कार्यक्रम मे (बाम सं) भास्कर झा, लक्ष्मण झा 'सागर' ओ नवीन चौधरी |
कलकत्ता. स्थानीय विद्यापति विद्यामंदिर मे आयोजित एकल काव्य पाठ अनेक कारणें महत्वपूर्ण रहल. मिथिला सांस्कृतिक परिषद् द्वारा वरिष्ठ कवि लक्ष्मण झा 'सागर' केर 'एकल काव्य पाठ' रविदिन 27 अक्टूबर 2013 कें आयोजित भेल. विद्यापति प्रतिमा पर माल्यार्पणक पश्चात् शुरू भेल कार्यक्रम मे कविता प्रेमी लोकनि सागरजी केर काव्यजल सं सिक्त भेलाह. आयोजनक अध्यक्षता नवीन चौधरी ओ संचालन मिथिलेश कुमार झा कयलनि. एहि आयोजन मे भास्कर झा सागरजीक प्रकाशित काव्यकृति 'उचरि बैसू कौआ' (२०१०) पर अपन समीक्षा ओ कवि केर काव्य प्रतिभा पर इजोत देलनि आ तदर्थ आलेख पढ़लनि.
लक्ष्मण झा 'सागर' एकल काव्य पाठ मे अपन नव-पुरान कुल ३१ गोट कविता पढ़लनि. साहित्यकार चन्दन कुमार झा केर अनुसार कवि केर बेसी कविता गाम ओ घर पर आधारित रहैत अछि. मिथिलेश कुमार झा कार्यक्रम संचालनक क्रम मे कहलनि जे एकल काव्य पाठ सं कवि आ हुनक कविता कें नीक सं बुझल जा सकैत अछि. सागरजी मिथिला मिहिर सहित अन्यान्य पत्र-पत्रिका सभ मे प्रकाशित रचना सभ पढ़लनि. ओ कहलनि जे कविता लेखन बेस सहज-सुखदायी ओ संतोख प्रदान करैत अछि तैं ओ अति व्यस्त रहितो कविता लेखन हेतु समय निकालि लैत छथि. उपस्थित श्रोता लोकनिक आग्रह पर ओ छंदबद्ध कविता सेहो गाबि क' सुनओलनि. जखन कि सागरजी आधुनिक कविता बेसी लिखैत छथि.
अंत मे नवीन चौधरी अपन अध्यक्षीय भाषण देलनि. ओ कहलनि जे मैथिली साहित्य केर बेसी कवि गाम मे जनमल-बढल आ शहर दिस रोजगार हेतु पलायित भेल छथि तैं बेसी कविता मे गाम भेटैत अछि. गाम सं फटकी रहने गामक याद आयब स्वाभाविक. ओ कहलनि जे कलकत्ता केर मैथिली साहित्य मे जेना किछु अंतराल देखबा मे अबैत छल मुदा आजुक आयोजन सं ई सिद्ध भेल जे कहियो अंतराल नहि अछि. एतय निरंतर साहित्य लिखल जाइत रहल अछि. वर्त्तमान केर क्रियाकलाप बहुत बेसी आह्लादकारी अछि.
नबोनारायण मिश्र अपन इच्छा जनओलनि जे सागरजी आरम्भ मे बाबू साहेब चौधरी केर संसर्ग मे साहित्य दिस झुकल छलाह आ तैं ई सांझ हुनकहि समर्पित होयबाक चाही. एकरा सागरजी सहित उपस्थिति श्रोता लोकनि समर्थन देलनि आ सांझ हुनके समर्पित कयल गेल. धन्यवाद ज्ञापन करैत मिथिलेश कुमार झा कहलनि जे मिथिला सांस्कृतिक परिषद् भविष्य मे सेहो एहन तरहक आयोजन करैत रहत. कार्यक्रम मे गंगा झा, आमोद कुमार झा, देवीशंकर मिश्र, रूपेश त्योंथ, ललन कुमार झा आदि उपस्थित छलाह. (Report: मिथिमीडिया ब्यूरो)
लक्ष्मण झा 'सागर' एकल काव्य पाठ मे अपन नव-पुरान कुल ३१ गोट कविता पढ़लनि. साहित्यकार चन्दन कुमार झा केर अनुसार कवि केर बेसी कविता गाम ओ घर पर आधारित रहैत अछि. मिथिलेश कुमार झा कार्यक्रम संचालनक क्रम मे कहलनि जे एकल काव्य पाठ सं कवि आ हुनक कविता कें नीक सं बुझल जा सकैत अछि. सागरजी मिथिला मिहिर सहित अन्यान्य पत्र-पत्रिका सभ मे प्रकाशित रचना सभ पढ़लनि. ओ कहलनि जे कविता लेखन बेस सहज-सुखदायी ओ संतोख प्रदान करैत अछि तैं ओ अति व्यस्त रहितो कविता लेखन हेतु समय निकालि लैत छथि. उपस्थित श्रोता लोकनिक आग्रह पर ओ छंदबद्ध कविता सेहो गाबि क' सुनओलनि. जखन कि सागरजी आधुनिक कविता बेसी लिखैत छथि.
अंत मे नवीन चौधरी अपन अध्यक्षीय भाषण देलनि. ओ कहलनि जे मैथिली साहित्य केर बेसी कवि गाम मे जनमल-बढल आ शहर दिस रोजगार हेतु पलायित भेल छथि तैं बेसी कविता मे गाम भेटैत अछि. गाम सं फटकी रहने गामक याद आयब स्वाभाविक. ओ कहलनि जे कलकत्ता केर मैथिली साहित्य मे जेना किछु अंतराल देखबा मे अबैत छल मुदा आजुक आयोजन सं ई सिद्ध भेल जे कहियो अंतराल नहि अछि. एतय निरंतर साहित्य लिखल जाइत रहल अछि. वर्त्तमान केर क्रियाकलाप बहुत बेसी आह्लादकारी अछि.
नबोनारायण मिश्र अपन इच्छा जनओलनि जे सागरजी आरम्भ मे बाबू साहेब चौधरी केर संसर्ग मे साहित्य दिस झुकल छलाह आ तैं ई सांझ हुनकहि समर्पित होयबाक चाही. एकरा सागरजी सहित उपस्थिति श्रोता लोकनि समर्थन देलनि आ सांझ हुनके समर्पित कयल गेल. धन्यवाद ज्ञापन करैत मिथिलेश कुमार झा कहलनि जे मिथिला सांस्कृतिक परिषद् भविष्य मे सेहो एहन तरहक आयोजन करैत रहत. कार्यक्रम मे गंगा झा, आमोद कुमार झा, देवीशंकर मिश्र, रूपेश त्योंथ, ललन कुमार झा आदि उपस्थित छलाह. (Report: मिथिमीडिया ब्यूरो)