कोना टेबलहुँ नारद एहन वर यौ ।
हिनका नहि घर छनि नहि छनि घरारी
छनि नहि लोटा नहि छनि थारी
छनि नहि खेतहु एकहु धूर यौ..
कोना टेबलहुँ नारद एहन वर यौ ।
देहपर हिनका नहि बीतभरि वसन छनि
पाँच टा मुँह बीच तीन टा नयन छनि
ई तऽ छथि बतहा दिगम्बर यौ...
कोना टेबलहुँ नारद एहन वर यौ ।
हमर गौरी छथि बड़ सहलोला
कोनाकऽ पिसथिन भांगक गोला
भूतहु-प्रेतसँ हेतनि डर यौ..
कोना टेबलहुँ नारद एहन वर यौ ।
सकल चराचर केर छथि अधिनायक
ई जोगिया छथि जगत सुखदायक
त्रिभूवन पति, छथि ई 'हर' यौ..
कोना टेबलहुँ नारद एहन वर यौ ।— चंदन कुमार झा