दड़िभंगा. नेपाल आ भारत दूनु दिस मिथिला राज्यक स्थापनाक लेल आन्दोलनकेँ व्यवस्थित करबापर विभिन्न विद्वानसभ जोड देलनि अछि. वरिष्ठ साहित्यकार एवं नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठानक सदस्य प्राज्ञ रामभरोस कापडि भ्रमरक अध्यक्षतामे मंगलदिन दरभंगामे सम्पन्न ‘मिथिला राज्यक औचित्य एवं सम्भावना’ विषयक विचार गोष्ठीमे दूनु पारक विद्वान वक्ता लोकनि आन्दोलनकेँ व्यवस्थित कऽ आगु बढल जाय तँ मिथिला राज्यक सपना कें पूरा होबयमे अबेर नहि हएत दावी कएलनि.
गोष्ठीमे अध्यक्षीय मन्तव्य देइत प्राज्ञ भ्रमर एखन धरि मिथिला राज्य स्थापना नहि हुअकेँ मूल कारण प्रतिबद्धताक अभाव रहल कहलनि. आन्दोलनक जे गति होएबाक चाही से नहि पकडि रहल हएबाक बात कहैत ओ किछु गोटे आन्दोलनक सम्पूर्ण श्रेय अपने लेबय चाहि रहला सँ समस्या आएल उल्लेख कएलनि. अपन घर, सीमा आ स्वाभिमान लेल मिथिला राज्य आवश्यक रहल कहैत प्राज्ञ भ्रमर तएँ एक स्वर सँ दबाव देल जाय तँ राजनीतिके स्तर सँ मिथिला राज्य भेटत विश्वास व्यक्त कएलनि. अपन पहिचान आ स्वाभिमानक लेल भावनात्मक रुप सँ मिथिला आन्दोलनमे सक्रिय होएबालेल ओ मिथिलावासीसभसँ आग्रह कएलनि.
कार्यक्रममे साहित्यकार चन्द्रेश लोकक मानसिकतामे नव सोच आ दृष्टिक संग मिथिला राज्यक मांग नहि आबय धरि आन्दोलन सफल नहि हएत बतौलनि. ओ लोक मानसिकता बदबाक लेल मिथिला केन्द्रित पुस्तक, पत्र-पत्रिका आदि पर जोड देबय पडत उल्लेख कएलनि. ओ कहलनि ‘लोकमे विश्वासक बोध जगबय पडत, जखन लोकमे जागरुकता आबि जाएत तँ मिथिला राज्यकेँ कियो नहि रोकि सकैत अछि.’ डा. रेवति रमण लाल लोकक रोजी-रोटी सँ जोडैत मिथिला राज्यक आन्दोलनके आगु बढाबय परत कहलनि. कार्यक्रममे साहित्यकार अयोध्यानाथ चौधरी नेपाल एखन संघीय संरचनामे जायकेँ क्रममे रहला सँ मिथिला राज्यक सम्भावना प्रबल रहितो संघीयताप्रति माओवादी जकाँ अन्य दलक स्पष्ट दृष्टिकोण नहि आएल बतौलनि.
गोष्ठीमे प्रो. उदयशंकर मिश्र मिथिला आन्दोलन सँ प्रोफेशनल, मिशनबला आ सर्वसाधारण कऽ तीन प्रकारक लोक जुडल रहल बतौलनि. गरीबी , भूखमरी आ बेरोजगारीक आधारपर मिथिला राज्य अवधारणा बनबाक चाही कहैत ओ से नहि भऽ किछु गोटे आन्दोलनकेँ सिढी मात्र बनौलनि उल्लेख कएलनि. मनमीत कुटिर मौलागंजमे भेल ओ गोष्ठीमे साहित्यकार राजाराम राठौड, श्रीमति गुंजा राय सहित वक्तासभ संघर्ष करय पर जोड देइ त मिथिला राज्यक स्थापना भऽ इतिहास बदलत से विश्वास व्यक्त कएलनि.
गोष्ठीमे अध्यक्षीय मन्तव्य देइत प्राज्ञ भ्रमर एखन धरि मिथिला राज्य स्थापना नहि हुअकेँ मूल कारण प्रतिबद्धताक अभाव रहल कहलनि. आन्दोलनक जे गति होएबाक चाही से नहि पकडि रहल हएबाक बात कहैत ओ किछु गोटे आन्दोलनक सम्पूर्ण श्रेय अपने लेबय चाहि रहला सँ समस्या आएल उल्लेख कएलनि. अपन घर, सीमा आ स्वाभिमान लेल मिथिला राज्य आवश्यक रहल कहैत प्राज्ञ भ्रमर तएँ एक स्वर सँ दबाव देल जाय तँ राजनीतिके स्तर सँ मिथिला राज्य भेटत विश्वास व्यक्त कएलनि. अपन पहिचान आ स्वाभिमानक लेल भावनात्मक रुप सँ मिथिला आन्दोलनमे सक्रिय होएबालेल ओ मिथिलावासीसभसँ आग्रह कएलनि.
कार्यक्रममे साहित्यकार चन्द्रेश लोकक मानसिकतामे नव सोच आ दृष्टिक संग मिथिला राज्यक मांग नहि आबय धरि आन्दोलन सफल नहि हएत बतौलनि. ओ लोक मानसिकता बदबाक लेल मिथिला केन्द्रित पुस्तक, पत्र-पत्रिका आदि पर जोड देबय पडत उल्लेख कएलनि. ओ कहलनि ‘लोकमे विश्वासक बोध जगबय पडत, जखन लोकमे जागरुकता आबि जाएत तँ मिथिला राज्यकेँ कियो नहि रोकि सकैत अछि.’ डा. रेवति रमण लाल लोकक रोजी-रोटी सँ जोडैत मिथिला राज्यक आन्दोलनके आगु बढाबय परत कहलनि. कार्यक्रममे साहित्यकार अयोध्यानाथ चौधरी नेपाल एखन संघीय संरचनामे जायकेँ क्रममे रहला सँ मिथिला राज्यक सम्भावना प्रबल रहितो संघीयताप्रति माओवादी जकाँ अन्य दलक स्पष्ट दृष्टिकोण नहि आएल बतौलनि.
गोष्ठीमे प्रो. उदयशंकर मिश्र मिथिला आन्दोलन सँ प्रोफेशनल, मिशनबला आ सर्वसाधारण कऽ तीन प्रकारक लोक जुडल रहल बतौलनि. गरीबी , भूखमरी आ बेरोजगारीक आधारपर मिथिला राज्य अवधारणा बनबाक चाही कहैत ओ से नहि भऽ किछु गोटे आन्दोलनकेँ सिढी मात्र बनौलनि उल्लेख कएलनि. मनमीत कुटिर मौलागंजमे भेल ओ गोष्ठीमे साहित्यकार राजाराम राठौड, श्रीमति गुंजा राय सहित वक्तासभ संघर्ष करय पर जोड देइ त मिथिला राज्यक स्थापना भऽ इतिहास बदलत से विश्वास व्यक्त कएलनि.