जकरे सं पुछू सदिखन
ओ व्यस्त रहैत छथि
टाइम नहिं अछि,
टाइम नहि अछि
ओ कहैत छथि ।
ई सुनि हम सोचैत छी
जे टाइम नहि अछि,
तखन त' करोड़ोक
भारतक आबादी अछि
टाइम रहैत त'
आबादी कतेक रहैत ?
ई सोचि दिल आ' दिमाग
चकरायत अछि
मंत्रीकेँ देशक लेल
टाइम नहि अछि
पुलिसकेँ हमरा लोकनिक
रक्षा करबाक टाइम नहि अछि
कविकेँ कवित्वक बोध पर
सोचबाक टाइम नहि अछि
समाजसेवीकेँ समाजक लेल
सोचबाक टाइम नहि अछि
एहितरहे अगर टाइम नहि अछि,
टाइम नहि अछि
बजैत रहब त' ईहो सच
अहाकेँ लेल समाजोकेँ
सोचबाक टाइम नहि छैक
एहि टाइम नहि अछिक कारण
अधिकांश युवक भुतियायल छथि
आत्म-सम्मानक गप्प त' ओ बजैत छथि
मुदा आत्म सम्मानक रक्षाक लेल
वो किएक नहि सोचैत छथि ?
जखन आन्हर बाट पार करेबाक लेल,
किलोल करथि
भूखल-पियासल अहाँ सँ किछु पयबाक लेल,
भूखल-पियासल अहाँ सँ किछु पयबाक लेल,
लिलसा राखथि
मां मैथिली जखन अपन बदहाली पर
सोचबाक लेल कहथि
हे मिथिलाक संतान !
ई कहियो नहि कहब
जे टाइम नहि अछि
टाइम नहि अछि !!
— अशोक झा
— अशोक झा