समर्पित मैथिली सेनानी लूटन ठाकुर नहि रहलाह. कलकत्ताक उल्टाडांगामे स्थित नॉर्थ सिटी अस्पतालमे हुनक निधन 27 जनवरीकें चारि बजे भोरमे भए गेलनि. ओना मिथिलाक परम्परानुसार हुनक अवसान 26 जनवरीकें मानल जाएत.
लूटन ठाकुरक जन्म 13 जनवरी 1929कें भेल रहनि. मस्सा (दड़िभंगा)क निवासी लूटनजी गाम आ कमतौलमे विद्यालयी शिक्षा ग्रहण केलनि. तत्पश्चात कलकत्ताक बंगवासी कॉलेजसं स्नातक तथा कलकत्ता विश्वविद्यालयसं एमए एवं बीएड केलनि.
शिक्षा ग्रहण केलाक बाद लूटन बाबू जजुआर (मुजफ्फरपुर), साहपुर हाईस्कूल (गामहि लग) तथा गयामे अध्यापन करओलनि. पछाति, कलकत्ता आबि गेलाह. एहि ठाम ओ प्रसिद्ध डान बास्को स्कूल (लिलुआ, हावड़ा)मे शिक्षक बनलाह तथा ओतहिसं अवकाश ग्रहण केलनि.
एकटा पत्रकारक रूपमे लूटन बाबू 'दैनिक विश्वमित्र' (हिन्दी) आ 'मिथिला समाद; (मैथिली दैनिक)सं सेहो किछु दिन जुड़ल छलाह. किन्तु लूटन बाबू प्रसिद्ध छलाह प्रगतिशील विचार आ क्रियाकलाप, मैथिली सेनानी तथा प्रवासक भेंट (मासिक)क संस्थापक, प्रकाशक ओ संपादकक रूपें.
लूटन बाबू साम्यवादी आन्दोलनसं जुड़ल छलाह. एकर कतेको अगुआ नेता सभसं हुनक निरंतर संपर्क रहैत छलनि. मिथिला समाजक दलित-उपेक्षित वर्गक अवस्थासं दुखी लूटन ठाकुर निम्नवर्गक उत्थानक पक्षधर छलाह. ओ स्थानीय मुखियाक अत्याचारक विरोधमे सफल लड़ाइ लड़ने रहथि.
लूटन ठाकुर एकटा आओर सफल लड़ाइ लड़ि प्रसिद्ध भेल रहथि आ से कानूनों लड़ाइ छल. ओ डान बास्को स्कूलक प्रबंधनक विरुद्ध कलकत्ता हाईकोर्टमे मामिला लड़ल छलाह. अपन अद्भुत प्रतिभाक परिचय देइत लूटन बाबू ई मामिला बिना ओकील रखने लड्लाह आ जीत हासिल केलनि. एहि प्रसंगक समस्त बात विस्तारसं हुनक फोटो सहित 'द टेलीग्राफ'क उपरका पन्ना पर छपल छल.
मातृभाषाक अनन्य अनुरागी लूटन ठाकुर मैथिलीक महत्वपूर्ण सेनानी छलाह. मैथिलीक उत्थान हुनक लक्ष्य रहनि, मिसन रहनि. जाबत धरि थेहगर रहलाह मैथिलीक काजमे निःस्वार्थ भावे लागल रहलाह.
मैथिलीक चेतनाकें प्रचार-प्रसार ल' ओ 'प्रवासक भेंट' नामक मासिक पत्रिका बहार केलनि आ तकरा प्रायः दस बरख धरि सफलतापूर्वक चलओलनि. ओ एकटा दृष्टि संपन्न लोक छलाह. समस्त प्रवासी मैथिलकें एक सूत्रमे बान्हि मैथिलीक उन्नति हुनक अभीष्ट छलनि. देशक विभिन्न प्रांतमे प्रवासी मैथिल भरल छथि. बहुतो त' कइएक पुश्तसं रहै छथि आ मातृभाषा छुटि गेल छनि. एहन समस्त मैथिलकें अपन भाखा आ माटि आकर्षित करैत छनि. ई सभटा हुनका गमाल छनि. आ तैं प्रवासक भेंट मे मैथिलीक अतिरिक्त हिन्दी आ अंगरेजीमे सेहो मैथिली आ मिथिला संदर्भित सामग्री रहैत छल. प्रवासक भेंटक दाम न्यून (एक टाका) रहनहुँ हुलसगर ढंगसं बिकाइत नै छलै. किन्तु हुनका तकर सिकाइत नै. ओ कहल करथि- की करबै, कहुना लोक पढ़ओ, बुझओ. इसाइ मिसनरी जखन बाइबिल छापा मंगनीमे बांटि सकैए त' हम किएक ने मैथिली पत्रिका छपा क' बांटि सकै छी!
से, लूटन बाबू अपनो काज करथि आ अनको प्रेरित करथि. बहुत रास मैथिलीक समर्पित कार्यकर्ता हुनका प्रेरणासं आगाँ अएलाह. मैथिलीकें मिशन बनओनिहार मिथिलाक एहन सपूतकें कोटिशः नमन!
— मिथिलेश कुमार झा