बाबा यौ...गांधीजी कें अहां देखने छियै? देश मे जखन सगरो अंगरेजक आतंक छल त’ अपनो गामक लोक डेराएल रहैत छल? एत्तहु ओ सभ जुलुम करैत छल? अहां कतेकटा रही जखन देश गुलाम छल? अहां लड़ाइ किए नै केलियै?
नेनहि सं अहीं सभ जकां हमरो साहित्य सं इतिहास धरि मे गुलामी सं अजादी धरिक खिस्सा पढाओल गेल. नाना प्रश्न नचैत रहैत छल. प्रश्नक अंबार आ जवाब देनिहार पितामहटा.
जखन कखनो अजादीक बात अबैत छल, हुनक आंखि मे अलगे तेज आबि जाइत छलनि. ओ बेस गर्वित होइत बजैत छलाह, ''गणेश भैया लड़ल छलाह अंगरेज सं. नान्हिएटा मे गोरका सभ कें पानि पिया देने छलाह ओ. पूरा मधुबनी मे हुनक नाम चलैत छलनि. कहियो काल क’ ललका टोपीबला सिपाही अपनो गाम दिस अबैक. खोज-पुछारि क' आपस चल जाइक. गणेश बाबू पर मोकदमा सेहो चलओने रहैक सरकार. एतबे नै, गोली हुनका छूबि क’ निकलि गेल रहैक एकबेर. जान ओ उसरगिए रखने छलाह, तथापि बांचि गेल रहनि. एहि दिन धरि चेन्हांसी देखबैत छलाह हमरा.”
एतेक बजैत पिताहमक आंखि डबडबा जाइत छलनि. जिनगी भरि ओ खुदीराम बोस सनक गोलगला सिया क’ पहिरैत रहलाह. हुनका सं गप्प क’ लागि उठैत छल जे ई बेस निकट सं गुलामीक आगि आ अजादीक इजोत तपने छथि. एहि सं बेस किछु जनितहुं हुनका सं, से अवगति ता नै भेल.
एतेक बजैत पिताहमक आंखि डबडबा जाइत छलनि. जिनगी भरि ओ खुदीराम बोस सनक गोलगला सिया क’ पहिरैत रहलाह. हुनका सं गप्प क’ लागि उठैत छल जे ई बेस निकट सं गुलामीक आगि आ अजादीक इजोत तपने छथि. एहि सं बेस किछु जनितहुं हुनका सं, से अवगति ता नै भेल.
मैट्रिक कएलाक बाद कलकत्ता एलहुं त’ ज्ञात भेल जे गणेश बाबू मैट्रिक करबा लेल कलकत्ता आएल छलाह. मधुबनीक वाट्सन स्कूल मे क्रांतिकारी गतिविधिक चलते हुनका आगूक शिक्षा लेल कलकत्ता आबए पड़लनि. कलकत्ता हुनका आओर पकिया क्रांतिकारी बना देने छलनि. एतय आबि ओ अनेक क्रांतिकारी लोकनिक संपर्क मे आबि गेलाह आ सशस्त्र क्रांतिकारी बनि गेलाह.
देश भरि मे अंगरेजी सरकारक विरोधक जुआरि आबि गेल छलैक. मैट्रिक पास क’ गणेश बाबू पुनः मधुबनी आबि गेलाह आ पूर्णकालिक स्वतन्त्रता सैनिक भ’ गेलाह. छोट-छोट उमेरक बच्चा सबहक एक दल कें ल’ काज शुरू क’ देलनि जे ‘बाल सेना’ कहबैत छल. दल कें ओ ट्रेनिंग सेहो देइत छलाह जे कोना गिरफ्तारी सं बचल जाए वा कोना पुलिस कें गच्चा देल जाए. कोना सरकार आ सरकारी तंत्र कें उछन्नर देल जाए.
1857 केर पहिल विद्रोह सं मधुबनीक आंदोलनी लोकनि स्वतंत्रता संग्राम मे उल्लेखनीय भूमिका निमाहलनि अछि. मंगरौनी गामक पंडित भिखिया दत्त झा सं प्रेरित भ’ वीर कुंवर सिंह लड़बा लेल तैयार भेल छलाह. अंगरेज झा कें गिरफ्तार क’ लेलक आ हुनक घर कें तबाह क’ देलक. ओ वीर कुंवर सिंह केर राजपुरोहित छलाह.
