलीक वक्षपर उगि आयल फोका थिक जकरा फोड़लासँ प्रत्येक मैथिली-स्नेहीकेँ मर्मान्तक पीड़ाक अनुभव भऽ सकैत छैक.” (स्रोत-मैथिली पत्रकारिताकःदशा ओ दिशा).

पं.चन्द्रनाथ मिश्र 'अमर', “मैथिली पत्रकारिताक इतिहास”मे सेहो स्वीकार करैत छथि जे- मैथिली पत्रकारिताक आइ धरिक उपलब्धि एतबे कहल जा सकैत अछि जे पत्रकारिता विकासक संभावनाकेँ जियौने रहल अछि तहिना इहो कहल जा सकैत अछि जे मैथिली पत्र-पत्रिका अपना भीतर एतबा साक्ष्य अवश्य रखने अछि जे समाजमे होइत परिवर्तनकेँ ओहिमे अकानल जा सकय." ...मुदा, की एखनो मात्र अकानले जा सकय? ओकर स्पष्ट प्रतिबिंब किएक नहि झलकैत छैक आबहु? एहि तरहेँ जँ आइ धरिक मैथिलीक पारम्परिक (प्रिन्ट) पत्रकारिताक इतिहास जकरा हम मात्र मैथिली साहित्यिक पत्रिकाक इतिहास बुझैत छी, केर अध्ययन केलासँ प्रतीति होइत अछि जे मैथिली पत्रकारिताक जन्म अन्यान्य भारतीय भाषाक पत्रकारितका अपेक्षा जहिना पछता भेल रहैक तहिना, विकासक क्रममे सेहो मैथिली पत्रकारिता आइ प्रायः सय बरख पछुआयल अछि.जखन कि विश्व-पत्रकारिता कि अन्यान्य भारतीय भाषाक पत्रकारिताक समकक्ष ठाढ़ हेबाक हमरा सभकेँ अपेक्षाकृत अधिक प्रयास करबाक छल मुदा, दुर्भाग्यवश हमसभ आइयो प्रायः 1905सँ आगाँ नहि बढ़ि सकलहुंअछि.

मिथिला मिहिर केर प्रकाशन कालकेँ मैथिली पत्रकारिताक स्वर्णकाल मानल जाइत अछि मुदा, ई पत्रिका चूँकि एकटा साहित्यिक पत्रिका छल तेँ पत्रकारिताक सभटा गुण एकरामे नहि छलैक. हमरा हिसाबेँ 2004 केर बादक वर्षकेँ मैथिली पत्रकारिताक इतिहासमे सर्वाधिक महत्वपूर्ण काल मानल जायत जखन मैथिलीमे दू टा दैनिक, ई-पत्रिका आ अनेक वेब पोर्टल, रेडियो तथा टेलीविजनपर मैथिलीमे समाचार प्रसारण आदि शुरू भेल आ देशक विभिन्न ठामसँ साहित्य-संस्कृतिकेँ समर्पित पत्रिकाक प्रकाशन भेल.

