मधुबनी. मैथिली जातिविशेष
केर भाखा हइ...बभना सुन कें राज हइ...की अहूँ कें सैह लगैत अछि? त' कनेक
ठमकि जाउ. भाखा जातिविशेष कें नहि, समाज, क्षेत्र ओ संस्कृतिक स्वर होइत
अछि. समस्त वाद-विवाद, साहित्यिक-सामाजिक कुत्सित राजनीति पर जोरदार प्रहार
अछि महेंद्र नारायण राम केर लेखनी. मैथिली साहित्य मे महत्वपूर्ण स्थान
रखनिहार खुटौना निवासी महेंद्र नारायण राम कें साहित्य अकादमी कोंकणी
उपन्यास कर्मलीन केर मैथिली अनुवाद पर अकादमी पुरस्कार सं सम्मानित क'
महेंद्र नहि मैथिली कें सम्मानित करबाक काज कयलक अछि. एहि सं क्षेत्र केर
साहित्य प्रेमी मे हर्ष केर लहरि अछि. महेंद्र नारायण राम मां
मैथिली केर सेवा मे पहिनहि सं लागल छथि. ओ सरकारी सेवा मे रहैत मैथिली लेखन
करैत रहलाह अछि. ओ एखन धरि मैथिली लोक महागाथा, गहबर कथा संग्रह,
जागि गेल छी, सलहेशक लोक गाथा, दीना भद्री लोक गाथा, मैथिली लोकवृत बिंदु आ
विस्तार, भाओ भगैत गहबर गीत, जेना जनलिएनि आदि मैथिली पोथी लिखलनि अछि.
हुनका एहि सं पहिने मैथिली श्री, मिथिला विभूति व
मिथिला रत्न आदि सम्मान सं सम्मानित कयल जा चुकल अछि. ओ लुप्त होइत लोक गाथा सभक समीचीन विश्लेषण क' मैथिली हेतु प्रशंसनीय काज कयलनि अछि. (समाद स्रोत)
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