1917 मे गाँधीजीक चंपारण सत्याग्रह मे मधुबनीक लौकहावासी बौएलाल दास ओ शिबोधन दास सक्रिय रूप सं भाग लेलनि. गांधीजीक डांडी मार्च मे कुशेश्वर स्थान केर बेढ गामक गिरधारी चौधरी (जनतबक अनुसार समूचा बिहार सं एकसर) भाग लेने छलाह.
एही सभक गहींर प्रभाव गणेश चन्द्र झा पर पड़ल छलनि. 1930 केर नमक सत्याग्रह मे नमक क़ानून कें तोडैत एसडीओ कार्यालय कें समक्ष सर्वप्रथम गिरफ्तारी देने छलाह.
एही सभक गहींर प्रभाव गणेश चन्द्र झा पर पड़ल छलनि. 1930 केर नमक सत्याग्रह मे नमक क़ानून कें तोडैत एसडीओ कार्यालय कें समक्ष सर्वप्रथम गिरफ्तारी देने छलाह.
मधुबनी स्थित फ्रीडम फाइटर फाउंडेशनक अध्यक्ष सुभेश चन्द्र झा कहैत छथि जे गणेश बाबू अगस्त क्रांतिक नायक छलाह. ई क्रांति मिथिला कें हलचल सं भरि देने छल. मिथिलाक 128 क्रांतिकारी शहादति देने छलाह, जाहि मे मधुबनीक कुल 19 आंदोलनी अपन आहुति देलनि. 10 गोटे कें फांसी सुनाओल गेल छलनि, जाहि मे सं 2टा सपूत फांसी चढलाह.
मधुबनी मे अगस्त क्रांति केर नेतृत्व गणेश चन्द्र झा क’ रहल छलाह. सूरज नारायण सिंह कें गिरफ्तार क’ दड़िभंगा पठा देल गेलैक. गांधीजी बंबइ मे ‘अंगरेज भारत छोड़ो’ आ ‘करो या मरो’ केर नारा देलनि. समूचा देश मे आंदोलनी सभ पर एकर व्यापक प्रभाव भेल. नेता सभ कें जेल मे बंद क’ देल गेल. मधुबनी जेलक फाटक तोड़ि क’ कैदी सभ बाहर आबि गेल छल. लोक गाम-गाम मे गणेश बाबू, सूरज बाबू केर लोकप्रियताक गीत गाबए लागल छल –
“चलल गणेश तिरंगा ल’क’, दहकैत सूरज तेज प्रताप
अंगरेजक छक्का छुटै छै, हेतै भारत आब आजाद”
सूड़ी स्कूल ताहि दिन आंदोलनक केन्द्र बनल छल. गणेश बाबू अनेक युवा क्रांतिकारी तैयार केने छलाह. जाहि सं अंगरेजी शासन कें भारी ड’र छलैक. हिनका गिरफ्तार क’ मधुबनी जेल मे बन्न क’ देल गेलनि. गांधीजीक आह्वान पर 10 अगस्त 1942 कें 11 बजे दिन मे गणेश बाबू जेलक फाटक तोड़ि क’ 88 बंदीक संग मुक्त भ’ भूमिगत भ’ गेलाह. भूमिगत रहैत मधुबनी थाना आ कचहरी पर कब्जा क’ तिरंगा फहरएबाक योजना बनाओल गेल.
14 अगस्त 1942 कें लगभग 5 हजारक संख्या मे किसान, मजदूर, छात्र सूड़ी स्कूल सं झंडा नेने थाना आ कचहरी दिस नारा लगबैत चलि पड़ल. आगू-आगू तिरंगा नेने गणेश बाबू चलि रहल छलाह. बैद्यनाथ पंजियार, इन्द्रलाल मिश्र, महावीर कारक, अनन्त महथा, भगवती चौधरी, तेजनारायण झा, राजकुमार पूर्वे, चतुरानन मिश्र, रामसुदिष्ट भगत, रामेश्वर दास, लक्ष्मी नारायण साह, मार्कंडेय भगत, महादेव साह, कामेश्वर साह आदि अनेक आंदोलनी भीड़क संग छलाह.
