फोटो: गूगल सं साभार |
मिथिलाभरिक रेलवे टीसन पर मैथिली मे उद्घोषणा होएबाक चाही, ई आवश्यक छै. बहुतो स्थानीय यात्री हिंदी-अंगरेजी ठीक सं बुझबा मे असमर्थ छथि. हालांकि आब हिंदी-अंगरेजी शिक्षाक प्रसार आ मैथिलीक अवहेलनाक चलते स्थिति बहुत बदलि गेल छै. हिंदी नै बुझनिहार लोकक संख्या खूब कम भ' गेल अछि. तथापि मातृभाषाक महत्व सर्वोपरि होइत अछि. कोनो थोपल भाषा सं बेसी लोक मे मातृभाषाक आग्रह रहैत अछि से स्वभाविक.
मैथिली संवैधानिक भाषा अछि, संगहि रेलवे प्रावधानक अनुसार स्थानीय भाषा मे उद्घोषणा अनिवार्य अछि. रेल अधिकारी ओ जन चेतनाक अभाव मे मैथिली कें अवहेलित कएल जा रहल छल.
रेलवे टीसन पर मैथिली उद्घोषणा कें ल' अनेक मैथिली-मिथिला सं जुड़ल संस्था सभ प्रयासरत छल, फलस्वरूप मधुबनी ओ दड़िभंगा सहित क्षेत्रक किछु टीसन पर मैथिली मे उद्घोषणा शुरू भेल जे आब शिथिल भेल जा रहल अछि. कखनो मैथिली मे होइए त' कखनो नै. मने जे अवस्था अछि, मैथिली उद्घोषणा बन्नो भ' सकैत अछि जओं समय-समय पर मैथिली कार्यकर्ता एहि पर धियान नै देथि त'.
रेलवे टीसन पर मैथिली उद्घोषणा कें ल' अनेक मैथिली-मिथिला सं जुड़ल संस्था सभ प्रयासरत छल, फलस्वरूप मधुबनी ओ दड़िभंगा सहित क्षेत्रक किछु टीसन पर मैथिली मे उद्घोषणा शुरू भेल जे आब शिथिल भेल जा रहल अछि. कखनो मैथिली मे होइए त' कखनो नै. मने जे अवस्था अछि, मैथिली उद्घोषणा बन्नो भ' सकैत अछि जओं समय-समय पर मैथिली कार्यकर्ता एहि पर धियान नै देथि त'.
आउ एतय सुनै छी पूर्व मे रिकार्ड कएल मैथिली उद्घोषणा...