छइठ गीत


निर्मल नीर नदी-पोखरि पैसि करबै अरघक दान हे
परमेसरी छइठ महरानी ओ' सुरूरजक गुणगान हे ।

कातिक मासक पाबनि-पावन महिमा एकर अपार छै
घाट-घाटपर दीपक दीपित साजल हाथी कुरबार छै
कोनिया,डगरा,ढ़ाकी भरि-भरि रंग-बिरही पकवान हे ।

निर्मल नीर नदी-पोखरि पैसि करबै अरघक दान हे
परमेसरी छइठ महरानी ओ' सुरूरजक गुणगान हे ।

गौँआ-घरुआ मीलि-जुलि देखू जा रहलैए घाटपर
गम-गम गमकै गुगुल-धूमन-सरर सौसेँ बाटपर
छम-छम छमकै धीया-पुता पहिरि नवल परिधान हे ।

निर्मल नीर नदी-पोखरि पैसि करबै अरघक दान हे
परमेसरी छइठ महरानी ओ' सुरूरजक गुणगान हे ।

गाम-गाममे नगर-नगरमे पसरल प्रेम-प्रवाल छै
जाति-पाति केर भेद मेटाबै पाबनि ईत' कमाल छै
दिनकर-दीनानाथ करै छथिन्ह जगतक कल्याण हे ।

निर्मल नीर नदी-पोखरि पैसि करबै अरघक दान हे
परमेसरी छइठ महरानी ओ' सुरूरजक गुणगान हे ।

— चन्दन कुमार झा 
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