जे रहै छै थाले-थाल
चैत, बैसाख, जेठ
वा रहओ मास अखाढ़
सुरुजक प्रचंड ताप मे
नै छै ओहन तागति
जे सोखि लेतैक
ओहि कादोक जल
कारण कृपा कएने छै
ओ जुगेसराक देलहा क'ल
जे ठोपे-ठोप समृद्ध
करै छै कादो कें
दोख एकरहि नै
संग भेटै छै भादो कें
पानि नै छै खेत-पथारमे
टटा रहल छै भूमि
पटा रहल छै ओ छौड़ा
चहुंदिक घूमि
दमकलक ओ फटफट स्वर
कानक पर्दा डोला देने छैं
पेट काटि ओ छौड़ा
खेत अप्पन पटा नेने छै
कादो सानल पएरे ओ
विदा होइए गाम
रउदे झड़कै छै चाम
धीपल सड़क ओकरा
किछु ने बिगाड़ि पबै छै
ओ ओत्तहि फेर अबै छै
जतय सड़क छै थाले-थाल
ओ टपैए ओहि थाल मे निधोख
बहराइए कादो सानल पएरे
आ जाइए ओही क'ल पर धोबए
जकर जल सडक़ थाल कें
चिरंजीवी बनओने छै
अप्पन पएर जमओने छै
ओ थाले-थाल सड़क
आब गामक पहिचान छै
चउरचनो मे आब नीचे
देखल जाइत चान छै
धन्य ओ क'ल आ कादो
जे मिलि करैए जादो
— रूपेश त्योंथ
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