मैथिली वेब पत्रकारिता:
वेब पत्रकारिता कमप्यूटर ओ इन्टरनेटक सहायतासँ, डिजिटल तरंगकेर माध्यमसँ संचालित होमयबला पत्रकारिता थिक जकरा ऑनलाइन, इन्टरनेट, साइबर पत्रकारिता, आदिक नामसँ सेहो जानल जाइत अछि. वेब पत्रकारिताक अन्तरगत मुख्यतः तीन तरहेँ सामग्री प्रकाशित कएल जाइत अछि-1. प्रिन्ट मीडियामे प्रकाशित सामग्रीक ऑनलाइन संस्करण 2. ऑनलाइन सामग्री जकर आंशिक प्रकाशन प्रिन्ट सेहो होइत अछि आ 3. एहन पोर्टल वा समाचार साइट जे मात्र इन्टरनेट पर संचालित होइत अछि. आब इन्टरनेट पर दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक, द्वैमासिक, त्रैमासिक, आदि हरेक आवृतिक पत्र-पत्रिका सहज उपलब्ध अछि. एखन जे पत्र-पत्रिका वा व्लॉग-वेवसाइट आदि इन्टरनेट पर वेब-पत्रकारिताक क्षेत्रमे सक्रिय अछि तकरा विषय-वस्तुक दृष्टिसँ साहित्यिक,आर्थिक, राजनैतिक, शैक्षिक, सांस्कृतिक,समाचार प्रधान आदिमे वर्गीकृत कएल जा सकैत अछि. हलाँकि इन्टरनेटपर प्रकाशित कोनो सामग्रीकेँ सीमा विशेषमे बान्हल नहि जा सकैए मुदा एकर सांदर्भिकताकेँ रेखांकित करैत एहिपर  प्रकाशित सामग्रीक दृष्टिकोणसँ एहि पत्र-पत्रिकादिकेँ स्थानीय, राष्ट्रीय ओ अन्तराष्ट्रीय स्तर केर पत्र-पत्रिकादिमे वर्गीकृत कएल जा सकैए. आइ भलेँ वेब-पत्रकारिताक विश्वसनीयतापर विश्वभरिक किछु प्रतिशत आबादी प्रश्नचिन्ह ठाढ़ करैत हो मुदा ई कहबामे कोनो अतिशयोक्ति नहि होयत जे- जाहि तरहेँ लोकक जीवन प्रोद्योगिक केन्द्रित भऽ रहल अछि, लोकक टेक्नोलॉजीपर निर्भरता बढ़ि रहलैक अछि, आ सम्पुर्ण विश्व समुदाय संचार क्रान्तिक संवाहक बनल अछि, निकट भविष्यमे विश्वक प्रत्येक भाषामे वेब-पत्रकारिता सर्वाधिक लोकप्रिय आ विश्वसनीय होयत.

1980 केर दशकमे न्यूयार्क टाइम्स, वालस्ट्रीट जर्नल, आदि कतिपय समाचार-पत्र अपन वेब-संस्करण प्रकाशित आरम्भ कएलक आ प्रायः एतहिसँ  वेब-पत्रकारिताक आरम्भ मानल जाइत अछि. प्रसिद्ध टाइम मैगजिन 1994ई. मे पहिल बेर इन्टरनेटपर उपलब्ध होमय बला पत्रिका बनल. भारतमे "द हिन्दु" पहिल भारतीय अखबार छल जे 1995मे अपन वेब-संस्करण संग इन्टरनेटपर अवतरित भेल आ तकर तीन बरखक बाद 1998मे केवल अंगरेज़ीमे नहीं अपितु अन्य भारतीय भाषा यथा- हिंदी, मराठी, मलयालम, तमिल, गुजराती आदि भाषामे  देशक करीब 48 गोट समाचारपत्र केर वेब-संस्करण प्रकाशित होइत छल. एकटा आँकड़ाक मोताबिक 1997मे भारतक विभिन्न भाषामे वेब-पत्रकारिताक जे निम्न स्थिति छलः
भाषावार कुल पंजीकृत और ऑनलाइन पत्रक संख्या: 
1) अंगरेज़ी - 338 -19,2) हिंदी -2118 – 05, 3) मलयालम -209 – 05,4) गुजराती -99 – 04, 5) बंगाली -93 - 03
6) कन्नड - 279 – 03, 7) तेलुगु - 126 – 03, 8) ऊर्दू -495 – 2, 9) मराठी -283 – 01

