गोपीपट्टी ढढिया (कमतौल, दड़िभंगा) निवासी आ कोलकाता प्रवासी किशोरीकान्त मिश्र मिथिला ओ मैथिलीक सेवा हेतुएं सुप्रसिद्ध छथि. कोलकाताक मिथिला सांस्कृतिक परिषद्क माध्यमे मैथिली भाषा, साहित्य ओ मिथिलाक सांस्कृतिक विकासक निमित्त ई सदैव सचेष्ट रहैत एलाह अछि. किशोरीबाबू सं मिथिमीडिया हेतु साक्षात्कार लेलनि मिथिलेश कुमार झा .
अपने कोलकाता कहिया अएलहुँ आ मैथिलीक गतिविधिसं कोना जुड़लहुँ?
हम 1956 ई. मे एहिठाम अएलहुँ. अपन पितियौत उमाकांत मिश्रक संग मैथिली कार्यक्रम सभ मे जाइ. साहित्य प्रेसमे राजकुमार मल्लिक संगे कार्यरत. मिथिला सांस्कृतिक परिषद्क स्थापना 1959मे भेलै. मल्लिकजीक प्रेरणासँ एकर स्थापना कालहिसं हम एहिमे जुड़ि गेलहुं. हमर पित्ती शरदचंद्र मिश्र सेहो संस्थापकगण मे सम्मिलित छलाह. हुनका सं प्रेरित भेल रही.
एहन कोनो गतिविधि गामो पर होइत रहै?
गाम मे त' नहि होइ. मुदा हैम जेएमएचई स्कूल, कमतौलक छात्र रही. स्कूलमे डिबेटिंग सोसाइटी रहै जाकर इंचार्ज छलाह मुरैठक शिवनारायण झा. ओ एकदिन मीटिंगमे मैथिलीमे बाजब स्वीकृत केलनि. तकर बाद हम ओकर गतिविधिमे मैथिलीए बाजी आ खूब भाग ली.
से ई मैथिलीक प्रेरणा कत' सं भेटल?
कक्षा-8मे हम आर्ट्स रखने छलहुँ, जकर एकटा विषय मैथिली छल. आ सएह प्रेरणा भेल. बादमे कोलकातासं गाम जाइ त' स्कूलमे हेडमास्टरक सहमतिसँ नेना सभक संगे मैथिलीक हितमे मीटिंग करी.
अपनेक आरंभिक कालमे एहिठामक परिवेश केहन रहै?
परिवेश खूब नीक रहै. सामान्य लोक मैथिली कार्यकर्ताक आदर करै, स्वागत करै. कार्यकर्ता ककरोसं भेंट करय जाइ त' बगलक लोक सेहो 'घर पवित्र करबाक' निवेदन करै. कार्यकर्तामे आपसी मेल-सामंजस्य छलै. समर्पित भ' काज कयल जाइत छलै.
तहिया मैथिली आंदोलन मे एतय के' सभ सक्रिय रहथि?
संस्थाक बात करी त' परिषद्क अलावे मिथिला संघ, परिषद् सं फराक भ' महेंद्र नारायण झा द्वारा बनाओल मैथिली प्रकाशन समिति आदि. व्यक्ति मे बाबू साहेब चौधरी, प्रबोध नारायण सिंह, पीताम्बर पाठक, मदन चौधरी, रामलोचन ठाकुर, शुक्रदेव ठाकुर, देवनारायण झा (सुंदरपुर- भीड़ा), देवनारायण झा (ब्रह्मपुरा), वीरेंद्र मल्लिक, शेषनारायण ठाकुर, देवन मंडल, सुशील, लूटन ठाकुर, उदित नारायण झा, मिथिलेन्दु जी, परमेश्वर मिश्र, चंद्रकांत मिश्र, महेंद्र नारायण झा, शरदचंद्र मिश्र, राजकुमार मल्लिक, मुकुटधारी मिश्र, कालीकांत झा, आनंद बिहारी चौधरी, ब्रह्मानंद सिंह झा आदि प्रमुख छलाह. पछाति सुरेन्द्र ठाकुर,,कमलेश झा विजय पाठक आदि भेलाह.
किशोरीकान्त मिश्र (दहिना) सं बातचीत करैत मिथिलेश कुमार झा |
आन्दोलनक कोनो तेहन अड्डा नहि रहै, तखन मैथिलक अड्डा अवश्य छलैक गिरीश पार्क. ओहि ठाम नव-नव बातक चर्चा होइक, कार्यक्रम बनि जाइक. गतिविधिमे सम्मिलित छल साहित्य अकादेमी संग पत्राचार, हैंडबिल, जनसम्पर्क, भाषण, बैसार, उघार-पत्र आदि-आदि.
मैथिली आंदोलनमे परिषद्क सहभागिताक चर्चा होइ छै. से ताहि प्रसंग मे कहल जाय?
