मिथिलाक विद्वान अधिकतर स्वाभमानी छला. एहि कारणे राजसँ उपेक्षित रहला. अयाची मिश्रक नाम मात्र सब जनैत छी. हुनकर पुत्रसँ हुंकर नाम जग जाहिर भेल. कतेको अयाची मिश्र सन विद्वानकें राजतन्त्र इतिहासक पन्नामे जगह नहि देलक. जिनकर नाम हम सब जनैत छी ओ सब विद्वान राज दरबारी छला, अपवादमे किछुकें छोड़िक'. विद्यापतिकें हम जनैत छी कारण ओ राजा शिव सिंह आ लखिमा देवीक गुणगान कयलन्हि अन्यथा कतेको विद्यापति सन मिथिलाक पुत्रकें के' जनैत अछि? मिथिला सब दिनसँ शोषित आ उपेक्षित अछि. दुखदर्द कष्ट सहब आ ओकरा आदर्शक रूपमे प्रस्तुत करब राजतंत्रक हथकंडा छल जे मिथिलामे सफलीभूत होइत रहल. हम एकरे आदर्श एखनहुँ मानैत छी. एहि कुसंस्कारसँ मुक्ति जावत धरि नहि होयत मिथिलाक उपेक्षा होइते रहत.
— उमाकांत झा 'बक्शी'