MITHILA PAINTING - ग्लोबल होइत मिथिलाक लिखिया कला

mithila-madhubani-painting
मिथिला केर भूमि दू देश मे पसरल अछि ओ मिथिलाक कला समूचा विश्व मे. भारत केर कला पटल पर मिथिला पेंटिंग सभ सं उच्च स्थान प्राप्त कयने अछि. ई पेंटिंग सरकारी कार्यालयक देवाल पर, कोलकाता केर ट्राम मे आ अनेको ठाम मे देखल जाइत अछि. माय-बहिनक हाथें कुच्ची-काठी सं बनाओल जाइत एहि पुरातन कला कें आधुनिकताक निशानी मानल जाइत अछि. 

मिथिला पेंटिंग आब मात्र मैथिल केर मोहताज नहि अछि. आइ जतय मिथिला केर पहिचान, भाषा (अनुसूची मे अंकित भेलाक बादो), क्षेत्र  अपन अस्तित्व बचयबाक हेतु जद्दोजहद क' रहल अछि, ओतहि मिथिला पेंटिंग बेस सुगमता सं सभ जनमानस द्वारा नेहित अछि. पोथीक कवर हो वा बियाहक कार्ड, धोतीक पाडि ओ वा पाग सभतरि पेंटिंग केर परचम लहराइत अछि. एक पांति मे कही त' कलाप्रेमी केर पहिल पसिन अछि मिथिला पेंटिंग.

जापानक तोकामाची हिल्सक निगाता केर मिथिला म्यूजियम मे पंद्रह हजार सं बेसी मिथिला पेंटिंग उपलब्ध अछि. जापान स्थित एहि मिथिला म्यूजियमक शुरुआत एक जापानी म्यूजिशियन तोक्यो हासेगावा 1982 मे कयलनि. ओना त' हासेगावा संगीतज्ञ छथि मुदा कला ओ संस्कृति सं सेहो प्रेम छनि. लगभग अढाइ दशक पहिने भारत यात्राक समय हुनक भेंट मिथिला पेंटिंग केर किछु कलाकार सं भेलनि जे एक एग्जिबिशन लगवाबय चाहैत छलाह. 

हासेगावा कें ज्ञात भेलनि जे मिथिला पेंटिंग केर स्थिति एकदम बेजाय छैक, केओ देखय वला नहि अछि, त' हुनका जापानक कला उकोयोए मोन अयलनि, जे संरक्षण केर अभाव मे विलुप्त भ' गेल. तखने ओ निश्चय कयलनि जे ओ मिथिला पेंटिंग सं अनमोल कला कें विलुप्त नहि होमय देताह. जापान जा' ओ निगाताक एक प्राचीन बन्न जापानी स्कूल कें म्यूजियम बना नाम देल मिथिला म्यूजियम. तकर बाद हासेगावा बेर-बेर मिथिला अयलाह आ गाम-गाम मे पेंटिंग बनौनिहारि सभ सं भेंट कयलनि. 

जापान जा मिथिला म्यूजियम कें सजबय मे महान आर्टिस्ट गंगा देवी, कर्पूरी देवी आदि अपन योगदान देलनि. एतबहि नहि मिथिला पेंटिंग प्रेमी हासेगावा एनपीओ सोसाइटी टू प्रमोट इंडो-जापान कल्चरल रिलेशन सं जुड़लाह. एकर प्रतिनिधिक रूप मे अनेको साल सं आयोजित होमयवला कल्चरल फेस्टिवल 'नमस्ते इंडिया' सं सेहो जुड़ल छथि.
panditji-agarbatti-samrat-perfumery
ADVERTISEMENT
मिथिला पेंटिंग केर व्यापकताक ई एक उदहारण मात्र छल. एहि सं प्रेरणा ल' हमरा सभ कें अपन धरोहर केर रक्षार्थ साकांक्ष होमय पडत. एम्हर मिथिला पेंटिंग कें मधुबनी पेंटिंग कहि एकर व्यापकता आ पहिचान पर बट्टा लगयबाक काज भ' रहल अछि. हमरा सभ कें बिसरक नहि चाही जे ई कला मात्र मधुबनीए मे नहि अछि. 

मधुबनी मे ई व्यापक रूपे नेने अछि मुदा मिथिला केर गाम-गाम कोनो ने कोनो रूपें ई कला जीबैत अछि आ जुड़ल अछि. खाहे एहि पारक मिथिला हो वा ओहि पारक, ई सभतरि जीबैत अछि. हिमालय केर तराइ सं गंगाक कछेर धरि मिथिला मे ई कला कोनो ने कोनो रूप मे जीबैत अछि. आउ, मिथिला कला ओ संस्कार कें व्यापक पहिचान आ मान लेल कटिबद्ध होइ.

— रूपेश त्योंथ 

(मिथिमीडिया एंड्रॉएड ऐप हेतु एतय क्लिक करी. फेसबुकट्विटर आ यूट्यूब पर सेहो फ़ॉलो क' सकै छी.)

Previous Post Next Post