एमकी पटना हमरा नीक लागल. टीशन पर उतरि जखने बाहर एलहुँ कि एकटा हवाइबस उपर सं गेल जे हमर धियान आकर्षित केलक. तखने हनुमान मंदिरक घंटाक स्वर कान मे पड़ल. चंदनजी दतमनि पकड़ओबैत कहलनि, आब बेसी समय हाथ मे नै अछि. स्नान आदि क' सोझे सेशन ज्वाइन करय पड़त. ओ एतेक कहितथि कि बुद्धा पार्क लग सफइयति देखि आश्चर्य कि खुशी भ' रहल छल से तय नै क' पाबि रहल छलहुं. डेगा-डेगी दूरदर्शनक ठीक सामने यूथ हॉस्टल मे दाखिल भेलहुं. ता दतमनि भरकुस्सा भ' गेल छल.
जेम्हरे नजरि जाए मैथिली एक्टिविस्ट, लेखक, कवि सभ देखबा मे आबथि. ओ जिनका सभ सं भेंट पत्र-पत्रिका मे होइ छल, से सभ साक्षात टहलैत, बुलैत, बतियाइत, खाइत देखबा मे अबथि. ई बस रोमांच जगा रहल छल कि चंदनजी नेने नेने एकटा कमरा मे ल' गेलाह जतय एकटा खाट रिक्त छल. ओही पर दुनू गोटे झोड़ा-झंटी धेलहुँ. बगल केर खाट पर रामलोचन ठाकुर हमरा दुनू कें देखि मंद मुस्कान छोड़ि रहल छलाह. हुनका बगल मे बैसल विनोद कुमार झा हमरा दुनू कें आयोजन दिस सं रिसीव केलनि, स्वागत जनओलनि.
नहा-सुना क' रेडी भेले छलहुं कि चंदनजी केर बजाहटि भेलनि, सत्र संचालन हेतु. एकर बादेबला सत्र हमर संयोजन मे मैथिली सोशल मीडिया पर छल. हुनके संगे हमहूं सभा स्थल पर पहुंचि ऑडियंस मे बैसि गेलहुं. एक एकटा ऑडियंस सेलिब्रिटी. खन मंच पर ताकी खन ऑडियंस मे बैसल सेलिब्रिटी लोकनि कें ठेकियाबी.
पहिल सत्र समापनक बाद अल्पविराम आ फेर सोशल मीडिया पर सत्र. कलकत्ता मे रहैत कतिपय साहित्यिक कार्यक्रम होस्ट करैत रहलहुं अछि से रेहल-खेहल छल. आ विषय सेहो भोगल-जीयल छल त' कोनो तेहन दिक्कत नै भेल. सत्र संचालन सं किछु काल पहिने हमर उमेर वा धुआ देखि संचालक मे सं एकटा नीक लोक हमरा बजा निजगुत केलनि जे हम क' सकब कि नै. तकर बादे मंच पर गेल छलहुं.
सत्र समापनक बाद उपस्थित बुद्धिजीवी लोकनिक रिस्पांस हमरा आश्वस्त केलक जे सत्र अपेक्षा सं बेस नीक रहल. किछु गोटे कहथि, नीक तैयारी क' क' आएल छलहुं. कहनिहार मे सं बेसी लोक यएह कहलनि. असहजो लागि रहल छल आ सभ कें जवाबो देब संभव नै. हम मुसकिया देइत छलहुं. नीक लागल जे लोक खोजि-खोजि क' चाबस्सी देइत रहलाह आ ई सिलसिला दिनभरि चलल.
बिहार-पटना मे तैयारी बहुत बड़का फैक्टर होइ छै. भोज-भातक तैयारी, परीक्षाक तैयारी, इलेक्शनक तैयारी, मेला देखबा जाए लेल तैयारी, ई तैयारी, ओ तैयारी मने बिनु तैयारीक किछु संभव नै छै. तहिना आयोजनक तैयारी सेहो नीक आ व्यवस्थित रूप मे छल. जखन पॉजिटिव सोचक संग आगू बढ़बै त' बहुत किछु नीक होइ छै जे तैयारीमुक्त रहै छै. ई जरूरी नै छै जे जे किछु नीक घटित भेल अछि, ओहि मे तैयारी सन्हियाएल छै. बहुत किछु स्वाभाविक आ बिनु तैयारीक सेहो होइ छै. बस इंटेशन नीक हो, सोच पॉजिटिव हो.
