कोलकाता/बम्बइ. संजय मिश्र हिन्दी सिनेमा जगत मे एकटा जानल पहिचानल नाम अछि. मूलरूप सं दड़िभंगा जिलाक नारायणपुर सकरीक निवासी संजय मिश्रक प्रारंभिक जीवन बनारस मे व्यतीत भेल छल मुदा हिनक दादा-दादी पटना मे रहैत छलनि. एहि दुआरे हिनका पटना आयब-जायब लागले रहैत छलनि. हिनका बाल्यकालहि सं राजनीति मे अयबाक शौक छलनि. हिनक बाबूजी स्वर्गीय शंभूनाथ मिश्र ऑल इंडिया रेडियो मे कार्यरत छलथि.हिनक घर पर प्रख्यात शहनाइ वादक बिसमिल्लाह खान, पं राजन मिश्रा, हालीम जफ़र खान आदि सहित देशक नामी-गिरामी कलाकारक जमघट लगैत छल जे हिनका लेल प्रेरक बनल. 1989 मे एनएसडी पास केलाक बाद 1991 मे बम्बइ चलि अयलाह. मुम्बइ मे बड्ड संघर्षक उपरान्त संजयजी कें पहिल बेर छोटका पर्दा पर 'सॉरी मेरी लॉरी' नामक कॉमेडी कार्यक्रम मे काज भेटलनि. फ़ेर आज तक न्यूज चैनल पर ‘हैरी पोर्टर बना रिपोर्टर’, सहारा टीवीक 'धरती पकड़', चर्चित सीरियल 'ऑफ़िस-ऑफ़िस' , 'रामखेलाबन', ‘पब्लिक सब जानती है' मे नीक काज करबाक अवसर भेटलनि. संजय जी पचास सं बेसी हिन्दी फ़िल्म मे अभिनय कयने छथि. जाहि मे 'गोलमाल', 'वन टू का फ़ॉर', ‘धमाल', 'चरस', 'जमीन', 'प्लान', 'संकट सीटी', 'गॉड तुस्सी ग्रेट हो', 'रामा रामा क्या है ड्रामा', 'ब्लफ़ मास्टर' आदि प्रमुख अछि. हिनक टटका रिलीज फ़िल्म अछि 'फ़स गया रे ओबामा’ जाहि लेल सर्वोत्तम कॉमिक रोलक लेल हिनका पुरस्कृत कयल गेल छल. हिनक आबय बला फ़िल्म अछि 'द कैंप’, 'रसगुल्ला', 'क्या टाइम है यार' आदि. सम्प्रति संजय मिश्र एकटा फ़िल्म 'प्रणाम वालेकुम’क निर्देशन क' रहल छथि. (Report/Photo : भास्कर झा)