कलकत्ता : महानगरक प्रवास एकमात्र कारण रोजी-रोटी आ कखनो काल शिक्षा-दीक्षा सेहो. करीप दस लाख मैथिल जनसंख्या कलकत्ता आ उपनगरीय क्षेत्रमे निवास करैत अछि. आ तहिना एतय साहित्यिक-सांस्कृतिक गतिविधि निरंतरता धेने अछि. हैदराबादसं मैथिली कवि मनोज शांडिल्य केर अबाइ आ एकरा देखैत चट-पटमे गोष्ठी. भाषानेही लोकनि अपन सभ बेगरताकें ताखपर ध' पहुंचि गेलाह डलहौसी स्थित गजलकार राजीव रंजन मिश्र केर कार्यालयमे. बीतल काल्हि दिनक 1 बजेसं राखल कार्यक्रममे साहित्यिक लोकनि जुटैत गेलाह आ गोष्ठी जमैत गेल. मैथिली साहित्य, पोथी-पत्रिका आदिपर मुनहारि सांझ धरि खूब चर्च भेल.
एहिना विगत जनवरीमे हैदराबादसं मनोज शांडिल्य कलकत्ता आएल छलाह आ ओही दिन मैथिली काव्य गोष्ठी 'अकासतर बैसकी' पहिल खेप आयोजित भेल छल. बैसकीमे उपस्थित साहित्यिक लोकनि हुनका मैथिलीमे पोथी अनबाक सुझाओ देने रहथि आ तकर बाद जे ओ कलकत्ता एलाह त' अपन नव प्रकाशित कविता संग्रह 'सुरुजक छाहरिमे' केर संग. मैलोरंग प्रकाशनक एहि पोथीमे मनोजजी केर गोट पचहत्तरि कविता संकलित अछि. पोथी प्रकाशनसं पहिनहि मनोजजीक कविता सोशल मीडियापर बेस चर्चित आ प्रशंसित रहल अछि आ पाठक लोकनि हुनक एहि पोथीकें बेसीसं बेसी कीनथि, पढथि से आस कएल जा रहल अछि. गोष्ठीमे मनोजजी लेखन आ पोथी प्रकाशनक अपन अनुभव साझी केलनि. पोथीक कविता पाठकक पिपासा बुझाओत तकर गारंटी त' अछिए, एकर गेटअप-सेटअप सेहो हुलसगर अछि. मनोजजीक पित्ती आ फेमस रंगकर्मी-सिनेकलाकार भवनाथ झा कलकत्ताक मिथिला-मैथिलीक स्थितिपर आह्लाद प्रकट केलनि.
कीर्तिनारायण मिश्र साहित्य सम्मानसं सम्मानित कवि चंदनकुमार झा केर चारिम पोथी सेहो गोष्ठीमे चर्चाक विषय रहल. एएम पब्लिकेशनक एहि पोथीमे चंदनकुमार झा केर हाइकु, सेनर्यु संगृहित अछि. तीन पांतिकेर काव्य विधाक एहि संकलनमे डॉ. रामानंद झा 'रमण', गुल सारिका आ चंदनकुमार झा केर आलेख सेहो राखल गेल अछि जे एहि काव्य विधाक महत्वपूर्ण जनतब पाठककें देइत अछि. जेंकि मैथिलीमे एहि काव्य विधामे बड कम लेखन भेल अछि, एहि संग्रहकें संग्रहनीय बना देने अछि. चंदनकुमार झा केर काव्य-कला आ शैलीमे हाइकु, सेनर्यु पढ़ब पाठक लेल विलक्षण अनुभव भ' सकैछ.
मैथिली लघुकथा लेखनक परिचिती बनि चुकल अनमोल झा केर टटका प्रकाशित लघुकथा संग्रह 'से जे कहैत रही' सेहो चर्चाक केंद्रमे रहल. रूबी प्रकाशनसं ई पोथी बहार भेल अछि. अनमोल झा केर ई पांचम पोथी अछि. एहिसं पहिने हिनक लघुकथा संग्रह 'समय साक्षी अछि', ई जे समय अछि, टेकनोलजी आ एक बाल कविता संग्रह 'चन्दा मामा आउ-आउ' प्रकाशित छनि. गोष्ठीमे चर्चित तीनू पोथी प्रकाशन सामग्री, सरंजाममे अन्यान्य भारतीय भाषाक समकक्ष अछि. गोष्ठीमे मैथिली पोथीक उजरल-उपटल बजारपर सेहो चिंता व्यक्त कएल गेल. पोथी प्रकाशन तखने निरंतरता धेने रहतैक जखन ई बेसीसं बेसी पाठक धरि पहुंचतैक.
चर्चा जखन सिरियसा जाइ छल त' गजलकार राजीव रंजन मिश्रक गजल उपस्थित लोकनिकें रिफ्रेशक' देइत छल. राजीवजी अनेक रसकेर गजल कहलनि. दुपहरसं मुनहारि सांझ कखन भेलैक से किनको पता नै चललनि. इच्छा छल जे समय ठमकि जाइ आ गोष्ठी चलैक आ चलैत रहैक किछु काल आओर, किछु काल आओर. मैथिली सिने एक्टिविस्ट आ भाषाविद भास्कर झा टेबलपर हाथेसं संगीत देइत रहलाह राजीवजीक गजलपर. ई जुगलबंदी अद्वितीय. भास्कर झा प्रकाशन आ भाषा-साहित्यक ट्रेंडपर बात रखलनि आ मैथिलीकें मुक्ताकाशमे पहुंचेबाक बेगरता जनओलनि. आमोद कुमार झा दड़िभंगामे अपन कॉलेज दिवस आ मैथिली विद्वान् लोकनिक अनेक रोचक आ ज्ञानवर्धक प्रसंग शेयर केलनि आ राजीवजीक गजल सभपर चोटगर आ अर्थपूर्ण टिप्पणी देइत रहलाह.
गोष्ठी बीति गेलैक. कतेको अर्थमे विशेष रहलैक. एक भाषाप्रेमीक रूपमे हमरा जे हुलास द' गेल से व्यक्त करैत हमर शब्दकोष झुझुआन सन भेल अछि. एतेक कहब जे राजीव रंजन मिश्रक संयोजनमे कतेको कार्यक्रममे गेल छी मुदा काल्हि केर गोष्ठी विगत सभ गोष्ठी केर फेल क' देलक. एही अनौपचारिकता आ उन्मुक्तता लेल त' हम सभ अकासतर बैसैत छी! एक न्यू ट्रेंड मैथिलीओमे डेवलप भ' रहल छै. एक नेक्स्टजेन मिजाज सोझा आबि रहल छै. ई भाषाकें नव जान, नव प्राण देतैक. हमरा सन भाषाप्रेमी लेल ई नितरेबाक कारण अछि, छितरेबाक नहि. धीरे-धीरे स्थिति सुधरतैक...नीक दिन हेतैक मैथिलीक मिथिलाक.