मंगल दीप जराकँ राखब
सदिखन माथ लिबाकँ राखब
साथे साथ रहत ग' दुख सुख
हल्लुक मोन बनाकँ राखब
निसि वासर त' मनत दिवाली
जा धरि बानि सजाकँ राखब
ज्ञानक दीप इजोर देखा
घुप अन्हार मिटाकँ राखब
करनी ऊँच वचनसँ मधुगर
गामक गाम जुराकँ राखब
बड अनमोल मनुखकँ काया
अनुदिन लाज बचाकँ राखब
राजीवक त' रहत विनय जे
लचरल गेह उठाकँ राखब
सदिखन माथ लिबाकँ राखब
साथे साथ रहत ग' दुख सुख
हल्लुक मोन बनाकँ राखब
निसि वासर त' मनत दिवाली
जा धरि बानि सजाकँ राखब
ज्ञानक दीप इजोर देखा
घुप अन्हार मिटाकँ राखब
करनी ऊँच वचनसँ मधुगर
गामक गाम जुराकँ राखब
बड अनमोल मनुखकँ काया
अनुदिन लाज बचाकँ राखब
राजीवक त' रहत विनय जे
लचरल गेह उठाकँ राखब