बिद्यापति पर्ब आ पटना केर घटना

चेतना समिति पटना  द्वारा आयोजित विद्यापति पर्व 2012 केर अपन किछु अनुभव बांटि रहल छथि गुंजन श्री 
 
चेतना समिति पटनाक तत्वावधान मे आयोजित वर्ष २०१२ बिद्यापति पर्ब समारोहक दोसर दिनक कार्यक्रम देखबा लेल डेरा सं विदा भेलहुं. साँझ मे लगीच ५ बजे ओतय पहुंचलहुं त’ देखलहुं जे सब गणमान्य साहित्यकार, रंगकर्मी आ कलाकार लोकनि सब काते-काते ठाढ़ छथि आ जतय बैसबाक जगह छैक ओतय दर्शक नाम पर सिर्फ किछु महिला लोकनि बैसल छथि. अंदाजन १०० गोटे, शायद गणमान्य व्यक्ति सभ कें बैसबा मे अपन पाग निच्चा खसैत बुझाइत छलनि. खैर ...
किछु कालक बाद कार्यक्रम “जय-जय भैरवि” सं शुरू होइत अछि, तकर किछु कालक बाद लोकक गहमा-गहमी बढ़ैत छैक. पुछला पर ज्ञात भेल जे बिहार सरकारक २टा मंत्री आबि रहल छथि, आब सब गोटे ब्यस्त हुनका लोकनि कें आगा-पाछा मे, ओ लोकनि मंचस्थ भेला आ तकर बाद शुरू भेल राजनीतिक खेल, समितिक एकटा अधिकारी अपन दबल स्वर स’ मंत्रीजी स’ भीख मंगला जे पटना मे जे विद्यापति भवन बनबा लेल सरकार पाइ देने छल ताहि मे किछु आर मुद्रा चाही कियैक त’ एतेक मे नहि बनि सकत भवन आ तकरा बाद कहला जे 'मिथिला भवन' हेतु सेहो चाही... आ तकर बाद एकटा मैथिल बिधायकजी ओही बात कें राजनीतिक रंग मे रंगि क' प्रस्तुत केलनि आ अपन एकटा बात जोरला जे नीक आ स्वागत योग्य कहलाह, जेना भारतक सब राज मे अपन-अपन भाखा मे पढाइ होइत छैक तहिना मिथिला मे मैथिली मे सेहो हेबाक चाही, सबस’ नीक बात ई जे बिधायकजी एही बात कें अपन अधिकार जकां मंगलनि आ कहलाह जे यदि नहि भेटत त' छीनि लेब हम सब अपन अधिकार, तुरत मोन पडलाह बाबा नागार्जुन आ एकटा पंक्ति —
“अछि सलाई में आगि जरत की बिना रगरने,
पायब निज अधिकार कहू की बिना झगरने”..

