आबि गेलाह ऋतुराज,
अंगना आबि गेला ऋतुराज ।।
कोइलीक स्वर अनुगुंजित कानन
रज-कण जनु मिझरायल चानन
शीत सुधारस पिबिते बिहुँसल
सरिसब पुष्प-पराग.............।।
गमगम नव-मज्जर वन-उपवन
मलयानिल शीतल बह सनसन
व्याकुल मधुकर पीबि-पीबिकऽ
मधुरस भेल नेहाल...........।।
दाडिम दसन मेघ बीच चमकल
दिग-दिगन्त अरुणाभा पसरल
दूभिक सिर चमकैछ तुषार जनु
धवल स्फाटिक-माल............।।
आबि गेलाह ऋतुराज,
अंगना आबि गेला ऋतुराज ।।
— चंदन कुमार झा
अंगना आबि गेला ऋतुराज ।।
कोइलीक स्वर अनुगुंजित कानन
रज-कण जनु मिझरायल चानन
शीत सुधारस पिबिते बिहुँसल
सरिसब पुष्प-पराग.............।।
गमगम नव-मज्जर वन-उपवन
मलयानिल शीतल बह सनसन
व्याकुल मधुकर पीबि-पीबिकऽ
मधुरस भेल नेहाल...........।।
दाडिम दसन मेघ बीच चमकल
दिग-दिगन्त अरुणाभा पसरल
दूभिक सिर चमकैछ तुषार जनु
धवल स्फाटिक-माल............।।
आबि गेलाह ऋतुराज,
अंगना आबि गेला ऋतुराज ।।
— चंदन कुमार झा