>> सम्पर्कक अगस्त मासक बैसार
कोलकाता. अगस्त मासक सम्पर्कक बैसार 12 अगस्त 2012 केँ नवीन प्रकाशनक कार्यालय मे संपन्न भेल. एहि बैसारक अध्यक्षता मैथिलीक वरिष्ठ साहित्यकार आ' समालोचक मोहन भारद्वाज कयलनि. एहि बैसार मे उपस्थित साहित्यकारक परिचय-पातक बाद सभसँ पहिने नव कथाकार संतोषी कुमार अपन "देश-प्रेम" नामक कथाक पाठ कएलनि तदुपरांत चंदन कुमार झा अपन एकटा कविता, तीन टा गजल आ' एकटा बाल गजलक पाठ कयलनि. फेर अनमोल झाक दूटा लघुकथाक पाठ भेल. कार्यक्रम केँ आगाँ बढ़बैत युवा कवि रोहित मिश्र आ' कामेश्वर झा "कमल" सेहो अपन-अपन टटका कविता सभ पढ़लनि. एकरा बाद कार्यक्रमक संचालक आ' सम्पर्कक संयोजक मिथिलेश कुमार झा अपन "हमहुँ सिपाही बनबै'' नामक बाल-कविताक पाठ कयलनि. रचना पाठक अंतिम चरण मे नवीन चौधरी अपन छात्र-जीवन सँ जुड़ल संस्मरणक पाठ कयलनि. रचना सभ पर अपन मंतव्य ललित झा, किशोरी कान्त मिश्र, रामलोचन ठाकुर, विद्यानंद झा, अनमोल झा आ' मोहन भारद्वाज रखलनि. अंत मे साहित्य मे समालोचनाक महत्ता पर संक्षेप मे प्रकाश देइत अध्यक्ष मोहन भारद्वाज कहलनि जे एकटा नीक समालोचक कें नीक पाठक होयब अत्यंत आवश्यक अछि संगहि कोनो रचना वा पोथीक समालोचना वा समीक्षा करबाक उद्देश्य सामाजिक आ' रचनाकालक विभिन्न परिस्थिति के धेयान मे रखैत कयल जेबाक चाही. ज्ञात हो जे "सम्पर्क" एकटा सूच्चा साहित्यक बैसार अछि जे प्रत्येक मासक दोसर रवि केँ आयोजित होइत अछि. एहि मे साहित्यकार सभ अपन टटका रचना पढैत छथि आ' उपस्थित अन्य साहित्यकार ओहि पर तत्काल अपन प्रतिक्रिया देइत छथि. अगिला मासक संपर्कक बैसार 9 सितंबर 2012 कें होयत.
(Report: चंदन कुमार झा)
कोलकाता. अगस्त मासक सम्पर्कक बैसार 12 अगस्त 2012 केँ नवीन प्रकाशनक कार्यालय मे संपन्न भेल. एहि बैसारक अध्यक्षता मैथिलीक वरिष्ठ साहित्यकार आ' समालोचक मोहन भारद्वाज कयलनि. एहि बैसार मे उपस्थित साहित्यकारक परिचय-पातक बाद सभसँ पहिने नव कथाकार संतोषी कुमार अपन "देश-प्रेम" नामक कथाक पाठ कएलनि तदुपरांत चंदन कुमार झा अपन एकटा कविता, तीन टा गजल आ' एकटा बाल गजलक पाठ कयलनि. फेर अनमोल झाक दूटा लघुकथाक पाठ भेल. कार्यक्रम केँ आगाँ बढ़बैत युवा कवि रोहित मिश्र आ' कामेश्वर झा "कमल" सेहो अपन-अपन टटका कविता सभ पढ़लनि. एकरा बाद कार्यक्रमक संचालक आ' सम्पर्कक संयोजक मिथिलेश कुमार झा अपन "हमहुँ सिपाही बनबै'' नामक बाल-कविताक पाठ कयलनि. रचना पाठक अंतिम चरण मे नवीन चौधरी अपन छात्र-जीवन सँ जुड़ल संस्मरणक पाठ कयलनि. रचना सभ पर अपन मंतव्य ललित झा, किशोरी कान्त मिश्र, रामलोचन ठाकुर, विद्यानंद झा, अनमोल झा आ' मोहन भारद्वाज रखलनि. अंत मे साहित्य मे समालोचनाक महत्ता पर संक्षेप मे प्रकाश देइत अध्यक्ष मोहन भारद्वाज कहलनि जे एकटा नीक समालोचक कें नीक पाठक होयब अत्यंत आवश्यक अछि संगहि कोनो रचना वा पोथीक समालोचना वा समीक्षा करबाक उद्देश्य सामाजिक आ' रचनाकालक विभिन्न परिस्थिति के धेयान मे रखैत कयल जेबाक चाही. ज्ञात हो जे "सम्पर्क" एकटा सूच्चा साहित्यक बैसार अछि जे प्रत्येक मासक दोसर रवि केँ आयोजित होइत अछि. एहि मे साहित्यकार सभ अपन टटका रचना पढैत छथि आ' उपस्थित अन्य साहित्यकार ओहि पर तत्काल अपन प्रतिक्रिया देइत छथि. अगिला मासक संपर्कक बैसार 9 सितंबर 2012 कें होयत.
(Report: चंदन कुमार झा)