...तत्पश्चात मंत्रीद्वय (अश्वनी कुमार चौबे आ श्रीमति सुखदा पाण्डेय) उपरोक्त सब बातक लेल सरकार स’ गप्प करता से आश्वासन सेहो देलाह जे बस एकटा नाटक केर रटल-रटायल संबाद जकां लागल मुदा आर उपाए कोन.... ओकर बाद किछु सांस्कृतिक कार्यक्रम चलल किछु काल जकरा स्नेहा वर्मा, ममता झा, मनीष टीपू इत्यादि प्रस्तुत केलाह. तकर बाद शुरू भेल नाटक जकर उद्घोषक छलाह “कमल मोहन चुन्नू”. नाटक छल- अदभुत संजोग, जकर लेखक कुमार गगन  निर्देशक उमाकांत झा छ्लाह.
नाटक देखबा जोग छल कियैक त’ एहि मे बिलकुल नब गप छल, महानगर मे आबि क’ मिथिलाक’ युबक लोकनि प्रेम-विवाह क' लैत छथि आ ताहि सं हुनका की की सब मानसिक क्लेश भोगय पडैत छनि आ संगहि एकटा बिमारीक बहन्ने दुनू व्यक्ति कें मानसिक टेना-मेनी आ फेर सच गप बुझि क’ सलाह भ’ गेनाइ यद्यपि पुरान विषय अछि मुदा नाटककार एकरा नब रूपे बहुत नीक जकां लिखलाह आ निर्देशक नीक  रूपें कसलाह एकरा, नाटक मे सबस’ नीक गप छल आजुक बूढ़ सासुक बिलकुल नब मानसिकता स' परिपूर्ण बिचार आ संगहि घर मे हुनक बिलकुल पुरान बिचारधाराक पालन केर बीच मे ठाढ़ ओ असगर, एही पात्र मे छली मैथिलीक संभवतः सबस’ पहिल महिला रंगकर्मी प्रेम लता मिश्र 'प्रेम' ओ खूब नीक जकां अपन पाट केलनि, एहि मे एकटा आर महिला पात्र छलीह “सुश्री ज्योति प्रभा” जिनक अभिनय सेहो सराहनीय छल मुदा मंच स’ अहि बात के कियो गोटे चर्चा नहि कएला, पता नहि कियैक शायद एकर कारण पूर्वाग्रह छल हेतैक, येन-केन प्रकारे नाटक खूब नीक जकां संपन्न भेल आ फेर पात्र परिचय आ तकरा बाद शायद पूर्वहि स’ नियोजित पुरस्कारक घोषणा. जाहि मे २टा पुरस्कार देल गेल नाम त' नहि मोन अछि पुरस्कारक मुदा एकटा भेटल “कुमार गगन” कें समस्त नाटक मे सबस’ नीक भूमिका लेल आ दोसर श्रीमति प्रेम लता मिश्र 'प्रेम' कें कथित तौर पर समस्त नाटक मे महिला मे सबस’ नीक अभिनय लेल छलैक, हम एही ठाम एकटा बात कह' चाहब जे एहि दुनू पुरस्कारक खगता नहि त' एहि दुनू बरिष्ट रंगकर्मी कें छनि आ ने ई उचित लगैत छैक कियैक त’ “नवतुरिया आगा आबैक” एही नारा केर बोली देबयवला सब कियैक बिन खगते एही दुनू पुरान लोक कें ई देलाह यद्यपि हम ई नहि कहि रहल छी जे ई दुनू गोटे एही केर हकदार नहि छलाह मुदा एकटा बात ई जे अगर कोनो मंच पर पुरान  आ अनुभवी कलाकार रहत त’ बेसी काल होइत छैक जे ओ नब कलाकार कें झांपि देइत छैक मुदा तकर मने ई नहि जे नवतुरिया नीक अभिनय नहि करैत अछि. एहि ठाम त' कोनो ने कोनो बहन्ने नवतुरिया कें पुरस्कृत कयल जेबाक छलैक ताकि आगाँ ओ आर बेसी उर्जस्वित भ’ क’ काज करैत, खैर एकटा बात आओर कहब जे आइ नाटक डिजिटल थियेटर दिस डेग बढ़ा रहल अछि आ एहि दौर कें बहुत नीक जकां एहि नाटक मे बौआ “स्वर्णिम” देखौलनि, एहि बौआ कें जतेक प्रशंसा करी से कम अछि कियैक त’ ई ततेक नीके जकां अपन काज देखेलाह जे मोन गदगद भ’ गेल. हम त’ कहब जे हिनकर काज केर बिना नाटक बिलकुल अपूर्ण सन लगैत, हुनकर एही काज स’ प्रसन्न आ गदगद भ’ क’ आदरणीय “बटुक भाइ” हुनका एकटा नटराजक मूर्ति आ अपन सुमधुर बोली मे अशेष आशीर्वाद पुरस्कार स्वरूप अपना दिस स’ देलखिन, समिति एहि कें जरूरी नहि बुझलक शायद, एहि ठाम कहि दी जे बौआ स्वर्णिम कुमार गगनक सुपुत्र छथि आ हिनकर बहिन ईशा बैदेहीक मंच पर उपस्थिती आ पार्श्व सहयोग स्वागत योग्य अछि... आ तकर बार समितिक एकटा अधिकारी समारोह कें बिधिवत संपन्न होयबाक घोषणा केलाह...
बात त’ आर बहुत रास फुरा रहल अछि, जेना मैथिलीक पोथीक’ दोकान पर भीड़ त' बहुत देखलहुं मुदा सब गोटे खाली समय बिताबय लेल पन्ना गिनैत ठाढ़ छलाह, दोकानदार स’ पुछलहुं त’ कहलाह जे  काल्हिखन भोर मे जे पोथी सब अनलहुं अछि ताहिमे लगभग ५० प्रकारक पोथी छल मुदा एखन धरि सब ओहिना सजल अछि गोटेक-आध बिकायल अछि ,हम सोचलहुं जे कियैक नहि, मैथिल कें त’ सजबय केर आदति होइत छनि ताहि हेतु ओ सब अहाँ  स’ नहि किनलाह जे कहीं अहाँक सजाबट ने ख़राब भ' जाय...
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