रिक्तता जे भरल सन बुझना जा रहल अछि...

'साहित्यिक चौपाड़ि' आयोजित भेल पहिल खेप पटना मे. बाल मुकुंद पाठक कार्यक्रम मादे फइल सं कहलनि अछि. किछु छलै रिक्तता जे भरल सन बुझना जा रहल अछि... 


गांधी मैदान परिसर,पटना मे आइ (शनिदिन) किछु उत्साही युवक द्वारा गांधीजीक बड़का प्रतिमाक लगीच मे एकटा अनौपचारिक गोष्ठी 'साहित्यिक चौपाड़ि'क आयोजन कयल गेल.

किएक तँ ई एकटा अनौपचारिक गोष्ठी रहैक तें एकर आरंभ सेहो तहिना कयल गेलै. गुंजनश्री जे कि उपस्थित सातो गोटाक म्युचुअल पहिचानक लोक रहथि तें ओ सब गोटाक इन्ट्रो प्रस्तुत केलनि. जकरा बाद सभक विचार-विमर्श सँ कार्यक्रमक रूप-रेखा आ स्वरूप डिफाइन कयल गेल. किएक तँ ई साहित्यिक चौपाड़ि 'क पहिल बैसार रहैक तें एकर भविष्य आ नियमित आयोजन केँ ल' क' सेहो चर्चा कयल गेल, आब साहित्यिक चौपाड़ि मासे-मास कयल जाएत.


साहित्यिक चौपाड़ि 'क एहि पहिल बैसार मे उपस्थित मैथिली प्रेमी मे सँ सभसँ कम वयसक नितेश मिश्र, बैसारक अध्यक्ष बनाओल गेला. नितेश मिश्र मैथिली मे लिखैत नहि छथि मुदा मैथिली साहित्यक सुच्चा पाठक छथि, साहित्यक बेस नाॅलेज छनि.

जकरा बाद रचना पाठ सत्र आरंभ भेलैक. एहि सत्रक आरंभ नवलश्री पंकज 'क गजल सँ भेल, जकरा सुनबाक बाद मोनक ई बात आर प्रबल भ' गेल जे मैथिलियो मे सुच्चा मैथिली शब्दक गांथल, लयबद्ध आ भावविहोर कर' बला गजल कहल जा सकैछ.

तकरा बाद गुंजनश्री अपन विशिष्ट शैली मे लोक काव्य केर चर्चित विधा मे सँ एक आ मैथिली लेल एकदम्मे नव विधा कहमुकरीक पाठ केलनि. गुंजन जीक कहमुकरी पाठ करबाक शैली आ स्वर मे से सरसता छनि जे हिनका द्वारा की सखि राधा ?नहि सखि मीरा कहिते श्रोताक मुख सँ अनायासे आह, वाह, जियोह बहरायत अछि.

गुंजन जीक कहमुकरी पढ़लाक उपरांत विनोद कुमार झा (महासचिव मैथिली लेखक संघ) अपन युवावस्थाक स्मरण करैत कलकत्ता मे आजुक चिरस्थापित साहित्यकारक संग विभिन्न तरहक औपचारिक-अनौपचारिक बैसकीक संस्मरण साझा कयलनि. एहि क्रम कोनो जमाना मे विनोद जी द्वारा निकालल मैथिली पत्रिका देश-काल 'क प्रंसग सेहो सोझां आयल. विनोद जीक सुनब हमरा सभक लेल क्रोसिन टेबलेटक असर सन रहल, जकरा खयबाक बाद सौंसे देह उर्जा सँ हन हन कर' लागैत अछि.

तकर उपरांत रंगकर्मी निखिल रंजन एकटा कविता आ रंगकर्मक अपन अनुभव सभसँ बांटलनि. बाद मे ओ गालिबक रचनाक सुंदर मैथिली भावानुवाद से प्रस्तुत केलनि.

फेर हमर बारी आयल. हमहुँ सभक सुर मे सुर मिलबैत अपना टटका कथा अंतर्व्यथा पढ़लहुं. जाहि पर गुंजन जी आ विनोद जी बेस चर्चा केलनि. कथा पर हुनक प्रशंसा  आर लिखबाक लेल प्रेरित करैत अछि. कार्यक्रमक अंत मे चंदन कुमार झाक हाइकु संग्रह 'सम्भावना'क सम्भावना पर चर्चा कयल गेल.

सांच कहू तँ हमरा लेल मैथिली मे एहन सन अनौपचारिक आ रोचक बैसारक ई पहिल अनुभव छल. हम ततेक ने गौरवान्वित फील क' रहल छी जकरा कहबाक लेल शब्द नहि भेट रहल अछि, जेना सिलेट पर लिखल शब्द पर कियो भंगरैया घसरि देने होय.

कुल मिलाक पहिल साहित्यिक चौपाड़ि क आइ एकटा सफल आयोजन भेलैक. बहुत किछु सिखबाक-बुझबाक भेटल. एकर आयोजन मे निरंतरता बनल रहय यैह कामाना करैत छी. आर हां अगिला मास सँ अपने सभक बाट सेहो हेरब...तँ आयब ने ! साहित्यिक चौपाड़ि पर..
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