
हम सोहनमाक मुंह दिस टुकुर-टुकुर तकैत रहलहुं. सोहनमा कहलक-मुंह की तकै छी? हम सभ जोगारी दलक सदस्य छी. अखबार देब बन्न. मोनक तामस कें त्यागि सोहनमा कें बधाइ देलहुं. कहलियैक जे तोहर मेहनति सोकाज अयलहु. एहिना बढैत रह. मुदा एक बात मोन रखै जे जोगार लगौ त' हमरो जोगारी दलक सदस्यता सं अवगत करबिहें. चट द' सोहनमा बाजल यौ सर अकादेमी पुरस्कारक जोगार करबाक अछि त' ४-५ गोटा केर जोगार करू आ नव-नव संस्था सभ खोलबओबैत रहू. जहाँ ४-५ टा संस्था पर अहांक आधिपत्य भेल कि ओहि संस्था सभ द्वारा आयोजित समारोह मे मैथिली अनुरागी बनि हाजिर भ' जाउ. बस फेर शुरू होयत अहांक चर्च आ २-३ साल कें अंतराल मे जतेक कवि गोष्ठी, कथा वाचन होयत ओहि मे जयबाक अवसर भेटत आ ओ सभ मैथिली साहित्य सेविक रूप मे प्रमाण पत्र द' देताह. ई प्रमाणपत्र वैह सभ देइत छथि, जिनका घर मे मैथिली नहि छनि. हम अचंभित छलहुं. कहलियैक- पटना, दिल्ली वला सभ बजायत तखन ने? सोहनमा बाजल-मैथिली मंच पर जयबाक हेतु सेहो जोगारक आवश्यकता छैक. आब त' हम सन्न भ' गेलहुं. पूछलियइ-पुरस्कारो मे जोगार आ मंचो पर जयबाक लेल जोगार? ई की कहलह? सोहनमा बाजल- जुग जोगारक छै. जोगार नहि करब त' कलम केर कतबो धनिक छी ओतहि रहि जायब जतय पूर्व केर किछु मैथिली अनुरागी रहि गेलाह.
— अशोक झा
(लेखक मिविप केर राष्ट्रीय अध्यक्ष ओ साहित्यकार छथि)
(लेखक मिविप केर राष्ट्रीय अध्यक्ष ओ साहित्यकार छथि)