Homeसाहित्य गुंजन श्री केर गजल byMithiMedia -October 13, 2012 पूर्णमासी केर चान छल वएह छल कि आन छल पूरल सब सख -सेहंता तेहने नैना कमान छल बिसरै छी अपनो के हम देल जे ककरो दान छल राति पघिल आँखि द' खसल जे की हमर गुमान छल 'गुंजन' ताके पाँछा जिनगी केहन अप्पन शान छल Tags: साहित्य Facebook Twitter