प्रथम शैलपुत्री रूप मे मायक पूजा
वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्द्वकृत शेखराम।
वृषारूढ़ा शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम॥
श्री दुर्गा केर प्रथम रूप श्री शैलपुत्री छनि. पर्वतराज हिमालय केर धिया छथि तें शैलपुत्री कहल जाइत छनि. नवरात्र केर प्रथम दिन हिनक पूजा ओ आराधना कयल जाइत छनि. हिनक आराधना सं मनोवांछित फल प्राप्त होइछ.