पॉजिटिव सोचक संग पटनाक मैथिली साहित्यमेला उभरि क' आएल अछि आ एखन धरिक मात्र दू संस्करण मे नीक प्रभाव छोड़बा मे सफल रहल अछि. साहित्य मेलाक आयोजक सभ बेस अनुभवी लोक सभ छथि, वरिष्ठ लोक सभ छथि. पूरा कार्यक्रम तेना ने सजाओल रहैछ जेना साहित्यपुष्प केर कसगर गूँथल माला हो. साहित्यिक लोकनिक संगहि संग बुक स्टॉल, मिथिला पेंटिंगक स्टॉल सभ लगओनिहार लोकनि सभ सं सेहो गप्प भेल. मेला कें ल' ओ सभ सेहो संतुष्ट लगैत छलाह आ एकरा एक अवसर जानि प्रसन्न छलाह. बिक्रीक जे गति रहल हो, मेला सं सभ उमंग मे बुझाएल.
ई मेला एहि तरह कोनो आन मेला सं नीक अछि. उद्देश्य आ स्वरूप वैश्विक इवेंट केर छै. मैथिली मे एहन आयोजन सं साहित्यिक समुदाय आ मिथिला समाजक गौरव बढ़ल अछि. आवश्यकता छै एकरा जारी रखबाक, एकरा उन्नति पथ पर ल' जेबाक. आयोजक मैथिली लेखक संघ अछि आ आयोजन साहित्य पर अछि त' एकर स्वरूप आ संचालन उत्तम छै. किछु प्रबंधकीय बिंदु पर आयोजक लोकनि कें धियान देब आवश्यक छनि, जे एहि कार्यक्रम कें आगूक भविष्य तय करत.
आमलोकक भागीदारी:
कार्यक्रम साहित्य मेला छै, तैं साहित्यकारेटा जुटथि जरूरी नै. जाबे आम लोक जुड़त नै, भीड़ नै होएत. भीड़ नै होएत त' मेलाक पेंटिंग प्रदर्शनी, बुक स्टॉल आदि व्यवसाय नै क' सकत आ एहना मे लेखक-प्रकाशक, कलाकार केर रुचि घटत. मैथिली मे साहित्य साहित्यकारे मध्य घुरिया रहल अछि. लोक कें जोड़ब आवश्यक, सम्भवतः ई मेलाक मूल उद्देश्य अछि. लोक कोना जुटत एहि पर सोचब जरूरी.
युवाक सोझ भागीदारी:
पटना मे लगभग दर्जन भरि युवा साहित्य लेखन मे सक्रिय छथि. मुदा किनको सोझ भागीदारी नै बुझाएल. वरिष्ठ लोक सभ काउंटर सभ पर बैसल भेटलाह। एक-आध कें छोड़ि स्थानीय युवा साहित्यिक लोकनि उपस्थिति देबा लेल आएल छलाह. नवतुरियाक सही उपयोग करब आवश्यक छै. एही मे सं काल्हि भेने केओ मेला आयोजन मे महत्वपूर्ण भूमिका निमाहि सकैत अछि. आयोजनक भविष्य कें देखैत ई अत्यन्त आवश्यक बुझना गेल.
मीडिया प्रबंधन:
कार्यक्रम राजधानी क्षेत्र मे आयोजित होइए आ ई राज्य लेल सेहो महत्वपूर्ण भ' जाइ छै. मीडिया कें समाद देनिहार कोनो चिन्हित लोक आ केंद्र होएबाक चाही. बहुत लोक कैमरा देखि अपन राग गबैत देखल गेलाह. भोरे अखबार सभ सेहो अनजान-सुनजान समाद छपइए जकर मुंह आ पेनी ताकब संभव नै लगैछ.
वित्तीय प्रबंध:
एकटा विराट खर्चाबला कार्यक्रम अछि ई. आयोजक लोकनि कें वित्तीय व्यवस्था केना होइ छनि ताहि तह मे नै जा एतेक कहब जे चंदा जओं कोनो सरकारी-गैर सरकारी वैध स्रोत सं अबैत अछि त' सहज स्वीकार करबाक चाही. सत्र-सत्र केर प्रायोजक, बैनर, होर्डिंग, कैम्पस सभ ठामक व्यवस्था कॉर्पोरेट केर स्पांसरशिप मे हेबाक चाही. लेखक संघ कें सदस्य आ सदस्यता पर धियान द' कोष एकत्र करबाक चाही. एकटा सालभरि काज केनिहार वित्तीय टीम चाही जे एकर वित्तीय पक्ष पर काज करत. मौसमी रूपेँ सक्रिय भेने काज नै चलत. वित्त कार्यक्रमक धूरी होइ छै.
मैथिली लेखक संघ कें अपना मे सेहो सुधार क' साहित्य मेलाक चिरजीविता लेल काज शुरू करबाक चाही. वर्तमान मे एहन प्रतिभा आ प्रभावी लोक सभ छथि जे मेला लेल समर्पित छथि मुदा व्यवस्था व्यक्ति आधारित नै हो ताहि दिशा मे काज हेबाक चाही. जय मैथिली!
— रूपेश त्योंथ
— रूपेश त्योंथ