माधव कत तोर करब बड़ाई
उपमा तोहर कहब ककरा हम, कहितहुं अधिक लजाई
जओं सिरिखंड सौरभ अति दुर्लभ, तओं पुनि काठ कठोरे
जओं जगदीस निसाकर, तओं पुनि एकहि पच्छ इजोरे
मनिक समान आन नहि दोसर, तनिक पाथर नामे
कनक सरिस एक तोहिं माधव, मन होइछ अनुमाने
सज्जन जन सओं नेह कठिन थिक, कवि विद्यापति भाने