'नहि लागइ दुज्जन हासा' केर मंचन


नव दिल्ली : दिल्लीक प्रेक्षक पर अपन मजगूत पकड़ बनौने मैथिली रंगमंडलक चित-परिचित संस्था “मिथिलांगन” समय समय पर प्रयोगात्मक नाटकक तैयारीक संग उपस्थित दर्शककें आकर्षित करबामे प्रारम्भे स’ सफल रहल अछि. विगत २२ तारीख २०१४ क’ (सोमदिन) मंडी हाउस स्थित “कमानी ऑडिटोरियम”मे मैथिली भोजपुरी साहित्य अकादमी,दिल्ली सरकारक तत्त्वावधानमे आयोजित आ “मिथिलांगन” केर प्रस्तुति “नहि लागइ दुज्जन हासा” केर मंचन देखबा लेल भाखा आ संस्कृति प्रेमी लोकनि दिल्लीक एहि जुआएल कनकन्नीमे कार्यालय स’ (खासक’ नोकरीहा लोक सभ) सबेर सकाल निकलि क’ कार्यक्रमक निर्धारित समय पर पहुँच आँइख आ कान दुन्नू पाथिक’ मंच दिस टकटक्की लगौने बैसल छलाह आ हुनका लोकनिक मध्य एकटा कुर्सी धेने हमहूँ बैसल रही.

नाटक आदि स’ ल’ क’ अंत धरि बेस रोचक, मनोरंजक आ सन्देशपूर्ण रहल. साहित्य,संगीत आ संस्कृतिकर्मी  लोकनिकें ज’ छोड़ि देल जाए त’ विद्यापतिक जीवन आ काव्य रसधाराक सम्मिश्रित प्रवाहकें संग दिशायमान हएब वर्तमान जुगक युवक वास्ते बड्ड कठिनाह काज अछि मने झेलब समान अछि कारण हुनका लोकनिकें बनाबटी प्रेम सम्बन्ध पर करोड़क करोड़ बजटकें बनाओल गेल हिन्दी/अंगरेजी सिनेमा आ पॉप,रॉक,फ्यूजन आदि स’ सरावोर संगीतक सोझा ई प्रयोग अनसोहाँत जेंकॉ बुझना जाइ छनि. नाटकक लेखक “रोहिणी रमण झा” ओहि समस्त मिथककें तोड़ैत विद्यापतिक जीवनक मूल कथाकें जीवंत राखि समय केर मांगक अनुरूप हास्य,करुण आ व्यंग्यक मसल्ला स’ भरल संवाद स’ दर्शककें अनवरत मंच स’ जोड़ि रखबाक जे साहसिक प्रयास केने छथि ताहि हेतु निश्चितरूपे साधुवादक पात्र छथि. कथाकें रोचक बनेबा लेल नाटकमे नाटकक आयोजन आ ताहिमे सूत्रधार, नटी ,घूरन आ फिरनकें हाव भाव आ प्रस्तुतिकरण दर्शककें थोपरी बजेबा लेल आ लोटपोट करबा लेल बेर-बेर बाध्य करैत छल.

