दडिभंगा. पंचमी सं शुरू होमयवला उत्सवी सीजन
मिथिला मे अलगे माहौल सृजित करैत अछि. ई उत्सव केर सीजन सामा धरि आबाध चलत.
फेर तिला संक्रांति सं पावनि केर सिलसिला शुरू होयत. मिथिला मे आइ चौरचन
पावनि केर धूम अछि. आजुक दिन धिया-पुता सं सियान धरि साँझक बाट तकैत अछि.
पहिल साँझ मे चान कें नाना प्रकारक पकवान ओ फल संग हाथ उठायल जायत. दिन मे
गोसाओनिक घर मे नियम निष्ठाक सं पबनैतिन सभ पकवान बनौतीह. संगहि आजुक दिन
कतेको माय अपन समर्थ धिया कें पुरिकिया गुहब सिखओतीह. पावनिक बहन्ने मिथिला
मे धिया-पुता कें संस्कार देबाक काज सेहो अभिवावक लोकनि करैत छथि. यएह
कारण अछि जे दुनू पार मिथिला राजनीतिक रूपें अवहेलित रहितो सांस्कृतिक
रूपें अनुप्राणित अछि.
आजुक दिन मिथिलाक घर-घर मे पान-पकवान रहैत अछि. पावनि दिन पुरिकिया, खजुरी, खीर, पूरी, मालपुआ, दालिपुरी त' बनिते अछि संगहि एहि दिन फल मे केरा, लताम, खीरा, शरीफा, नेबो आदि अनेक फल (जे बारीझाड़ी मे सहज उपलब्ध रहैत अछि) रहैत अछि. मिथिलाक लोक आजुक पावनि मे साग, अंकुरी, झिमनी केर तरकारी ओ ओलक चटनी निश्चित रूपें खाइत छथि. चौरचन मे मिथिलाक आँगन ठाओ-पीढ़ी ओ अरिपन सं सुसज्जित रहैत अछि. हाथ उठयलाक बाद ब्राह्मण भोजन केर रीति अछि. एहि पावनिक बाद मिथिलाक लोक इन्द्रपूजन केर तैयारी मे लागि जायत.
आजुक दिन मिथिलाक घर-घर मे पान-पकवान रहैत अछि. पावनि दिन पुरिकिया, खजुरी, खीर, पूरी, मालपुआ, दालिपुरी त' बनिते अछि संगहि एहि दिन फल मे केरा, लताम, खीरा, शरीफा, नेबो आदि अनेक फल (जे बारीझाड़ी मे सहज उपलब्ध रहैत अछि) रहैत अछि. मिथिलाक लोक आजुक पावनि मे साग, अंकुरी, झिमनी केर तरकारी ओ ओलक चटनी निश्चित रूपें खाइत छथि. चौरचन मे मिथिलाक आँगन ठाओ-पीढ़ी ओ अरिपन सं सुसज्जित रहैत अछि. हाथ उठयलाक बाद ब्राह्मण भोजन केर रीति अछि. एहि पावनिक बाद मिथिलाक लोक इन्द्रपूजन केर तैयारी मे लागि जायत.
(Report: मिथिमीडिया ब्यूरो)