हावड़ा. मिथिला सेवा समिति बेलूड़ द्वारा मैथिली कें अष्टम अनुसूची मे मान्यता
प्राप्तिक वार्षिकीक अवसर पर एकटा साहित्यिक सभाक आयोजन दिनांक मंगलदिन 25
दिसंबर 2012 कें बेरुपहर 2 बजे सं समितिक कार्यालय विद्यापति भवन, बेलूड़
मे कयल गेल. कार्यक्रम दू सत्रमे विभाजित छल जाहिमे पहिल सत्र विचारगोष्ठी
एवं दोसर सत्रमे कविगोष्ठी आयोजित भेल. पहिल सत्रमे रामलोचन ठाकुर,
प्रफ़ुल्ल कोलख्यान, अशोक चौधरी, घनश्याम चौधरी, प्रदीप कुमार झा, प्रो.
ललित झा, भवनाथ झा आ अन्यान्य वक्ता लोकनि अपन विचार रखलनि. बाली ग्राम
पंचायतक भूतपूर्व ग्राम-प्रधान एवं कोलकातामे मिथिला-मैथिलीक एकटा सजग
प्रहरी घनश्याम चौधरी कहलनि जे ई कार्यक्रम बेलूर मे पहिल बेर आयोजित भऽ
रहल अछि संगहि ओ' अपन चिंता व्यक्त करैत कहलाह जे हिन्दीक प्रभावेँ मैथिली
भाषाक दिनानुदिन अवनति भऽ रहल अछि. अशोक चौधरी अपन संबोधनमे कहलनि जे
संविधानमे गेने मैथिली अधिक संरक्षित-सूरक्षित भेल अछि आ' आब हमरा सभकेँ
एकरा अधिक उन्नत बनेबाक सम्मिलित प्रयास करबाक चाही.
प्रधान वक्ताक रूपमे बजैत साहित्यकार एवं समालोचक प्रफुल्ल कोलख्यान कहलनि जे विद्यापति जहिया संस्कृतक मोह त्यागि देसिल बयनाकेँ अपनौलनि तहिया हुनकर उद्देश्य मात्र मैथिली भाषाक उत्थान नहि छलनि बल्कि संपूर्ण समाजकेँ एकसूत्रमे बान्हि रखबाक सपना छल. ओ कोनो तरहक सामाजिक-सांस्कृतिक चिंतनमे मैथिल-ललनाक उपस्थिती-नगण्यता पर अपन चिंता व्यक्त कएलनि. हुनकर कहब छलनि जे मैथिली संस्कृतिक बचौनिहारि-संवाहिका मैथिल ललना हमरा सभक मुख्यधाराक चिंतनसँ किएक कतिआयल छथि ताहि दिस सेहो मैथिल-समाजकेँ गंभीरता पूर्वक सोच-विचार करबाक चाही. ओ' मैथिल समाजसँ आह्वान कएलनि जे मैथिली संस्कृति आ' समाजिकताक मनन करैत विकासक बाट ताकथि. साहित्यकार रामलोचन ठाकुर कहलथि जे हमसभ मैथिलीकेँ संविधानक आठम अनुसूचीमे शामिल हेबाक वर्षगाँठकेँ कतहु मैथिली दिवस तऽ कतहु मैथिली मुक्ति दिवस वा अधिकार दिवसक रूपमे मनबैत छी आ' से सभसँ पहिने एकटा निश्चय करी जे एहि दिनकेँ कोनरूपमे मनाओल जाय जाहिसँ कि एहन आयोजनक आओर प्रासंगिगता बढ़त. संगहि ओ कहलनि जँ अधिकारक बात करैत छी तऽ एखन बहुत रास अधिकार लेब बाँकी अछि आ' दोसर बात जे अधिकारक संग हरदम कर्तव्यबोध सेहो हेबाक चाही. मैथिली भाषाकेँ रोजी-रोटीसँ जोड़बाक प्रश्नपर कहलनि जे मैथिली एखनो रोजी-रोटीक माध्यम अछि आ' भाषा-साहित्य मात्र रोजी-रोटीक माध्यम नहि अपितु मानवता आ' सामाजिकताक संरक्षणक सेहो एकटा माध्यम होइत छैक. विचार-गोष्ठीक अध्यक्षता करैत गुणनाथ झा कहलनि जे कोलकाता सभदिन मिथिला-मैथिलीक गतिविधिक केन्द्र रहल अछि आ' ताहि परिप्रेक्ष्यमे एहन तरहक आयोजन एहिठामक प्रवासी मैथिल-बीच अपन सामाजिक-सांस्कृतिक चेतनाक नव आयाम गढ़ैत अछि. ओ एहन तरहक आयोजनक निरंतरता आ बारंबारता पर सेहो जोर देलनि. विचारगोष्ठीक संचालन साहित्याकर आ' रंगकर्मी भवनाथ झा कएलनि.