नाटक पंडित भवनाथ मिश्रक अनन्य शिष्य आ विस्फी ग्रामवासी गणेश ठाकुरक बालक विद्यापति ठाकुरक काव्य  रचना आ जीवन गाथा पर आधारित छल. कामिनीक रूप वर्णित रचना जखन काने-कान जत्र-तत्र पहुँच’ लागल त’ लोक सभ एकरा विद्यापतिक यौवन दोषक संज्ञा देइत हुनक गुरुकें उपराग देनाइ शुरू क’ देलनि जखन कि विद्यापतिक कथनानुसार प्रेम रस भावकें काव्यमे समाहित क’ रचल गेल सभटा रचना राधा कृष्णक वास्ते समर्पित छल. गुरूजी विद्यापतिक सद्गुणी चरित्रकें जनितो ओहि समाजक कुचेष्टित अवधारणा स’ दूर च’ल जेबाक आदेश देलनि ई सोचि जे हिनक जीवन आ रचनाकर्म कुंठित नैं भ’ जानि (मुदा ई गप्प अपना मोनेमे राखि हृदय स’ मूर्धन्य आ महाकवि बनबाक आशीर्वाद देइत) आश्रम छोड़ि जेबाक आज्ञा देलनि. गुरूजीक आज्ञानुसार हुनका आश्रम स’ बहराए परलनि. विद्यापति त्रिलोकीनाथ महादेवक अनन्य भक्त छलाह. आश्रम स’ बहरेलाक पश्चात दिन-राइत महादेवक नचारी, महेशवाणी आदि रचनाकर्ममे तल्लीन रह’ लगला. विद्यापतिक एहि भक्ति स’ प्रसन्न भ’ महादेव स्वयं मनुक्ख (उगना) रूपमे अवतरित भ’ चाकर रखबाक आग्रह केलनि आ हुनक सेवामे लागि गेला. ओना विद्यापतिकें हुनक अद्वितीय क्रियाकलाप सभ स’ कखनो काल क’ असाधारण मनुक्ख हेबाक आभास होमय लगलनि तथापि अन्ठा क’ अपन काजमे लागि जाइथ. एक दिन जखन राजदरबार  जाइत रहथि त’ बाटमे पियास स’ बेकल भ’ गेला जत’ पाइनक एक बूँद पाएब कठिन छल. विद्यापति पियासे  मूर्छित भ’ ठामहि लटुआ गेला. आब उगना की करत ? उगना (महादेव) त’ क्रोधे लाल जे एहि निर्जन बोनमे हमरा भक्त पर प्यासक दुष्प्रहार कोन दुष्ट केलक ? मुदा हुनक ई रौद्र रूप देखि स्वयं पार्वती सोझा आबि कर जोड़ि ठाढ़ भ’ गेली, हे स्वामी ! अपनें हिनक सेवामे एत्तेक तल्लीन भ’ गेलौं जे कैलाश नगरी आ बाल-बच्चा संग हमरो बिसरि गेलौं तैं हम हिनका पर पिपासाक प्रयोग केने छलौं जे अहू बहन्ने अहाँकें हमरा सभक ध्यान आओत. हे नाथ ! आब बहुत भेल आबो चलू अपन लोक. महादेव शांत होइत पार्वतीकें आश्वासन देलनि जे हिनका हम असगर एहि अवस्थामे छोड़ि नैं जा पाएब तैं हिनक तृष्णाकें शांत क’ अबिलम्ब अपन लोक आबि जाएब. उगना महाकविकें उठबैत जल पिऔलनि. महाकविकें जलमे गंगाजलक स्वादक अनुभूति होइत उगना स’ ओ स्थान देखेबाक इच्छा जतौलनि मुदा उगनाकें रंग-बिरंगक बहन्ना आ लटपटाइत बोली स’ आभास भ’ गेलनि जे ओ स्वयं साक्षात त्रिलोकीनाथ महादेव छथि आ जाबैत ओ हुनका लग जैतथि ताबैत महादेव अंतर्ध्यान.

एहि ठाम एकटा ग’प स्पष्ट करब आवश्यक जे आइ धरि विद्यापतिक संबंधमे जे किछु किम्वदन्ती अछि ओ ई अछि जे जखन विद्यापति उगनाकें चीन्हि जाइ छथि त’ उगना ई वचन लैत अछि जे ई गप्प हमरा आ अहाँकें छोड़ि ककरो नैं बुझबाक चाही अन्यथा हम अहाँक संग ओही दिन स’ छोड़ि देब. स्वामी आ चाकरक ई क्रम अनवरत चलैत रहैत अछि मुदा एक दिन उगनाकें महादेवक पूजा वास्ते फूल आ बेलपात अनबामे बिलम्ब हेबाक कारणें सुधीरा (विद्यापतिक अर्धांगिनी) क्रोधित होइत हुनका पर खोरनाठ (अधजरुआ जारैन) स’ मारबा लेल दौगैत छथि आ से देखिते विद्यापतिक मूँह स’ हुनक महादेव हेबाक बात बजा जाइत छनि आ तत्क्षण उगना अंतर्ध्यान भ’ जाइछ. सम्पूर्ण नाटक देखलाक पश्चात एहेन बुझना गेल जे उगना-विद्यापति बला प्रसंगकें एत्तहि समेटबाक पाँछा संभवतः नाटकक मंचन अवधिमे  समयाभाव वा विद्यापतिक जीवनकें एहि घटना स’ आंशिक रूप स’ जोड़ैत महाकाव्य रचना यात्रामे निरंतरता राखि राजा शिव सिंह आ रानी लखिमाकें केन्द्रित क’ आगाँ बढ़ेबाक उद्देश्य सेहो भ’ सकैइयै.

