सभ किछु सोचि हारल छी
अपने मोनक डाहल छी
बड्ड देखल लोकक बानि
हियाउ छोरिकऽ भासल छी
जूरा सभकेँ चलल हम
मुदा करेजक मारल छी
दैव घर ने अन्हेर छैक
यैह टा भरोस राखल छी
रौदी दाही ने सभ दिनका
कष्टक दिनत' गानल छी
सुख-दुःख छाह रौद जकां
सुधि लोकनिक भाखल छी
'राजीव' अछि संतोष राखि
तैं यौ सरकार बाँचल छी