पटना. 01 दिसम्बर, 2013 कें चेतना समिति, पटनाक तत्त्वावधानमे मैथिली ख्यातलब्ध साहित्यकार डा. कांचीनाथ झा‘किरण’ (1 दिसम्बर 1906-9 अप्रैल 1989 ई.)क 108म जयन्ती विद्यापति भवनमे मनाओल गेल. एहि अवसरपर डा.रमानन्द झा‘रमण’ किरणजीक उपन्यास (‘चन्द्रग्रहण’ एवं ‘अभिमानिनी’ 1932)क चर्च कएल तँ कुणाल ‘मधुरमनि’ कें प्रेमकथा कहैत ओकर नाटकीय तत्त्वपर प्रकाश देलनि. श्याम दरिहरे किरणजीक कविता एवं हुनक शब्द-सामर्थ्य पर विचार राखल तँ अजित कुमार आजाद हुनक आन्दोलनात्मक प़क्षक चर्च कएल. बच्चा ठाकुर किरणजीकें करुणा एवं प्रतिरोधक रचनाकार कहल. जगदीशचन्द्र ठाकुर ‘अनिल’क अनुसार ओ युवावर्गक प्रेरक छलाह. डा.नरेश मोहन झाक विचार छल जे मैथिलीक विलक्षणकार्यसँ सम्बद्ध लोककें किरणजीक आदर्शक अनुकरण करबाक चाहिअनि. डा. वासुकीनाथझा स्कूल जीवनक अपन संस्मरणक आधार पर किरणजीक व्यक्तित्वपर प्रकाश देल. एहि अवसरपर गणेश शंकर ख्रर्गा, रामसेवक राय, रघुवीर मोची, डा. प्रेमलतामिश्र ‘प्रेम’, दयाशंकर झा आदि सेहो किरणजीक रचनापर अपन-अपन विचार रखैत श्रद्धांजलि अर्पित कएल. अध्यक्ष, विजयकुमार मिश्रक कहब छल जे किरणजी एक महान साहित्यकारे नहि, मैथिलीक आन्दोलनकर्ता सेहो छलाह. ओ कहल जे मैथिली आब केवल साहित्यक भाषा नहि अछि, आजीविकाक माध्यम सेहो भए गेल अछि. अतएव, गामे-गाम घूमि लोककें ई बुझाएब आवश्यक छैक. तखनहि संविधानमे मैथिलीक स्थानसँ की-की लाभ छैक आ’ ओ सुविधाक प्राप्तिक लेल समाजमे जागरण आबि सकैत छैक. कार्यक्रमक संचालन विवेकानन्द ठाकुर एवं धन्यवाद ज्ञापन उमेश मिश्र कएलनि.
(Report: मिथिमीडिया ब्यूरो)
(Report: मिथिमीडिया ब्यूरो)