राजा शिव सिंह महाकवि विद्यापतिक बालसखा छलाह तैं हुनका दुनू गोटेक मध्य विदु (विद्यापति) आ शिवू (शिव सिंह) केर संबोधन स’ वार्तालाप होइत छल आ महाकवि हुनक दरबारक मुख्य रत्नमे स’ एक कविकोकिलक उपाधि स’ नियुक्त कएल गेलाह. समूचा देशमे मुगलकें साम्राज्य छल आ तदनुरूप ओ किसान वर्गादिकें जबर्दस्ती मलगुजारी देबा लेल बाध्य करैत छल असूलीकें क्रममे कत्तेको बेर हिंसात्मक प्रवृतिक उपयोग करैत छल. राजा शिव सिंहकें मिथिला क्षेत्रक प्रजा पर भ’ रहल अत्यचारक जखन जानकारी भेटलनि त’ विचलित भ’ ओकरा लोकनि स’ जुद्ध करबाक घोषणा क’ देलनि. राजा शिव सिंह अपन बालसखा विद्यापतिकें रानी लखिमाकें सुरक्षित स्थान पर ल’ जेबाक आदेश द’ मुगल सैनिक सभस’ जुद्ध पर निकलि गेला आ वीरगतिकें प्राप्त केलनि. रानी लखिमा एहि सभ बात स’ अनभिज्ञ विद्यापतिक संग रोने-बोने बौआइत रहली आ भिन्न-भिन्न समाजक लोक सभ हुनका लोकनिक सम्बन्धमे अनाप-सनाप चर्चा करैत लांछना लगब’ लगलनि.

अनायास एक राइत स्वप्नमे लखिमा देखली जे महाराज मुगल सैनिकक हाथे मारल गेला आ हुनका वीरगतिकें प्राप्त भ’ गेलनि. स्वप्नक वियोगमे रानी लखिमा सेहो अपन प्राण तजि देली आ चिरकालकें वास्ते शांत भ’ गेली. विद्यापति एहि सभ घटना स’ आहत भ’ महाप्रयाण लेल प्रस्थान क’ लेलनि. उपरोक्त समस्त ऐतिहासिक घटनाक्रमकें आँखिक सोझा प्रस्तुत करबाक जे अद्भुत प्रयास केलनि अछि से श्रेय निश्चितरूपे रंगमंडल प्रमुख आ एहि नाटकक निर्देशक “संजय चौधरी”कें जाइ छनि आ हुनक डेगमे डेग मिला क’ अप्पन सए प्रतिशत समर्पित आ लगनशील अभिनय क्षमता स’ इतिहासकें जियाक’ रखबामे जाहि कलाकारक उल्लेखनीय आ प्रशंसनीय योगदान रहल अछि हुनका बिसरब बेइमानी हएत. सूत्रधारकें रूपमे मैथिली फिल्म आ रंगमंचक वरिष्ठ अभिनेता “शुभ नारायण झा”कें मंच पर बेर-बेर उपस्थित होइत देखि कखनो काल क’ जेना कुमार शैलेन्द्र जीक आभास होइत छल कारण हुनका ओही वस्त्र परिधानमे बरख २०११मे मिथिलांगनक प्रस्तुति छुतहा घैलमे नटक भूमिकामे देखने रही. शुभ नारायण जीक अप्पन अभिनय छवि छनि जेकि बेस रोचक आ प्रभावी रहल कारण ध्यान भंग होइत दर्शककें कोना मंच दिस ध्यानाकर्षण होए से खोराक नीक जेंकां जनै छथि. मैथिली फिल्म आ रंगमंचक चर्चित युवा अभिनेता “अनिल मिश्रा” राजा शिव सिंहक पात्र लेल सटीक चयन छल कारण हुनक कद-काठी आ अभिनयमे ओ सभटा गुण समाहित छल जेकि एकटा जमींदार वा राजाकें प्रवृतिमे देखबामे अबैछ. “मुकेश दत्त” तीन रूपमे देखेला गुड़कुन/घूरन आ उगना तीनू रूपमे बेजोर अभिनय.

