कलकत्ता : महेंद्र मलंगिया लिखित 'काठक लोक' नाटकक मंचन 'मिथियात्रिक-झंकार' द्वारा बीतल रवि कें कएल गेल. महानगरक कला कुञ्ज प्रेक्षागृह मे एकर मंचन शम्भुनाथ मिश्र केर निर्देशन मे सांझ 6 बजे सं भेल. एहि अवसर पर नाट्यप्रेमी लोकनिक जुटान भेल.
एहि अवसर पर मैलोरंग, दिल्ली केर निदेशक प्रकाश झा विशिष्ट अतिथिक रूप मे उपस्थित छलाह. ओ अपन उदगार व्यक्त करैत कहलनि जे मैथिली मे व्यवसायिक रंगमंच कलकत्ताक देन अछि. मिथिला एकमात्र एहन क्षेत्र अछि जतय नाट्य आयोजन गैर संस्थागत तरीका सं होइत रहल अछि.
मुख्य अतिथि पार्षद कैलाश मिश्र नाटक कें ल' अपन जुड़ावक बात केलनि आ अपेक्षित सहयोगक लेल आश्वस्त केलनि. ओ मैथिली नाटक कें फुजल मैदान मे वृहद स्तर पर आयोजित करबा पर जोर देलनि.
संस्थाक उपाध्यक्ष तारा कांत झा नवतुरिया सभक आह्वान केलनि आ मैथिली नाटक सं जुड़बाक बात कहलनि. सचिव संजय ठाकुर संस्थाक संक्षिप्त प्रतिवेदन प्रस्तुत केलनि.
मलंगिया लिखित नाटक 'काठक लोक' दर्शक कें अंत धरि बन्हने रखलक. कथानक आ संवाद दर्शक लोकनि कें हँसैत -हँसैत लोटपोट केलकनि त' सुफल सन्देश देबा मे सेहो सक्षम भेल.
दानीक छ्द्म चरित्र मे कोना एकटा सक्षम लोक समाज कें घून बनि खोखला करैत अछि आ ककरो भनको नै लगैत छै. उल्टे ओकरा मान-सम्मान भेटैत छै. एकर चित्रण नाटक मे नीक सं कएल गेल अछि.
नाटक शम्भुनाथ मिश्र, भवनाथ झा, दिनेश मिश्र, सुधीर झा, विवेक चौधरी, जय कृष्ण झा, संजय ठाकुर, शशिता राय, पूजा पाठक, उत्तम चौधरी, पियूष ठाकुर, आलोक रंजन, आनंद ठाकुर आदि कलाकार सं सजल छल. मंच-सञ्चालन भास्करानन्द झा भास्कर केलनि.
रिपोर्ट : मिथिमीडिया ब्यूरो