कलकत्ता: 32म वार्षिकोत्सवक उपलक्ष्यमे मिथिला कल्याण परिषद द्वारा आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमक तत्वावधानमे दर्शकक विशेष मांग पर मैथिलीक मौलिक एकांकी नाटक "मिथिलाक अभिशाप" केर पुनर्मंचन दिनांक 16 नवम्बर 2014 रविदिन संध्यामे रिसड़ाक रवीन्द्र भवन प्रेक्षागृहमे होयब सुनिश्चित कयल गेल अछि. एहि नाटकक लेखक ओ निर्देशक छथि शंभूनाथ मिश्र. ई नाटक सन 1992मे बहुभाषी लघुनाटक प्रतियोगिता, इलाहाबाद मे श्रेष्ठ एवं निर्देशनक लेल सेहो सम्मानित भेल छल.
ई नाटक मिथिलाक अभिशाप दहेज रूपी महादानवक कट्टर विरोधी अछि जाहिमे लेखक ओ निर्देशक शंभूनाथ मिश्र प्रत्येक चरित्रकें मनोरंजनात्मक एवं व्यंग्यात्मक ढंगसं मिथिलाक अभिशापकें उघार करबाक सचेष्ट प्रयास कयलनि अछि एवं मिथिलाक नारीकें परदाक पाछूसं एवं घोघ तरसं हटा पुरुष समाजक बनाओल प्राचीन प्रारंभिक दहेजक दलान पर मरल प्रबुद्ध सामाजक बीच आनि एकटा क्रान्ति करबाक चेष्टा कयलनि अछि.
एहिमे भाग लेबय बला प्रमुख कलाकार छथि स्वयं शंभूनाथ मिश्र, श्रीमती शशिता राय, दिनेश मिश्र, संजय ठाकुर, केदारनाथ साह, सुधीर झा, रमेश मिश्र, पीयूष कुमार, दिलीप चौधरी, विनय चौधरी एवं अन्यान्य.
(Report/Photo: भास्कर झा)