मैथिली भाषा, साहित्य ओ संस्कृतिक विकास लेल परिषद् सदति सचेष्ट रहल. भाषाक पहिचान कें मजगूत करबाक लेल आ भाषाक हितमे लड़बाक लेल साहित्य आवश्यक. परिषद् मैथिली पोथीक प्रकाशन पर तैं बल देइत रहल आ एखनधरि चौंतीस गोट पोथीक प्रकाशन क' चुकल अछि. साहित्यिक गतिविधि संगे आन्दोलनक काज सेहो भेल. 1964मे पटना विधायिका क्लबमे मिथिला क्षेत्रक कार्यकर्ता-विधायक-सांसदक सम्मलेन भेल. 1968मे बिहार विधानसभक समक्ष सांकेतिक अनशन-मैथिलीकें दोसर राजभाषा बनेबाक लेल सरकार पर दबावक हेतु. एहि अनशन मे भाग लेनिहारमे उल्लेखनीय छथि शिवीपट्टी(मधुबनी)क मूल निवासी मंगनीराम झा (जे बेटीकें 104 डिग्री बोकार मे छॊड़ि गेल छलाह), कृष्णचंद्र झा, देवेन्द्र झा आदि. पिता (पीताम्बर मिश्र) प्रोत्साहित करबाक निमित्त स्टेशन धरि अरियातने गेल छलाह. 'समस्त मिथिलावासी मैथिल छी आ सभक भाखा मैथिली अछि' एहि भावनाक प्रचार हेतु 1971मे पदयात्राक रास्ता छल सकरी सं कुशेश्वरस्थान. रास्ता कातमे अवस्थित स्कूल-कॉलेज मे सभा बैसार होइत चलय. एहि पदयात्रा मे हमरा संग कालीकांत मिश्र, मुकुटधारी मिश्र, आनंद बिहारी चौधरी, इन्द्रगोविंद झा सेहो रहथि. मैथिली आंदोलन सं सम्बंधित पोस्टर समस्तीपुर मे विभिन्न ट्रेनमे साटल गेल छल. 1980मे मैथिलीक प्रश्न पर बिहार विधानसभाक समक्ष समवेत प्रदर्शन मे परिषदक भागीदारी छल. कोलकाता सं शेषनारायण ठाकुर, रामलोचन ठाकुर, सुशील, विजय पाठक, कमलेश, कालीकांत झा, शरदचंद्र मिश्र, बाबू साहेब चौधरी आदि बहुत रास आंदोलनी गेल छलाह.
पटना मे विधानसभाध्यक्ष शिवचंद्र झासं भेंट क' स्मार-पत्र देल गेल छल-सम्मिलित छलाह बैजू, कमलेश आ परिषद्क शरद बाबू. समस्तीपुर-दड़िभंगा बड़ी लाइन लेल दड़िभंगा मे भेल आन्दोलनमे परिषद्क कालीकांत झा आ विमलकांतजी सहयोगी भेल छलाह.
परिषद् स्वर्ण जयंती मनओलक आ एखनो सक्रीय अछि. अपनेकें ई सब गतिविधि केहन लागि रहल अछि?
परिषद्क स्थापना काल मे हाम्रो उपस्थिति छल. परिषद् स्वर्ण जयंती मनाबय से हाम्रो स्वाभाविक आकांक्षा छल. आब ओ पूर भेल. स्वर्ण जयन्तीक बाद वयसक कारणे परिषद् मे सक्रीय नहि रहि युवक लोकनिक कान्ह पर परिषद्क भर राखी काट-करोट सं हुनका लोकनिक क्रियाकलाप देखैत रहै छी आ आवश्यकतानुसार- देइत रहै छियनि. स्वर्ण जयंती भेल. युवावर्ग शतवार्षिकी मनोवृत्ति सं काज करथि.
मिथिला राज्यक मादे की विचार अछि?
मिथिला राज्यक आवाज वर्ग-विशेष दिससँ उठैत अछि. सामान्य जन सम्मिलित आवाज उठाबथि तखने एहि मे सफलता सम्भव.
मातृभाषाक वर्त्तमान स्थिति देखैत एकर भविष्य केहन बुझाइए?
जावत धरि भनसा घरमे मैथिलीक पूर्ण सम्मान आदर नहि भेटत तावत धरि निश्चिंतता नहि. वर्त्तमान देखि लगैत अछि जे जहिना पछिला शताब्दी मेमैथिलीक मान्यता लेल संघर्ष करय पड़ल तहिना शताब्दी मे आगू कइएक दशक धरि मैथिली कें अधिकार दिअएबा लेल आ मैथिलीकें बचेबाक लेल संघर्ष करय पड़त.
एकटा पाठक दृष्टिएँ मैथिली साहित्यक वर्त्तमान स्थिति पर की कहबाक अछि?
अधिकांश साहित्यकार अध्ययनक प्रति गम्भीर नहि छथि आ तैं अधिकांश रचना मे सेहो स्तरीयताक कमी रहैछ. बहुत रास साहित्य्कार पुरस्कारक लोभे आ मैसूरक लोभे पोथी छपबै छथि. पोथीक संख्या कम रहैत छनि आ दाम बेसी रहैत छै. मिला-जुला क' वर्त्तमान स्थिति नीक नहि.
भाषाक विकास किंवा सुरक्षा कोना सम्भव अछि?
अर्थकरी विद्याक विकास शीघ्र होइत छै. मैथिलीकें रोजी-रोटीसं जोड़बाक बेगरता अछि.
नवका खाढ़ीकें किछु सन्देश-स्वरुप कहबै?
आर्थिक, सामजिक ओ शैक्षणिक विकासक चेष्टा करथि. मिथिला ओ मैथिली कें हृदय मे राखथि.