साहित्य अकादेमी मे नव-नव लोक अओताह. केs अओताह, की करताह से चर्च शुरू
अछि. नवका सं सेटिंग अछि? नहि अछि त' कोना होयत? ताहि हेतु अकिल खर्च शुरू
अछि. डॉ. वीणा ठाकुरक चयन केर पश्चात अनेरे लोक परेशान देखना जा रहल छथि.
कतेक लोक महिला-महिला त' कतेक लोक युवा-युवा क' रहल छथि. २००८-२०१२ केर
कार्यकाल मे महिला कें बेस अवसर देल गेल से एक साहित्यकार मित्र सं ज्ञात
भेल अछि. कोलकाता मे साहित्य अकादेमी सं मान्य एक संस्था अछि. एक व्यक्ति
सेहो परामर्शदातृ समिति मे छथि. तारा कान्त झा—बेस युवा (युवा सं बेसी
सक्रिय तें) आ मैथिली दैनिक केर सम्पादक सेहो. कलकत्ता मे एहि दौरान
अकादेमी केर की कार्यक्रम भेल से ज्ञात नहि. जखन कि सर (तारा कान्त झा) संगे हम लगभग डेढ़
साल काज केने छी, ओहि दैनिक लेल अछिनरे लिखने छी. कार्यक्रमक एक बेर भनक
तखन लागल जखन काव्य पाठ मे बहुतो तथाकथित साहित्यकार लोकनि सपत्नी पहुँचि झंझटि
करबा लेल उतारू भेल छलाह. एहि सं ई बात साबित होइछ जे महिला कें मौका देल
गेल! युवा कें कतेक मौका भेटल से त' 'अपने दिल से जानिए...' पर भरोस. ओना
हम अपना कें ने साहित्यकार मानै छी, ने पत्रकार मानै छी...बेकार मानै छी.
ओना एक युवा मित्र कहलनि जे ई सभ गोपनीय होइत छैक ! हमरा त' हुनक ई गप्प
व्यंग्य लागल. मुदा जओं एहन क्रियाकलाप होइत छैक त' हुनक बात यथार्थ सेहो
लागय लगैत अछि. हमरा वा हमरा सन नवतुरिया कें मंच नहि चाही, नहि चाही
पोथी-पत्रिकाक पन्ना. मुदा संग त' चाही. जतय संगो रखने मठाधीश लोकनि कें भय
बुझाइत छनि, ततय विकासक प्रयास नहि रूचैत अछि.
एतेक त' अछिए जे कलकत्तो मे दड़िभंगा, दिल्लीयो मे दड़िभंगा आ दड़िभंगो मे दड़िभंगा. मैथिली कें एहि राहू ग्रास सं निकालब परमावश्यक अछि. कोलकाता केर मैथिली परामर्शदातृ समिति केर वर्त्तमान सदस्य तारा कान्त झा केर कार्यकाल केर पांच वर्ष मे हुनक संग आ हुनक परोछ दुनू अवस्था मे हुनक क्रियाकलाप एतेक चिंतित त' करिते अछि. हुनका सन व्यक्ति जखन एहि झंझावात मे ओझरायल रहलाह त' एतेक निश्चित अछि जे मात्र चिन्ते सं काज नहि चलत.
एतेक त' अछिए जे कलकत्तो मे दड़िभंगा, दिल्लीयो मे दड़िभंगा आ दड़िभंगो मे दड़िभंगा. मैथिली कें एहि राहू ग्रास सं निकालब परमावश्यक अछि. कोलकाता केर मैथिली परामर्शदातृ समिति केर वर्त्तमान सदस्य तारा कान्त झा केर कार्यकाल केर पांच वर्ष मे हुनक संग आ हुनक परोछ दुनू अवस्था मे हुनक क्रियाकलाप एतेक चिंतित त' करिते अछि. हुनका सन व्यक्ति जखन एहि झंझावात मे ओझरायल रहलाह त' एतेक निश्चित अछि जे मात्र चिन्ते सं काज नहि चलत.
— नवकृष्ण ऐहिक