जुलूस जखन नीलम सिनेमा चौक लग पहुंचल कि गोली चलय लागल. गणेश ठाकुर आ अकलू महतो तत्क्षण शहीद भ’ गेलाह. गणेश बाबू पर बर्बर तरीका सं लाठी आ बन्नूकक कुन्दा सं प्रहार होमए लागल. भीड़ आओर बेसी उग्र भेल जा रहल छल. गणेश बाबू लहुलुहान भ’ अचेत खसि पड़लाह. सिपाही हुनका घिसियबैत थाना अनलक. दारोगा राजबली ठाकुर निर्ममता पूर्वक हुनका पर बूट सं प्रहार करैत रहल. भीड़ पर गोली चलएबा लेल उद्यत दरोगा कें एक मुसलमान जमादार शांत करैत रहल, मुदा ओ मानबा लेल तैयार नै भ’ रहल छल. ताधरि दरभंगाक कलक्टर सैल्सबरी मधुबनी थाना पहुंचि दारोगा कें चेतौनी द’ शांत केलक.
जुलूस जखन नीलम सिनेमा चौक लग पहुंचल कि गोली चलय लागल. गणेश ठाकुर आ अकलू महतो तत्क्षण शहीद भ’ गेलाह. गणेश बाबू पर बर्बर तरीका सं लाठी आ बन्नूकक कुन्दा सं प्रहार होमए लागल. भीड़ आओर बेसी उग्र भेल जा रहल छल. गणेश बाबू लहुलुहान भ’ अचेत खसि पड़लाह. सिपाही हुनका घिसियबैत थाना अनलक. दारोगा राजबली ठाकुर निर्ममता पूर्वक हुनका पर बूट सं प्रहार करैत रहल. भीड़ पर गोली चलएबा लेल उद्यत दरोगा कें एक मुसलमान जमादार शांत करैत रहल, मुदा ओ मानबा लेल तैयार नै भ’ रहल छल. ताधरि दरभंगाक कलक्टर सैल्सबरी मधुबनी थाना पहुंचि दारोगा कें चेतौनी द’ शांत केलक.
पितामह भारी कंठ सं बाजि उठथि, “भैया कें हमरा सं बड्ड सिनेह छलनि. जा स्वस्थ रहलाह मधुबनी सं गाम आबथि. गाम हुनका आकर्षित करैत छलनि. डिस्ट्रिक्ट बोर्ड केर चेयरमैन पद सुशोभित केलनि ओ आ तैं चेयरमैन साहेब नामे ख्यात छलाह गाम मे. ने आब ओ चेयर रहल आ ने ओ मैन. देशभक्ति, अजादी, क्रान्ति...ई शब्द सभ आब नै धधकओबैत छैक लोक कें.”
— रूपेश त्योंथ
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गणेश बाबू स्वतंत्रता आन्दोलन, समाजसेवा संगहि मैथिली साहित्य मे सेहो उल्लेखनीय योगदान देने छथि. हिनक दुइ गोट उपन्यास प्रकाशित छनि कृष्णक हत्या (1957) आ रत्नहार (1957). ज्ञात हो जे 'रत्नहार' मैथिलीक पहिल जासूसी उपन्यास रूप मे जानल जाइछ.
रचनाधर्मिता आ आन्दोलन केर संगहि गणेश चन्द्र झा मिथिला केसरी बाबू जानकी नन्दन सिंह संग मिथिला राज्य और मिथिला विश्वविद्यालयक स्थापना हेतु सेहो संघर्षरत रहल छलाह. 1934 भूकम्प पीड़ित सबहक मदति, भगत सिंह आदि सेनानी केर फांसीक विरोध आदि लेल रेल जाम क' आन्दोलन केलनि जे राष्ट्रीय फलक पर चर्चित रहल. जखन देश स्वाधीन भेल त' 1949 मे पृथक मिथिला राज्य हेतु रेल जाम आन्दोलन केलनि.
मधुबनी जिलाक त्योंथागढ़ गाम मे 11 दिसम्बर 1911 कें जन्म धारण केने गणेश बाबू डिस्ट्रिक्ट बोर्डक चेयरमैन पद सेहो सुशोभित केलनि. 10 दिसम्बर 1980 कें मधुबनी मे देहावसान भेलनि.
स्वाधीनता दिवसक अवसर पर हमरा लोकनि मिथिलाक एहन सपूत जे अपना भरि कतिपय मोर्चा पर मातृभूमिक सेवा मे जीवन भरि लागल रहलाह, नमन करैत छी!