1997 धरि अन्य भाषा यथा असमिया, मणिपुरी, पंजाबी, उडिया, संस्कृत, सिन्धी, मैथिली,आदि भाषामे ऑनलाइन पत्रकारिताक उदय नहि भेल छल. एकैसम शताब्दीक मध्य अबैत-अबैत देशक प्रायः हरेक भाषामे वेब-पत्रकारिताक जन्म भऽ गेल. इन्टरनेटपर ब्लाग तकनीकक विकास आ देवनागरीमे प्रकाशनक सुविधाक विकास भेलैक आ तकर बाद अन्य भारतीय भाषाक संग मैथिली भाषामे सेहो ऑनलाइन पत्रकारिता केर नव बाट खूजल. जे रकर्ड उपलब्ध अछि, ताहि अनुसारेँ 5 जुलाई 2004केँ "भालसरिक गाछ" ब्लॉगक माध्यमसँ मैथिलीक पहिल ई-पत्रिका विदेह-पाक्षिक केर प्रकाशन प्रारम्भ भेल आ एहि तरहेँ मैथिली वेब-पत्रकारिताक सूत्रपात भेल. बादमे ई पत्रिका Videha.co.in पर प्रकाशित होइत रहल अछि आ एखन धरि एकर कुल 166 अंक केर प्रकाशन भऽ चुकल अछि. एहि पत्रिकाक एकटा और महत्वपूर्ण विशेषता अछि जे एकर सभ अंक देवनागरी, तिरहुताक संग ब्रेल लिपिमे सेहो प्रकाशति होइत अछि. विदेह-पाक्षिकक प्रकाशन वस्तुतः मैथिली पत्रकारिता जगतमे एकटा आन्दोलन ठाढ़ कएलक. एखन धरि एहि पत्रिकाक माध्यमे नव रचनाकारक एकटा पीढ़ी तैयार भेल जे मैथिली साहित्यक विकासमे अपन महत्वपूर्ण अवदान दए रहल छथि. संगहि एहि पत्रिकाक माध्यमे एखनधरि अनेक विधा यथा- उपन्यास, कथा, कविता, गीत, गजल, हाइकु, शेर्न्यू, नाटक, निबंध, समालोचना, आदिक उत्थान लेल अभियान चलाओल जा रहल अछि । पोथी प्रकाशनक क्षेत्रमे सेहो विदेह समूहक महत्पूर्ण योगदान अछि. अनुमानतः एखनधरि एहि पत्रिकाक अंक सभकेँ विश्वभरिमे करीब पाँच लाखसँ बेसी बेर देखल जा चुकल अछि.

ओना कुमार पद्मनाभ (आदि यायावर)  सेहो दावा करैत छथि जे "कतेक रास बात" नामक हुनकर बनाओल ब्लाग Vidyapati.Org मैथिलीक पहिल वेब-पोर्टल थिक. नेपालसँ धीरेन्द्र प्रेमर्षी द्वारा संचालित पल्लव, हितेन्द्र ठाकुर द्वारा संचालित हेल्लोमिथिला, मिथिला लाइव आदि मैथिली वेब-पत्रकारिताक आरम्भिक समयक महत्वपूर्ण वेबसाइट सभ अछि. बादमे मैथिली वेब-पत्रकारिताक जगतमे इसमाद, मिथिमीडिया, मिथिलाप्राइम, मिथिलामिरर, नवमिथिला आदि अनेक समाचार पोर्टल आयल जे इन्टरनेट पर मैथिली पत्रकारिताकेँ आर अधिक सक्षमताक लेल निरन्तर कार्यरत अछि. एकर अलावे साहित्य, कला ओ संस्कृतिसँ जुड़ल सैकड़ो ब्लॉग आ पोर्टल अछि जतय मैथिली भाषा-साहित्यकविविध गतिविधिक जनतब उपलब्ध अछि.

