> गोधन पूजन पर विशेष
दीयाबाती केर अगिला दिन अर्थात कार्तिक मास केर शुक्ल
पक्ष प्रतिपदा कें गोवर्धन पूजा कयल जाइत अछि. एहि दिन बलि पूजा, अन्न
कूट, मार्गपाली आदि उत्सव सेहो मनाओल जाइत अछि. एहि पावनि केर मिथिलाक
लोकजीवन मे विशेष महत्व अछि. एहि पावनि कें ल' कथा ओ मान्यता सेहो जुडल
अछि. श्रीकृष्ण ओ गोवर्धन केर कथा प्रसंग सं के' परिचित नहि अछि. एहि दिन
मिथिला मे माल-जाल केर दुलार होइत अछि. गोधन केर पूजन कयल जाइत
अछि. गाय आ बरदक थैर मे गोबर, पिठार ओ सिन्दूर सं गोवर्धन बना पूजा कयल
जाइत अछि. मिथिलाक कृषि परम्परा मे पशु केर महत्व बहुत बेसी अछि. एहि दिन
माल-जाल कें तेल ओ बकेन पीयाओल जाइत छैक. सिंघ मे तेल लगाओल जाइत छैक. गोधन
कें पान-सुपारी सेहो देल जाइत छैक. माल-जाल कें नवका नाथ-गरदानी पहिराओल जाइत अछि. चरवाह आ जन-बोनिहार जे कृषि कार्य मे
सहयोग करैत छथि, हुनका एहि दिन नओत द' खुआओल जाइत अछि. बहुतो लोक जन-बोनिहार कें सीधा सेहो देइत छथि. एहि दिन पहलवानी खेलयबाक सेहो परंपरा रहल अछि. एहि दिन मिथिलाक धीया नवनिया (लवनिया) चिपड़ी पथइ छथि. एही चिपड़ी सं नवान्न केर अन्न उसनय लेल चूल्हा पजाडल जाइत अछि.
— चन्दन कुमार झा