विश्वास अछि जे नाटकक स्थिति सुधरतै : गुणनाथ झा


15 जून 1942 कें मातृक भटपुरा (मधुबनी) मे जन्म लेनिहार, मूलतः रैमा, झंझारपुर (मधुबनी)क वासी गुणनाथ झा 1964 सं कोलकाता मे रहि रहल छथि. गुणनाथ झा नाट्यकर्मी ओ नाट्यलेखक छथि. हिनक कइएक गोट नाटक बेस चर्चित-प्रशंसित रहल अछि. हेमनिएमे साहित्य अकादेमी, दिल्ली हिनका 'बांग्ला एकांकी नाट्य संग्रह'क लेल बर्ख 2013 हेतु अनुवाद पुरस्कार देलक अछि. मिथिमीडिया लेल गुणनाथ झा सं भेंट क' बातचीत कएलनि मिथिलेश कुमार झा.

साहित्य अकादेमीक अनुवाद पुरस्कार हेतु चयन पर बधाइ ओ शुभकामना. ई समाद हमरा कइएक कारणे आह्लादित कएलक. अपने कें केहन लागि  रहल अछि?
पुरस्कार समादसं एक दिस खुशी भेल त' दोसर दिस माथ पर उत्तरदायित्व घनगर बुझाय लागल अछि. ई आकांक्षा आब बेसी प्रबल भ' गेल अछि जे नाटकक क्षेत्र में किछु करी.

अपनेक लिखल पहिल नाटक कोन अछि आ एखन धरि कए गोट नाटक लिखल ओ प्रकाशित अछि?
पहिल नाटक 'कनिया-पुतरा' आ तकर बाद 'पाथेय', 'शेष नै', 'आजुक लोक', 'जय मैथिली' आदि नाटक लिखल अछि. संगहि 'लाल बुझक्कड़', 'मधुयामिनी', 'सातम चरित्र', 'अभिनव विद्यापति' आदि एकांकी सेहो लिखने छी. एहि समस्त कृति मे 'शेष नै', आजुक लोक, लाल बुझक्कड़, अभिनव विद्यापति आदि अप्रकाशित अछि.

साहित्यिक विधा मे अपन बात कहबाक लेल अपने नाटकहि कें माध्यम बनाओल, तकर कारण?
मैथिल जन्मजात मनोरंजनप्रिय होइ छथि. संगहि जनजागरण दृष्टिए ई विधा सर्वाधिक सशक्त छै.

अपन लिखल नाटक सभमे सबसँ नीक अपने कें को लगैत अछि?
पाथेय आ शेष नै 

नाटक लिखबा काल अपने कोन वास्तु सभकेँ धियान मे रखैत छिऐ?
पहिने समाज, तखन कलाकार, मंच, मंच-तकनीक आदि विभिन्न वस्तु सभ.  

मैथिली नाट्यकार मे सम्प्रति के' सभ नीक काज क' रहल छथि?
हम सभ केंद्र बिंदु पर नहि छी. तखन विश्वास अछि जे भविष्य मे स्थिति सुधरतै आ से नाट्यलेखनक लगातार चेष्टा सं संभव छै.

कलकत्ता मैथिली रंगमंच पर के' सभ नीक कलाकारक रूपमे काज कएने छथि?
निर्देशकक रूप मे कमलनारायण कर्ण, पं. त्रिलोचन झा, श्रीकांत मंडल आदि. कलाकारक रूप मे लक्ष्मीनारायण मिश्र (पचही), जनार्दन झा, फेकू मिश्र, विश्वम्भर ठाकुर, श्रीकांत मंडल, शुकदेव ठाकुर, रामलोचन ठाकुर, कमल नारायण कर्ण, त्रिलोचन झा, रेखा झा (पहिल मैथिलानी रंगकर्मी, 1965में घनानाथ झा केर नाटक 'शैव्या-हरिश्चंद्र' मे), शारदा चौधरी (शेष नै, 1980-81मे) आदि.

मैथिली नाट्यलेखन मे अवरोधक तत्व की छै?
रंगमंच कमी.

नाट्यलेखनमे आगां अपनेक की योजना अछि? 
नाट्यपत्रिका (लोकमंच)क माध्यमसं अवरोधक तत्व कें सोझाँ आनी. नव नाटक लिखबाक विचार सेहो अछि.

मैथिली रंगमंच कें उपलब्ध सुविधा आ मैथिली नाट्यलेखन मे की सामंजस्य अछि?
मैथिली नाटक त्रिकोण मे फँसल अछि. गामक दर्शक शहरी नाटक नै बुझै छै. गामक दर्शककें धियान मे राखि नाटक नै लिखा रहल छै. मात्र भावनाकें धियानमे राखि नाटक नै लिखेबाक चाही.

अपनेकें बांग्लासं मैथिली मे कुशल अनुवादक हेतु अनुवाद पुरस्कार देल जयबाक घोषणा भेल अछि. अनुवाद करैत काल की सभ धियान में रखैत छियै?
भाषा, शैली, चरित्र, सम्बोधन, हिज्जे, पात्र, संबंध, भाव, शब्दार्थ आदि कें विशेष रूपेँ.

अपने सभक द्वारा दक्षिण कोलकाता मे सेहो खूब नाट्यमंचन भेल. तकर कोनो ख़ास कारण?
दक्षिण कोलकाता उत्साही दर्शक विशेष क' विश्वनाथ झा (जगति-बेनीपट्टी) ओ हरिलाल ठाकुर (सरिसव पाही-हाटी) आक्रोश जे सभ मंचन उत्तरे कोलकाता मे किएक होइत अछि? मिथियात्रिक दक्षिणमे जा क' कइएकटा नाटक कएलक. एहिमे हिनका लोकनिक सहयोगो भेटल. तकर बाद मिथियात्रिक घूमि-फिरि क' नाटक करय लागल.

अपन शिक्षा, आरंभिक जीवन आ वृत्तिक विषय मे कहल जाय?
शिक्षा गाम, सरिसव आ दड़िभंगा मे  भेल. हम अंग्रेजी सं एमए करैत रही  जे अपूर्ण रहल. कलकत्ता हम पढ़बाक उद्देश्ये आएल छलहुं मुदा एहि ठाम मैथिल समाजक गरीबताइ देखि नामांकन नै करओलहुँ आ सामाजिक कार्य करबाक निर्णय लेलहुं. पछाति एलआईसी मे नौकरी कएलहुँ. 21 बरखक अवस्था मे पहिले-पहिल उपन्यास लिखलहुं जे अप्रकाशित-अनुपलब्ध अछि. आरंभिक काल मे कविता सेहो लिखैत रही, किछु प्रकाशितो भेल अछि. हमर पिता बांग्ला जनैत छलाह. मिथिलाक्षर हमरा माए-पितियाइनकें अबैत छलनि. हमरो अबैत छल. माएकें त' मात्र मिथिलाक्षरे टा अबैत छलनि. कलकत्ता मे मिथिला कलाकेन्द्र / मिथियात्रिक संस्थापक मे हमहूँ छी. 

(फोटो-गुंजनश्री :पटना प्रवासक दौरान गुणनाथ झा पत्नीक संग) 
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