मिथिमीडिया:
15 अगस्त 2012केँ मिथिमीडियाक जन्मक संगहि मैथिली वेब-पत्रकारिताकेँ नितांत मौलिक आ नवीन बाट भेटलैक. मौलिक एहि अर्थमे जे ओहि समयमे मिथिमीडिया एकमात्र वेब-पोर्टल छल जे मात्र मिथिला-मैथिलीसँ सम्बन्धित गतिविधिक समाचार प्रसारण संकल्पक संग सभक सोझाँ आयल छल. जेनाकि एकर परिचयमे सेहो लिखल छैक-"मैथिली मे अछिनरे वेब पोर्टल अछि. समाद, संगीत, साहित्य आदि विषयक वेबसाइट केर कोनो कमी नहि अछि. वेब पर मैथिली केर उपस्थिति अन्य भारतीय भाषा सं कम नहि अछि. तथापि शुद्ध ओ सटीक मैथिली समाद पोर्टलक खगता बनले अछि. एहि खगता कें पूर्ण करबाक उद्देश्यक एक प्रयास थिक मिथिमीडिया".

मिथिमीडियासँ पूर्व जे मैथिली समाद-पोर्टल सब छल ताहिमे मिथिलाक मौलिक आ निष्पक्ष खबरिक अभाव रहैत छलैक. ओ पोर्टल सभ हिन्दी-अंग्रेजीक विभिन्न पोर्टल सभक बासि-तेबासि समादकेर मैथिली अनुवाद परसैत छल जाहिसँ ओकरा सभक प्रति पाठकक मोनमे कोनो विशेष लगाव नहि उत्पन्न भेल. मिथिमीडियाक कलेवर, एहिपर प्रसारित सामग्रीक गुणवत्ता, एकर निष्पक्षता आ मौलिकता विश्वक विभिन्न कोनमे बसल मैथिलकेँ अपना दिस आकर्षित करबामे सफल भेल. एहि पोर्टलक उत्कृष्ट डिजाइनिंग आ भाषा शुद्धता एखनो मैथिलीक समस्त वेब-पोर्टलसँ कएक धाप बढ़िकऽ अछि. एहिपर प्रसारित विभिन्न सामग्रीक गुणवत्ता ओ विश्वसनीयताक सहज अनुमान एहिसँ लगाओल जा सकैत अछि जे ई विभिन्न मैथिली पत्र-पत्रिकाक अलावे नेपालसँ प्रसारित होमयबला रेडियो कान्तिपुरक "हेल्लो-मिथिला" सन लोकप्रिय कार्यक्रमक लेल सेहो कन्टेन्ट प्रोवाइडर केर काज करय लागल.

मिथिला-दर्शनक संपादक श्री नचिकेता सेहो एहि पोर्टलक प्रशंसक छथि. मात्र तीन बरखक अपन पत्रकारिताक यात्रामे मिथिमीडिया आइ मैथिली-वेबपत्रकारिताक एकटा महत्वपू्र्ण परिचिति बनि गेल अछि. समाज, साहित्य, राजनीति, कला-संस्कृति, रंगमंच,सिनेमा, आदि विभिन्न क्षेत्रसँ सम्बन्धित 600सँ अधिक पोस्ट आइधरि एहिपर भेल अछि, जाहिमे 27 गोट साक्षात्कार आ' विविध विषयक 34 गोट आलेख अछि. संगहि अनेको नव-पुरान रचनाकार लोकनिक रचना एतय प्रकाशित भेल छनि. मिथिमीडिया प्रायः मैथिलीक पहिल वेब-पोर्टल छल जे राजनीति,साहित्य, समाजसेवा, पत्रकारिता, रंगमंचसँ जुड़ल गणमान्य लोक यथा- श्री नचिकेता, धीरेन्द्र प्रेमर्षि, किशोरीकान्त मिश्र, गुणनाथ झा, प्रेमलतामिश्र प्रेम, शेफालिका वर्मा, धनाकर ठाकुर आदिक साक्षात्कार शृंखलाबद्ध ढंगसँ प्रस्तुत केलक. मैथिली साहित्यक विभूति लोकनिपर आधारित एकर परिचय शृंखला सेहो बेस लोकप्रिय भेल. संगहि ई समाद-पोर्टल अपन सामाजिक दायित्वकेँ चिन्हैत आ जनाकांक्षाकेँ स्वर दैत मिथिला-मैथिलीसँ जुड़ल ज्वलन्त सामाजिक-राजनैतिक मुद्दापर निर्भीक टिप्पणी करैत रहल अछि से चाहे मैथिली-भोजपुरी अकादमीमे भोजपुरीक बढ़ैत वर्चस्वपर हो कि मध्यमग्रामक घटनापर. अकर्मण्य मिथिला-मैथिली संस्थाक सेहो कटु आलोचनासँ मिथिमीडिया वंचित नहि रहल अछि. एकर अलावे कलकतिया मिथिला-मैथिली गतिविधि, देशभरिमे मनाओल जाए बला विद्यापति समारोह, कि कोनो विशेष समारोह आदिपर सेहो एकर विशेष नजरि रहैत छैक. मंगलिया नाट्यउत्सव दिल्ली, नेपालक साहित्यिक-सांस्कृतिक गतिविधि समेत विविध मैथिली समारोहक विशेष कवरेज सेहो एकर महत्वपूर्ण आकर्षण अछि. प्रगतिशील मैथिली पोर्टल अछि मिथिमीडिया. एकर मुख्य उद्देश्य मिथिला ओ मैथिलीक विभिन्न हलचल ओ हालचाल प्रकाशित ओ प्रसारित करब अछि. संगहि ई मिथिला, मैथिली ओ मैथिलक संस्था, अभियान व कार्यक्रमक ऑनलाइन प्रचारक काज सेहो करैत अछि.