“संजीव बिट्टू” सेहो फिरनकें भूमिकामे सूत्रधार आ घूरन संग फिट छलाह आ बेस हास्य विनोद करौलनि आ तहिना ई तीनू गोटे थोपरी हंसोथि-हंसोथि घ’र ल’ जेबामे सफल रहला. नटीकें रूपमे “अंजली झा”, विद्यापतिकें रूपमे “राजेश कर्ण”, लखिमाकें रूपमे “साक्षी मिश्रा”, पार्वतीकें रूपमे “पूजा श्री”, वृद्ध ग्रामीणक रूपमे “रोहिणी रमण झा”, पंडित भवनाथ मिश्रक रूपमे “रोहित झा”, सैनिकक रूपमे “पीयूष खंडूरी” आ “भारत भूषण”, भट्ट/ग्रामीणक रूपमे “प्रशांत कुमार”, पक्षधर/ग्रामीणक रूपमे “अखिल विनय” आदिकें अभिनय अद्भुत, प्रशंसनीय आ सराहनीय रहल. मंचक पाँछा- वस्त्र विन्यास “अभय चौधरी”, नृत्य “वर्षा दास” आ “ईशा दास”, प्रकाश परिकल्पना “सुबोध सोलंकी”, रूप सज्जा “दुष्यन्त”, मंच सज्जा “सरिता दास”. संगीत “सुन्दरम”, पार्श्व स्वर “सुन्दरम” , “प्रियंका दास” आ “रूपम मिश्रा”, ढोलक “टुनटुन” आदि.

विद्यापतिक जीवन पर आधारित नाटक आ ताहिमे हुनक गीतक भावकें स्वर  देब आ संगीतबद्ध करब सभस’ बेसी कठिनाह काज अछि मुदा ज’ “सुन्दरम” सन मिथिलापूत संगीत साधक भ’ जाए त’ बुझू जे विद्यापतिक गीतकें मौलिकताक संग सहजरूपे प्रस्तुत कएल जा सकैछ. जत्तेक बेर आ जत्तेक गीत हुनक पार्श्व गायनमे सुनैत छलौं बुझू जे रोइंयाँ ठाढ़ भ’ जाइत छल आ लगैत छल जे विद्यापतिक गीतकें यथोचित सम्मान भेट रहल छनि.
 
उद्घोषक सुनील झा कार्यक्रमक प्रवाहमे नीक भूमिका निमाहलनि. कार्यक्रमक समापनमे मिथिलाक दू गोट सपूत जेकि रंगजगतमे सिद्धहस्त कलाकारक रूपमे जानल जाइत रहलाह अछि स्व. लक्ष्मी रमण मिश्रा (अलार्म नाम स’ प्रसिद्ध) आ स्व. कुमार शैलेन्द्र जिनक अतुल्य योगदानकें मिथिलाक इतिहासमे कहियो नैं बिसरल जा सकैछ केर असामयिक निधन स’ दुखी “मैथिली भोजपुरी साहित्य अकादमी”कें पदाधिकारीगण, “मिथिलांगन” परिवारक सदस्य सहित उपस्थित दर्शक लोकनि हुनका दुन्नू गोटेकें स्मरण करैत ठाढ़ भ’ दू मिनटक मौन राखि श्रद्धांजलि देलनि.

(रिपोर्ट : मनीष झा 'बौआभाइ')
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