कार्यक्रमक दोसर सत्रमे रामलोचन ठाकुरक अध्यक्षतामे कविगोष्ठीक आयोजन कएल गेल जाहिमे अमरनाथ झा 'भारती', अजय कुमार झा 'तिरहुतिया', चंदन कुमार झा, अशोक राय, विजय इस्सर, राजीव रंजन मिश्र, विनय भूषण, घनश्याम चौधरी, आमोद झा, अशोक चौधरी एवं रामलोचन ठाकुर अपन-अपन काव्यपाठ कएलनि. 'भारती' अपन 'महरी' कविताक माध्यमे भारतीय गणतांत्रिक व्यवस्थामे आयल अराजकताकेँ उजागर कएलनि. आमोद झा'क "भूत-बसेरा" मैथिली साहित्यमे पसरल व्यक्तिवाद, महत्वाकांक्षा ओ संकीर्ण सोचकेँ प्रभावी रूपेँ चित्रण कएलनि. हुनकर दोसर कविता "मुखौटा" बाजारवादी युगमे मानवक पहचान उपभोक्ताक रूपमे कोना बनल जा रहल छैक तकर सजीव चित्रण छल. 'तिरहुतिया'क 'भ्राता सावधान' चारूकातसँ मैथिली संस्कृतिपर भऽ रहल भाषायी आ' सांस्कृतिक आक्रमणक प्रति एकप्रकारे चेतउनी छल. एकर अलावे समसामयिक विषयपर आधारित राजीव रंजन मिश्रक गजल, विनय भूषणक दोहा आ' विजय इस्सरक कविता सेहो बेस सराहल गेल. काव्यपाठक उपरांत पठित कविता संक्षिप्त समलोचना सेहो कएल गेल जाहिक्रममे प्रफुल्ल कोलख्यान कहलनि जे कविकेँ कविता पढ़बाक लूरि सेहो हेबाक चाही तखने ओ कोनो मंचसँ अपन कविताक संपूर्ण भाव श्रोताधरि पहुँचा सकताह. एकर अलावे अशोक चौधरीक, घनश्याम चौधरी एवं चंदन कुमार झाक कविता सेहो श्रोताकेँ बेस पसिन पड़लनि. अंतमे रामलोचन ठाकुर जानकी नवमी दिन जनकपुरमे भेल भीषण बम-विस्फोट आ' ओहि घटनामे शहीदक श्रद्धांजलि स्वरूप अपन रचना पाठ कएलनि. अपन काव्यमय संचालनसँ मंच संचालक रंजीत कुमार झा काव्यगोष्ठीकेँ बेस रमनगर बना देलनि. हुनक पठित "माँ" कविता सेहो अत्यंत भावमय छल. आगत अतिथिक स्वागत ललित झा कएलनि आ' संजय झा धन्यवाद ज्ञापन कएलनि. कार्यक्रमक अंतमे समितिक अध्यक्ष राजीव रंजन मिश्र कहलनि जे हुनकर प्रयास रहत जे एहन तरहक साहित्यक आयोजन सेहो समिति द्वारा हरेक बर्ख नियमित रूपेँ कराओल जाए. ओ अपन सहयोगी मीडिया प्रभारी प्रकाश झा, नवीन चौधरी, भरत झा, कैप्टन आदिक प्रतिएँ आयोजनमे सहयोग देबाक लेल विशेष रूपसँ आभार व्यक्त कएलनि.
(Report/Photo: प्रकाश झा)
प्रधान वक्ताक रूपमे बजैत साहित्यकार एवं समालोचक प्रफुल्ल कोलख्यान कहलनि जे विद्यापति जहिया संस्कृतक मोह त्यागि देसिल बयनाकेँ अपनौलनि तहिया हुनकर उद्देश्य मात्र मैथिली भाषाक उत्थान नहि छलनि बल्कि संपूर्ण समाजकेँ एकसूत्रमे बान्हि रखबाक सपना छल. ओ कोनो तरहक सामाजिक-सांस्कृतिक चिंतनमे मैथिल-ललनाक उपस्थिती-नगण्यता पर अपन चिंता व्यक्त कएलनि. हुनकर कहब छलनि जे मैथिली संस्कृतिक बचौनिहारि-संवाहिका मैथिल ललना हमरा सभक मुख्यधाराक चिंतनसँ किएक कतिआयल छथि ताहि दिस सेहो मैथिल-समाजकेँ गंभीरता पूर्वक सोच-विचार करबाक चाही. ओ' मैथिल समाजसँ आह्वान कएलनि जे मैथिली संस्कृति आ' समाजिकताक मनन करैत विकासक बाट ताकथि. साहित्यकार रामलोचन ठाकुर कहलथि जे हमसभ मैथिलीकेँ संविधानक आठम अनुसूचीमे शामिल हेबाक वर्षगाँठकेँ कतहु मैथिली दिवस तऽ कतहु मैथिली मुक्ति दिवस वा अधिकार दिवसक रूपमे मनबैत