उपसंहार:
1. एखनधरि मात्र 10 प्रतिशत भारतीय जनसंख्या इन्टरनेटपर सोशल नेटवर्कसँ जुड़ल अछि अतः आगामी समयमे एकर विकासक असीम संभावना छैक.
2. आजुक समयमे वेब एकमात्र माध्यम अछि जकरा माध्यमसँ मैथिली पत्रकारिता जगत १००००सँ मैथिलक बीच पहुँच सकैत अछि.
3. मैथिली वेब-पत्रकारिताक भविष्यमे महत्वकेँ देखैत आवश्यक अछि जे एकर शैशवावस्थेँ सँ उचित देख-रेख कएल जाए अन्यथा कहीँ भविष्यमे इहो अपंग-दुर्बल नहि बनि जाए.
4. एखन मैथिली वेब-पत्रकारिताक समक्ष जे सभसँ पैघ दू गोट समस्या छैक से थिक- १. संसाधन आ २. सामग्री. एकरा लग टेक्निक आ टैलेन्ट छैक.
5. मिथिमीडिया सन वेबपोर्टलकेँ जँ सालाना एक लाख रुपैयाक इन्वेस्टमेंट भेटि जाए (जे कि कोनो प्रिन्ट पत्रिकाक मात्र एक-दू अंकक लागतिक बरोबरि अछि) तँ मैथिली-पत्रकारिता जगतमे क्रान्ति आबि सकैत अछि. संगहि रोजगारक अवसर सेहो उपलब्ध हेतैक.
6. जेना कि नचिकेताक कथनकेँ पहिने उद्धृत कएल- नीक कन्टेन्टक सेहो बड़ अभाव छैक. स्थापित रचनाकार वेबपर अपन रचना नहि देबय चाहैत छथि जानि नहि किएक. तहिना हम सभ जे आयोजन करैत छी तकर समाचार छपाबय हेतु हिन्दी-अंग्रेजी पत्र-पत्रिकाकेँ विज्ञापन दैत छियैक, लॉबिन्ग करैत छी मुदा, मिथिमीडिया सन वेब-पोर्टलकेँ प्रेस-विज्ञप्तियो ससमय उपलब्ध नहि करबैत छी. एहिसँ मैथिली पत्रकारिता आ संस्था दुनूकेँ हानि होइत छनि.

हम आशा करैत छी जे आजुक एहि चर्चाक बाद हम सभ मैथिली वेब-पत्रकारिताक महत्वकेँ बूझब आ एकरा विकासक हेतु सार्थक प्रयास आ सहयोग करब.


#पेटारमेसं 
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