छी आ' से सभसँ पहिने एकटा निश्चय करी जे एहि दिनकेँ कोनरूपमे मनाओल जाय जाहिसँ कि एहन आयोजनक आओर प्रासंगिगता बढ़त. संगहि ओ कहलनि जँ अधिकारक बात करैत छी तऽ एखन बहुत रास अधिकार लेब बाँकी अछि आ' दोसर बात जे अधिकारक संग हरदम कर्तव्यबोध सेहो हेबाक चाही. मैथिली भाषाकेँ रोजी-रोटीसँ जोड़बाक प्रश्नपर कहलनि जे मैथिली एखनो रोजी-रोटीक माध्यम अछि आ' भाषा-साहित्य मात्र रोजी-रोटीक माध्यम नहि अपितु मानवता आ' सामाजिकताक संरक्षणक सेहो एकटा माध्यम होइत छैक. विचार-गोष्ठीक अध्यक्षता करैत गुणनाथ झा कहलनि जे कोलकाता सभदिन मिथिला-मैथिलीक गतिविधिक केन्द्र रहल अछि आ' ताहि परिप्रेक्ष्यमे एहन तरहक आयोजन एहिठामक प्रवासी मैथिल-बीच अपन सामाजिक-सांस्कृतिक चेतनाक नव आयाम गढ़ैत अछि. ओ एहन तरहक आयोजनक निरंतरता आ बारंबारता पर सेहो जोर देलनि. विचारगोष्ठीक संचालन साहित्याकर आ' रंगकर्मी भवनाथ झा कएलनि.
कार्यक्रमक दोसर सत्रमे रामलोचन ठाकुरक अध्यक्षतामे कविगोष्ठीक आयोजन कएल गेल जाहिमे अमरनाथ झा 'भारती', अजय कुमार झा 'तिरहुतिया', चंदन कुमार झा, अशोक राय, विजय इस्सर, राजीव रंजन मिश्र, विनय भूषण, घनश्याम चौधरी, आमोद झा, अशोक चौधरी एवं रामलोचन ठाकुर अपन-अपन काव्यपाठ कएलनि. 'भारती' अपन 'महरी' कविताक माध्यमे भारतीय गणतांत्रिक व्यवस्थामे आयल अराजकताकेँ उजागर कएलनि. आमोद झा'क "भूत-बसेरा" मैथिली साहित्यमे पसरल व्यक्तिवाद, महत्वाकांक्षा ओ संकीर्ण सोचकेँ प्रभावी रूपेँ चित्रण कएलनि. हुनकर दोसर कविता "मुखौटा" बाजारवादी युगमे मानवक पहचान उपभोक्ताक रूपमे कोना बनल जा रहल छैक तकर सजीव चित्रण छल. 'तिरहुतिया'क 'भ्राता सावधान' चारूकातसँ मैथिली संस्कृतिपर भऽ रहल भाषायी आ' सांस्कृतिक आक्रमणक प्रति एकप्रकारे चेतउनी छल. एकर अलावे समसामयिक विषयपर आधारित राजीव रंजन मिश्रक गजल, विनय भूषणक दोहा आ' विजय इस्सरक कविता सेहो बेस सराहल गेल. काव्यपाठक उपरांत पठित कविता संक्षिप्त समलोचना सेहो कएल गेल जाहिक्रममे प्रफुल्ल कोलख्यान कहलनि जे कविकेँ कविता पढ़बाक लूरि सेहो हेबाक चाही तखने ओ कोनो मंचसँ अपन कविताक संपूर्ण भाव श्रोताधरि पहुँचा सकताह. एकर अलावे अशोक चौधरीक, घनश्याम चौधरी एवं चंदन कुमार झाक कविता सेहो श्रोताकेँ बेस पसिन पड़लनि. अंतमे रामलोचन ठाकुर जानकी नवमी दिन जनकपुरमे भेल भीषण बम-विस्फोट आ' ओहि घटनामे शहीदक श्रद्धांजलि स्वरूप अपन रचना पाठ कएलनि. अपन काव्यमय संचालनसँ मंच संचालक रंजीत कुमार झा काव्यगोष्ठीकेँ बेस रमनगर बना देलनि. हुनक पठित "माँ" कविता सेहो अत्यंत भावमय छल. आगत अतिथिक स्वागत ललित झा कएलनि आ' संजय झा धन्यवाद ज्ञापन कएलनि. कार्यक्रमक अंतमे समितिक अध्यक्ष राजीव रंजन मिश्र कहलनि जे हुनकर प्रयास रहत जे एहन तरहक साहित्यक आयोजन सेहो समिति द्वारा हरेक बर्ख नियमित रूपेँ कराओल जाए. ओ अपन सहयोगी मीडिया प्रभारी प्रकाश झा, नवीन चौधरी, भरत झा, कैप्टन आदिक प्रतिएँ आयोजनमे सहयोग देबाक लेल विशेष रूपसँ आभार व्यक्त कएलनि.
(Report/Photo: प्रकाश झा)